Jamshedpur CCTV: मतगणना स्थल पर 40 मिनट तक सीसीटीवी डिस्प्ले बंद, बढ़ी सियासी हलचल
जमशेदपुर मतगणना स्थल पर 40 मिनट तक सीसीटीवी डिस्प्ले बंद, प्रशासन ने दी तकनीकी खामी की सफाई। जानें इस घटना के पीछे की पूरी कहानी।
जमशेदपुर: मतगणना के दौरान जमशेदपुर कोऑपरेटिव कॉलेज में एक अप्रत्याशित घटना ने राजनीतिक दलों और कार्यकर्ताओं के बीच हड़कंप मचा दिया। देर रात करीब 2:15 बजे से 2:55 बजे तक सीसीटीवी कैमरे का डिस्प्ले बंद हो गया, जिससे संदेह और सवालों का दौर शुरू हो गया।
क्या हुआ था घटनास्थल पर?
मतगणना स्थल पर राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं के लिए सीसीटीवी डिस्प्ले लगाया गया था, ताकि मतगणना प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे। लेकिन अचानक करीब 40 मिनट तक यह डिस्प्ले बंद हो गया। कार्यकर्ताओं ने इस पर तुरंत आपत्ति जताई और प्रशासन से जवाब मांगा।
प्रशासनिक अधिकारियों ने दावा किया कि तकनीकी खामी के चलते डिस्प्ले बंद हुआ, लेकिन लाइव वीडियो रिकॉर्डिंग चालू थी। उन्होंने यह भी कहा कि सभी सील सही पाए गए हैं और प्रत्याशियों को लाइव फुटेज दिखाने की पेशकश की गई।
इतिहास में पारदर्शिता के सवाल
चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखना हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है। भारतीय चुनाव आयोग ने 2008 में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के साथ पारदर्शिता को मजबूत करने के लिए मतगणना स्थलों पर सीसीटीवी निगरानी की शुरुआत की थी। लेकिन ऐसी घटनाएं इस पारदर्शिता पर सवाल खड़े करती हैं।
इससे पहले 2017 में उत्तर प्रदेश चुनावों के दौरान भी सीसीटीवी फुटेज से जुड़ा विवाद सामने आया था। विपक्षी दलों ने सीसीटीवी कैमरों के 'ब्लैकआउट' का आरोप लगाते हुए प्रशासन पर गंभीर सवाल उठाए थे।
40 मिनट का 'ब्लैकआउट': क्या है चर्चा?
हालांकि प्रशासन ने तकनीकी खामी को जिम्मेदार ठहराते हुए मामले को शांत करने की कोशिश की, लेकिन राजनीतिक दल इसे लेकर सवाल उठा रहे हैं। कार्यकर्ताओं का कहना है कि सीसीटीवी डिस्प्ले बंद होने का समय बेहद संदेहजनक है। उनका सवाल है कि क्या यह वाकई तकनीकी खामी थी या मतगणना प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश?
प्रशासन ने दावा किया कि:
- लाइव रिकॉर्डिंग चालू थी।
- सभी सील सही पाई गईं।
- प्रत्याशियों को फुटेज दिखाने की व्यवस्था है।
मीडिया को क्यों नहीं दी गई जानकारी?
घटना के कई घंटे बाद तक प्रशासन ने मीडिया को कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया। इसने भी मामले को लेकर चर्चा तेज कर दी है। क्या प्रशासन कुछ छुपाने की कोशिश कर रहा है, या यह महज एक साधारण तकनीकी खामी थी?
शांतिपूर्ण मतगणना जारी
घटना के बाद हालांकि मतगणना का काम शांतिपूर्ण ढंग से शुरू हो गया। सबसे पहले पोस्टल बैलट की गिनती हुई और इसके बाद ईवीएम गिनती प्रक्रिया शुरू हुई।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
चुनावी मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं न केवल प्रशासन की छवि को प्रभावित करती हैं, बल्कि मतगणना प्रक्रिया की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़ा करती हैं। तकनीकी खामी का तर्क सही हो सकता है, लेकिन प्रशासन को घटना के तुरंत बाद पारदर्शी जानकारी देनी चाहिए थी।
आगे क्या होगा?
प्रत्याशियों और कार्यकर्ताओं के लिए प्रशासन की अगली कार्रवाई महत्वपूर्ण होगी। अगर फुटेज सही पाए जाते हैं और कोई गड़बड़ी नहीं होती, तो यह मामला शांत हो सकता है। लेकिन अगर कुछ भी संदिग्ध पाया गया, तो यह चुनावी प्रक्रिया पर बड़ा सवाल खड़ा कर सकता है।
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