Anandpur Smuggling: आधी रात जंगल में छुपे तस्कर, 6 लाख की साल लकड़ी के साथ ट्रक जब्त!
आनंदपुर में आधी रात वन विभाग की बड़ी कार्रवाई! 6 लाख की अवैध साल लकड़ी के साथ ट्रक जब्त, तस्कर जंगल में फरार। पढ़ें पूरी खबर!

झारखंड के आनंदपुर में जंगलों की बेशकीमती साल लकड़ी पर माफियाओं की गिद्ध दृष्टि बनी हुई है। लेकिन इस बार उनका खेल बिगड़ गया। वन विभाग की टीम ने सोमवार रात 12:30 बजे गुप्त सूचना पर कार्रवाई करते हुए अवैध साल लकड़ी से लदे ट्रक को जब्त कर लिया। तस्करों को जैसे ही इस ऑपरेशन की भनक लगी, वे ट्रक छोड़कर घने जंगल में फरार हो गए।
पोड़ाहाट वन प्रमंडल के डीएफओ नीतीश कुमार ने बताया कि वन विभाग की टीम पेट्रोलिंग कर रही थी, तभी पेटेर गांव पुल के पास एक संदिग्ध ट्रक नजर आया। जैसे ही वनकर्मियों ने घेराबंदी शुरू की, तस्कर अंधेरे का फायदा उठाकर भाग निकले। जब टीम ने ट्रक की जांच की, तो उसमें 100 पीस साल लकड़ी के बोटे बरामद हुए, जिनकी कीमत लगभग 6 लाख रुपये बताई जा रही है।
बड़े गिरोह का कनेक्शन, तस्करों की तलाश तेज!
वन विभाग ने अज्ञात तस्करों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और जब्त ट्रक के आधार पर माफियाओं तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है। माना जा रहा है कि यह लकड़ी तस्करी का एक बड़ा नेटवर्क है, जो झारखंड के जंगलों से कीमती लकड़ी काटकर दूसरे राज्यों में भेजता है।
झारखंड में साल लकड़ी की तस्करी का काला खेल!
झारखंड के घने जंगलों में साल, शीशम और सागौन जैसी बहुमूल्य लकड़ियों की भारी तस्करी होती है।
- वन विभाग की लापरवाही और माफियाओं की मिलीभगत से यह गोरखधंधा तेजी से बढ़ रहा है।
- लकड़ी तस्करी के कारण हर साल सैकड़ों एकड़ जंगल खत्म हो रहे हैं, जिससे वन्यजीवों और पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है।
- स्थानीय गिरोह, बड़े लकड़ी व्यापारियों से मिलकर साल के बेशकीमती पेड़ों की अवैध कटाई कर रहे हैं और इसे बांग्लादेश, नेपाल और अन्य राज्यों में ऊंचे दामों पर बेचते हैं।
क्या अवैध लकड़ी तस्करी को रोका जा सकता है?
झारखंड के जंगलों में पिछले कुछ सालों में लकड़ी तस्करी के मामलों में भारी इजाफा हुआ है। हालांकि, वन विभाग की ओर से इस तरह की गुप्त ऑपरेशनों के जरिए तस्करों पर शिकंजा कसने की कोशिश की जा रही है। लेकिन, इस अवैध कारोबार पर पूरी तरह रोक लगाने के लिए सरकार को और सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
सख्त कार्रवाई की जरूरत!
- CCTV और ड्रोन निगरानी से जंगलों में अवैध गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जाए।
- वन विभाग में अधिक कर्मियों की भर्ती हो और पेट्रोलिंग बढ़ाई जाए।
- तस्करों पर सख्त कानूनी कार्रवाई कर उनके नेटवर्क को खत्म किया जाए।
सवाल आपसे – क्या झारखंड के जंगल बच पाएंगे? अपनी राय कमेंट में दें!
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