Jharkhand Farmers: जुगसलाई के किसानों की ये मांग क्यों बनी सरकार के लिए बड़ी चुनौती, कब मिलेगा पानी?
झारखंड में बोड़ाम और पटमदा के किसानों को सिंचाई की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। विधायक मंगल कालिंदी ने चांडिल डैम से UGPL के जरिए पानी पहुंचाने की मांग की है। क्या मिलेगा समाधान?

रांची – झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में जुगसलाई विधायक मंगल कालिंदी ने बोड़ाम और पटमदा प्रखंडों के किसानों की गंभीर समस्या को उठाया। उन्होंने कहा कि ये दोनों प्रखंड कृषि प्रधान क्षेत्र हैं, लेकिन सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण किसान हर साल आर्थिक संकट से जूझते हैं।
पर्याप्त पानी न मिलने से हजारों एकड़ जमीन पर खेती नहीं हो पाती, जिससे यहां के किसानों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति कमजोर बनी हुई है। विधायक ने मांग की कि चांडिल डैम से यूजीपीएल (UGPL) पाइपलाइन के माध्यम से इन क्षेत्रों तक सिंचाई की सुविधा पहुंचाई जाए, ताकि किसानों को राहत मिल सके।
बोड़ाम और पटमदा के किसानों की दुर्दशा क्यों?
बोड़ाम और पटमदा प्रखंड झारखंड के ऐसे क्षेत्र हैं, जहां का मुख्य व्यवसाय कृषि है। लेकिन यहां की सबसे बड़ी समस्या सिंचाई की कमी है।
- बारिश पर निर्भरता – किसानों को खेती के लिए पूरी तरह मानसून पर निर्भर रहना पड़ता है।
- जल स्रोतों की कमी – क्षेत्र में कोई प्रमुख नहर या जलाशय नहीं है, जिससे सालभर पानी की आपूर्ति हो सके।
- फसल उत्पादन पर असर – सिंचाई न होने के कारण किसान अधिकतर धान और कुछ अन्य मौसमी फसलें ही उगा पाते हैं।
इतिहास गवाह है – झारखंड के किसानों की यही कहानी!
झारखंड में किसानों की सिंचाई को लेकर दशकों से संघर्ष जारी है। राज्य में कृषि योग्य भूमि तो बहुत है, लेकिन पानी की कमी के कारण खेती पिछड़ी हुई है।
इतिहास में भी देखा गया है कि झारखंड के कई कृषि क्षेत्र सिर्फ अच्छी सिंचाई व्यवस्था के अभाव में पिछड़ गए। अगर यहां पानी की बेहतर व्यवस्था होती, तो यह क्षेत्र भी पंजाब और हरियाणा की तरह हरा-भरा बन सकता था।
कैसे होगा समाधान? चांडिल डैम बना सकता है जीवन रेखा
चांडिल डैम झारखंड की सबसे महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजनाओं में से एक है। अगर यहां से यूजीपीएल पाइपलाइन के जरिए पानी की आपूर्ति शुरू हो जाती है, तो बोड़ाम और पटमदा प्रखंडों में खेती को नई जान मिल सकती है।
नहरों या पाइपलाइन से पानी पहुंचाया जाए।
सरकार बजट में विशेष योजना बनाए।
जल्द से जल्द प्रोजेक्ट को मंजूरी मिले।
क्या सरकार करेगी कार्रवाई?
विधायक मंगल कालिंदी ने सरकार से यह मांग रखी है कि जल्द से जल्द इस परियोजना पर काम शुरू किया जाए। अब देखना यह होगा कि सरकार कब तक इस समस्या का समाधान निकालती है।
अगर इस साल सिंचाई योजना पर काम शुरू हो गया, तो अगले कुछ वर्षों में बोड़ाम और पटमदा के किसान भी आत्मनिर्भर बन सकते हैं। लेकिन अगर यह मुद्दा केवल विधानसभा में उठकर रह गया, तो किसानों को फिर से संघर्ष करना पड़ेगा।
किसानों और स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
बोड़ाम और पटमदा के किसानों ने विधायक की मांग का पूरा समर्थन किया है। उनका कहना है कि अगर सरकार जल्दी कोई कदम उठाए, तो इस क्षेत्र का भविष्य बदल सकता है।
क्या होगा अगर पानी नहीं मिला?
अगर सरकार ने इस मांग को अनदेखा किया, तो –
किसान हर साल नुकसान झेलते रहेंगे।
खेती छोड़कर पलायन करने को मजबूर होंगे।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था और कमजोर हो जाएगी।
अब आगे क्या?
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस मांग को गंभीरता से लेती है या नहीं। अगर सही समय पर फैसला लिया गया, तो यह क्षेत्र झारखंड के सबसे उपजाऊ इलाकों में गिना जाएगा।
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