Jamshedpur Mutation: जमीन के कागज कंप्लीट फिर भी खेल जारी, क्यों अटक रहे 1,226 आवेदन?

झारखंड में म्यूटेशन माफिया का खेल जारी! ऑनलाइन होने के बावजूद 1,226 आवेदन अटके, 1,069 रिजेक्ट, जानिए म्यूटेशन में भ्रष्टाचार की पूरी कहानी।

Mar 12, 2025 - 10:27
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Jamshedpur Mutation: जमीन के कागज कंप्लीट फिर भी खेल जारी, क्यों अटक रहे 1,226 आवेदन?
Jamshedpur Mutation: जमीन के कागज कंप्लीट फिर भी खेल जारी, क्यों अटक रहे 1,226 आवेदन?

झारखंड में रैयती जमीन की खरीद-बिक्री के बाद म्यूटेशन (नामांतरण) करवाना किसी पहेली से कम नहीं। सरकार ने इसे ऑनलाइन तो कर दिया, लेकिन आज भी दलालों और भ्रष्टाचार के जाल में फंसा यह सिस्टम आम जनता के लिए सिरदर्द बना हुआ है।

पूर्वी सिंहभूम जिले में ही 1,226 आवेदन जनवरी से अब तक (5 मार्च 2025) पेंडिंग पड़े हुए हैं। दिलचस्प बात यह है कि 1,069 आवेदन यह कहकर रद्द कर दिए गए कि कागजात अधूरे हैं। लेकिन क्या यह सच्चाई है या फिर इसमें भी कोई गड़बड़झाला है?

 सबसे ज्यादा खेल जमशेदपुर में, हर फाइल के पीछे दलालों का दबाव!

  • सूत्रों के मुताबिक, सबसे ज्यादा लंबित केस जमशेदपुर अंचल के हैं।
  • ऑनलाइन म्यूटेशन लाने के पीछे सरकार की मंशा पारदर्शिता बढ़ाने की थी, लेकिन यहां भी दलालों और सरकारी बाबुओं की साठगांठ ने इसे उलझा दिया है।
  • म्यूटेशन ओके करवाने के नाम पर मोटी रकम मांगी जा रही है। जो भुगतान कर दे, उसका म्यूटेशन फटाफट, और जो पैसा न दे, उसका फॉर्म अधूरा बताकर रिजेक्ट!

म्यूटेशन का ‘सिंडिकेट’ – पैसा दो, नामांतरण लो!

  • सिंडिकेट ऐसे काम करता है कि आम आदमी चाहकर भी बिना रिश्वत दिए म्यूटेशन नहीं करवा सकता।
  • सरकारी रिकॉर्ड में 30 दिन में म्यूटेशन का नियम है, लेकिन ऑफिस के बाबू और बाहर बैठे दलाल इसे महीनों तक लटकाते हैं।
  • अगर पैसा न दो तो आवेदन रिजेक्ट, और अगर रिश्वत दो तो अधूरे कागजात के बावजूद भी फाइल पास!

 झारखंड में म्यूटेशन की ऐतिहासिक लड़ाई!

  • झारखंड में जमीन विवाद और म्यूटेशन की समस्या दशकों पुरानी है।
  • बिहार से अलग होने के बाद सरकार ने डिजिटल रजिस्टर और ऑनलाइन म्यूटेशन की व्यवस्था लागू की, लेकिन भ्रष्टाचार ने इसे भी नाकाम कर दिया।
  • पहले म्यूटेशन मैनुअल हुआ करता था, जिसमें हेराफेरी की काफी शिकायतें आती थीं।
  • ऑनलाइन सिस्टम में पारदर्शिता तो आई, लेकिन रिश्वतखोरी और जानबूझकर फाइल लटकाने की समस्या बढ़ गई।

 समाधान क्या है?

  1. ऑनलाइन पोर्टल को अधिक ट्रांसपेरेंट बनाना जरूरी।
  2. हर आवेदन की स्थिति ट्रैक करने के लिए एक पब्लिक डैशबोर्ड बनना चाहिए।
  3. अधिकारियों की जवाबदेही तय हो और भ्रष्ट कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई हो।
  4. ऑनलाइन ही डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन और अप्रूवल की प्रक्रिया लागू की जाए।

 जनता से सवाल – म्यूटेशन में लूट कब रुकेगी? आपकी राय दें!

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।