Patmada Action: राशन नहीं मिलने पर डीलर का लाइसेंस निलंबित, 70 परिवारों को मिली राहत
पटमदा प्रखंड के पगदा गांव में 70 परिवारों की शिकायत पर राशन डीलर का लाइसेंस निलंबित। जानें कैसे तीन महीने से अनाज न मिलने पर हुआ बड़ा फैसला।
पटमदा (Patmada): झारखंड के पटमदा प्रखंड के पगदा गांव में राशन वितरण में धांधली की शिकायतों ने आखिरकार प्रशासन का ध्यान खींचा। तीन महीने से राशन न मिलने से परेशान 70 परिवारों की शिकायत पर सोमवार को जिला आपूर्ति पदाधिकारी (DSO) सलमान जफर खिजरी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए जन वितरण प्रणाली (PDS) डीलर अजीत कुमार मांडी का लाइसेंस निलंबित कर दिया।
ग्रामीणों का गुस्सा और शिकायत की कहानी
सोमवार को पगदा गांव के 70 परिवारों के लोग जिला आपूर्ति कार्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने अपनी पीड़ा को जोरदार तरीके से उठाया। उनका आरोप था कि डीलर मांडी तीन महीने से राशन देने में विफल रहा है। ग्रामीणों का नेतृत्व कर रहे निर्मल चंद्र महतो ने बताया कि यह उनकी चौथी बार शिकायत थी। उन्होंने यह भी कहा कि अगर इस बार कार्रवाई नहीं होती, तो वे धरना प्रदर्शन करने पर मजबूर हो जाते।
महिला समिति को सौंपी गई जिम्मेदारी
अब इन ग्रामीणों को महिला समिति के माध्यम से राशन उपलब्ध कराया जाएगा। हालांकि, महिला समिति ने भी यह दावा किया कि उनके पास आवंटन नहीं आ रहा है। तकनीकी रूप से राशन वितरण का काम अभी भी पुराने डीलर मांडी के पॉश मशीन से किया जा रहा था।
कैसे हुई कार्रवाई?
ग्रामीणों की शिकायत के बाद डीएसओ ने तुरंत मामले की जांच शुरू की। जांच में पाया गया कि मांडी के नाम पर अभी भी आवंटन जारी हो रहा था, लेकिन वह राशन वितरित नहीं कर रहा था। इसके बाद डीएसओ ने मांडी का लाइसेंस निलंबित कर दिया और स्पष्टीकरण जारी किया।
इतिहास में राशन वितरण की व्यवस्था
भारत में जन वितरण प्रणाली (PDS) को कमजोर और गरीब वर्गों को अनाज उपलब्ध कराने के लिए लागू किया गया था। झारखंड जैसे राज्यों में यह प्रणाली लोगों के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हालांकि, डीलरों द्वारा धांधली और लापरवाही जैसे मामले अक्सर इस प्रणाली की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करते हैं।
ग्रामीणों का आक्रोश
पगदा गांव की महिलाएं, जो बड़ी संख्या में शिकायतकर्ताओं में शामिल थीं, ने बताया कि यह डीलर की पुरानी आदत है। शिकायतकर्ता ने कहा, “हमें तीन महीने से अनाज नहीं दिया गया। अगर आवंटन हो रहा था, तो वह अनाज कहां गया?”
महिला समिति की मुश्किलें
महिला समिति ने कहा कि उन्हें आवंटन नहीं मिल रहा है। एक प्रतिनिधि ने कहा, “हमारे पास कोई अनाज नहीं आ रहा है। ऐसे में हम वितरण कैसे करें?”
प्रशासन की चुनौती और भविष्य की योजना
यह मामला दर्शाता है कि कैसे तकनीकी खामियां और डीलरों की लापरवाही गरीबों के लिए बड़ी समस्याएं पैदा कर सकती हैं। हालांकि, प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया है कि अब महिला समिति के माध्यम से राशन सुचारू रूप से वितरित किया जाए।
ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान
डीएसओ के हस्तक्षेप से 70 परिवारों को राहत जरूर मिली है, लेकिन यह सवाल अभी भी कायम है कि तीन महीने तक राशन का आवंटन कहां गया। प्रशासन ने डीलर से जवाब तलब किया है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़ी निगरानी का आश्वासन दिया है।
राशन प्रणाली को सुधारने की जरूरत
झारखंड के इस मामले ने यह साफ कर दिया कि जन वितरण प्रणाली में सुधार की सख्त जरूरत है। यदि समय पर जांच और कार्रवाई न हो, तो गरीब और जरूरतमंद परिवारों को भूख और असुरक्षा का सामना करना पड़ सकता है।
इस घटना ने प्रशासन और आम जनता दोनों के लिए एक सख्त संदेश दिया है कि लापरवाही के खिलाफ कार्रवाई जरूरी है। राशन प्रणाली की पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।
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