पहले आत्मा, फिर परमात्मा - कविता
भक्ति और आत्म-समर्पण की भावना से युक्त एक सुंदर कविता। भगवान श्री राम के गुणों की महिमा और उनके भक्तों के अनुभवों का वर्णन।
हर हाथ मांगता काम,
नहीं करना है अब आराम,
तभी तो मिलेंगे प्रभु श्री राम।
लश्मण को तीर लगेगी,
पिछडो की नाम जपेगी
लालच का होगा बोल बल
तभी तो मिलेंगे प्रभु श्री राम।
न जाने कितने है हनुमान,
जो राहतए पीछे खोजे काम,
हर दिन जैसे है वनवास,
तभी तो मिलेंगे प्रभु श्री राम।
अपराधी पूरा है समाज,
चुराए सब ही सामन,
झूठी पीड़ा है प्रधान
तभी तो मिलेंगे प्रभु श्री राम।
--Written By: Dharambir Singh
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