Jamshedpur Clash: नशे में दोस्तों के बीच चाकू से हमला, एक युवक लहूलुहान, इलाके में दहशत
जमशेदपुर के सीतारामडेरा थाना क्षेत्र में नशे में धुत युवकों की मामूली कहासुनी खूनी झगड़े में बदल गई। चाकूबाजी में एक युवक गंभीर रूप से घायल हो गया। उरांव बस्ती में लंबे समय से मादक पदार्थों का कारोबार फल-फूल रहा है, जिस पर पुलिस कार्रवाई सवालों के घेरे में है।
जमशेदपुर शहर में अपराध और नशे का गठजोड़ कोई नई बात नहीं है। सीतारामडेरा थाना क्षेत्र की उरांव बस्ती एक बार फिर सुर्खियों में है, जब नशे की हालत में मामूली विवाद ने खूनी रूप ले लिया। यह घटना न केवल इलाके की असुरक्षा को उजागर करती है, बल्कि उस गहरे जख्म को भी दिखाती है जो समाज में नशे की जड़ों ने छोड़ दिया है।
चाकूबाजी तक पहुंचा विवाद
गुरुवार देर रात गोलू तिर्की अपने घर पर 3-4 दोस्तों के साथ ब्राउन शुगर का सेवन कर रहा था। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, नशे में धुत इन युवकों के बीच एक साधारण कीपैड मोबाइल फोन को लेकर कहासुनी शुरू हुई। कुछ ही देर में यह कहासुनी गाली-गलौज और फिर हाथापाई में बदल गई। अचानक गोलू तिर्की ने धारदार चाकू उठाकर अपने साथी राजा लोहार पर हमला कर दिया।
हमले में राजा लोहार बुरी तरह घायल हो गया। खून से लथपथ हालत में उसने किसी तरह जान बचाई और सीधे सीतारामडेरा थाना पहुँचकर पुलिस से मदद की गुहार लगाई।
नशे का अड्डा बना इलाका
उरांव बस्ती का नाम पिछले कई वर्षों से ब्राउन शुगर और अन्य नशे के कारोबार के लिए कुख्यात रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस को बार-बार शिकायत करने के बावजूद स्थिति जस की तस है। छोटे-छोटे घरों और झुग्गियों के बीच नशे का यह धंधा इतनी गहराई से जड़ जमा चुका है कि युवा पीढ़ी धीरे-धीरे इसकी गिरफ्त में फंस रही है।
राजा लोहार ने पुलिस को बताया कि घटना के समय सभी युवक नशे में पूरी तरह धुत थे। ऐसे में यह विवाद सामान्य झगड़े की तरह लग रहा था, लेकिन नशे के असर ने इसे हिंसा की हद तक पहुँचा दिया।
पुलिस की प्रतिक्रिया
घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस ने घायल को अस्पताल भिजवाया, जहां उसका इलाज चल रहा है। वहीं आरोपित गोलू तिर्की और उसके साथियों की तलाश जारी है। अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है, लेकिन पुलिस का कहना है कि जल्द ही दोषियों को पकड़ लिया जाएगा।
पुलिस प्रशासन ने इलाके में नियमित छापेमारी और पेट्रोलिंग की बात कही है। अधिकारियों का मानना है कि उरांव बस्ती जैसे इलाकों में तब तक सुधार नहीं हो सकता, जब तक वहां नशे के अवैध धंधे को पूरी तरह खत्म न किया जाए।
इतिहास से सबक
जमशेदपुर का नाम कभी औद्योगिक नगरी और खेलों की धरती के रूप में लिया जाता था। यहां फुटबॉल और हॉकी जैसे खेलों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खिलाड़ियों को जन्म दिया। लेकिन धीरे-धीरे बस्तियों में बेरोजगारी और गरीबी ने नशे के कारोबार को जन्म दिया। खासकर 90 के दशक से शहर में ब्राउन शुगर की पैठ लगातार बढ़ती गई।
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि अगर उस दौर में प्रशासन ने सख्त कदम उठाए होते, तो आज हालात इतने खराब न होते।
लोगों की नाराजगी
इलाके में इस घटना के बाद दहशत का माहौल है। लोग openly यह सवाल उठा रहे हैं कि आखिर पुलिस बार-बार शिकायत के बावजूद बड़ी कार्रवाई क्यों नहीं करती? महिलाएं और बुजुर्ग डर के साए में जी रहे हैं। उनका कहना है कि जब तक उरांव बस्ती से नशे का कारोबार पूरी तरह समाप्त नहीं होगा, तब तक ऐसी वारदातें होती रहेंगी।
यह घटना केवल एक खूनी झगड़ा नहीं, बल्कि उस सामाजिक बीमारी का संकेत है जो शहर की जड़ों को खोखला कर रही है। जमशेदपुर जैसे बड़े औद्योगिक शहर में अगर युवा पीढ़ी नशे के गर्त में डूबती रही, तो आने वाला भविष्य और भी खतरनाक हो सकता है। पुलिस प्रशासन के लिए यह वक्त है कि वह तुरंत और ठोस कार्रवाई करे, ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
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