JDU Leader Death: रांची में गम, जदयू नेता संजय सिन्हा का निधन, पार्टी में शोक की लहर!
झारखंड जदयू के कद्दावर नेता संजय सिन्हा का निधन! पार्टी में शोक की लहर, खीरू महतो बोले- "यह अपूरणीय क्षति है।" जानें पूरी खबर।

रांची से एक दुखद खबर सामने आई है। झारखंड जदयू के प्रदेश सचिव संजय सिन्हा उर्फ नागमणि का शनिवार को निधन हो गया। वे निमोनिया से पीड़ित थे और रांची के रिम्स अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। इलाज के दौरान ही उन्होंने आखिरी सांस ली। उनके निधन की खबर सुनकर झारखंड की राजनीति में शोक की लहर दौड़ गई।
पार्टी के लिए अपूरणीय क्षति – खीरू महतो
झारखंड प्रदेश जदयू अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद खीरू महतो ने संजय सिन्हा के निधन को पार्टी के लिए एक बड़ी क्षति बताया। उन्होंने कहा कि संजय सिन्हा जदयू के स्थापना काल से ही संगठन से जुड़े थे और अपनी मेहनत व लगन से पार्टी को मजबूत किया। उनके जाने से पार्टी को जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई संभव नहीं।
कौन थे संजय सिन्हा?
संजय सिन्हा झारखंड में जनता दल यूनाइटेड (JDU) के कद्दावर नेता माने जाते थे। वह पार्टी के शुरुआती दौर से जुड़े हुए थे और संगठन को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई।
उन्होंने झारखंड में जदयू को एक नई पहचान दिलाने के लिए संघर्ष किया। अपनी साफ-सुथरी छवि और जुझारू व्यक्तित्व की वजह से वे कार्यकर्ताओं के बीच बेहद लोकप्रिय थे। उनके निधन से न सिर्फ जदयू बल्कि झारखंड की राजनीति में भी एक खालीपन आ गया है।
बीमारी और अंतिम समय
जदयू के प्रवक्ता सागर कुमार ने जानकारी दी कि संजय सिन्हा को फेफड़ों में संक्रमण (निमोनिया) हो गया था। तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें रिम्स में भर्ती कराया गया था, जहां उनका इलाज चल रहा था। लेकिन उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ और शनिवार को उन्होंने अंतिम सांस ली।
राजनीति में संघर्ष की मिसाल थे संजय सिन्हा
संजय सिन्हा का राजनीतिक सफर संघर्षों से भरा हुआ था। उन्होंने जदयू को झारखंड में मजबूती देने के लिए गांव-गांव तक पार्टी का संदेश पहुंचाया। वे एक जुझारू नेता थे, जो हमेशा जनता के मुद्दों को उठाने के लिए आगे रहते थे।
झारखंड की राजनीति में उन्होंने कई बड़े आंदोलनों का नेतृत्व किया और पार्टी को ग्रासरूट लेवल तक मजबूत करने का काम किया। उनकी संगठन क्षमता और जनता से जुड़ने की कला उन्हें बाकी नेताओं से अलग बनाती थी।
झारखंड की राजनीति को बड़ा झटका!
संजय सिन्हा की मृत्यु से झारखंड की राजनीति को गहरा आघात पहुंचा है। कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।
इन नेताओं ने जताया शोक
संजय सिन्हा के निधन पर कई बड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं ने दुख प्रकट किया। शोक जताने वालों में पूर्व विधायक सुधा चौधरी, सरयू राय, कामेश्वर दास, जदयू नेता डॉ. आफताब जमील, धर्मेंद्र तिवारी, श्रवण कुमार, पीएन सिंह, भगवान सिंह, सागर कुमार, सोमेन दत्ता, उपेंद्र सिंह, संजय सिंह, लालचन महतो, रेणु पन्नीकर, आशा शर्मा, आशीष शीतल मुंडा, अखिलेश राय, रत्ना शर्मा और पिंटू सिंह का नाम शामिल है।
राजनीतिक इतिहास – जदयू का सफर और संजय सिन्हा की भूमिका
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा गठित जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने झारखंड में भी अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की। इस प्रक्रिया में संजय सिन्हा जैसे नेताओं का योगदान बेहद महत्वपूर्ण था।
उन्होंने झारखंड में जदयू को सत्ता में लाने के लिए संघर्ष किया और पार्टी को संगठन स्तर पर मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई। वे एक जमीन से जुड़े नेता थे, जो कार्यकर्ताओं और जनता के बीच काफी लोकप्रिय थे।
क्या कहते हैं जानकार?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि संजय सिन्हा का निधन झारखंड जदयू के लिए एक बड़ा झटका है। पार्टी के अंदर वे एक मजबूत संगठनकर्ता और संघर्षशील नेता के रूप में पहचाने जाते थे। उनके जाने से जदयू को एक बड़ा नेतृत्वीय नुकसान हुआ है।
संजय सिन्हा का निधन सिर्फ जदयू ही नहीं, बल्कि पूरे झारखंड की राजनीति के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी पार्टी और जनता की सेवा में लगा दी। उनकी संगठन क्षमता, नेतृत्व कौशल और संघर्षशीलता को हमेशा याद रखा जाएगा।
झारखंड की राजनीति में वे एक प्रेरणास्रोत के रूप में हमेशा याद किए जाएंगे। उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
What's Your Reaction?






