Jamshedpur Border Tiger Terror: पटमदा में फिर पहुंचा बाघ, पंजे के नए निशान से मचा हड़कंप!

पटमदा क्षेत्र में फिर से बाघ के पंजे के निशान मिलने से इलाके में डर का माहौल, जानें क्या है इस बाघ का रहस्य और वन विभाग ने क्या कदम उठाए!

Jan 28, 2025 - 15:33
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Jamshedpur Border Tiger Terror: पटमदा में फिर पहुंचा बाघ, पंजे के नए निशान से मचा हड़कंप!
Jamshedpur Border Tiger Terror: पटमदा में फिर पहुंचा बाघ, पंजे के नए निशान से मचा हड़कंप!

पटमदा में फिर से बाघ का आतंक बढ़ गया है, जिससे ग्रामीणों में खौफ का माहौल बना हुआ है। सरायकेला-खरसावां जिले के चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के बाद अब यह बाघ पटमदा के बाटालुका और कुकड़ू गांव तक पहुंच चुका है, जहां बाघ के पंजे के नए निशान मिले हैं और बाघ की दहाड़ से डर का माहौल है। यह घटना पटमदा के गोबरघुसी पंचायत के कुकड़ू एवं अपो गांव में सामने आई, जिससे यहां के लोग भयभीत हो गए हैं।

पटमदा में बाघ का आगमन:

पटमदा क्षेत्र में यह बाघ पश्चिम बंगाल से होकर आया है और फिर बूढ़ाबूढ़ी पहाड़ और घाटशिला क्षेत्र में कुछ दिन बिताने के बाद पुनः पटमदा क्षेत्र में देखा गया। सोमवार रात से मंगलवार की सुबह तक बाघ की उपस्थिति ने इलाके के लोगों को दहशत में डाल दिया है। बाघ की दहाड़ ने ग्रामीणों को और भी अधिक भयभीत किया, खासकर उन लोगों को जो जंगल में लकड़ी लेने या खरगोश शिकार करने के लिए जाते हैं।

ग्रामीणों का डर और सतर्कता:

कुकड़ू और अपो गांव के ग्रामीणों ने बाघ के पंजे के निशान देखे और तुरंत इसकी सूचना वन विभाग को दी। वृकोदर सबर और अजीत सिंह ने पहले बाघ को नजदीक से देखा और ग्रामीणों को इस बारे में आगाह किया। बाघ के पंजे के निशान को देखने के बाद वन विभाग ने सतर्कता बरतने की अपील की। ग्रामीणों ने इस मामले को गंभीरता से लिया और जंगल में न जाने की सलाह दी।

वन विभाग की कार्रवाई:

वन विभाग ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए पलामू जोन से बाघ पकड़ने के लिए एक स्पेशल टीम भेजी। टीम ने इलाके का मुआयना किया और बाघ के पंजे के निशान से यह पुष्टि की कि बाघ इसी क्षेत्र में मौजूद है। इसके बाद वन विभाग ने बाघ को ट्रैक करने के लिए जगह-जगह कैमरे लगाए। साथ ही, ग्रामीणों से जंगल में न जाने और रात के समय बाहर न निकलने की अपील की।

बाघ का रहस्य:

यह बाघ पिछले कुछ दिनों से पटमदा क्षेत्र में घूम रहा है, और इसके पीछे एक रहस्य भी है। कई दिनों से यह बाघ पश्चिम बंगाल, बूढ़ाबूढ़ी पहाड़, और घाटशिला क्षेत्र में देखा गया था, लेकिन अब यह पटमदा तक पहुंच चुका है। इसके पंजे के निशान और दहाड़ से साफ है कि बाघ अपने रास्ते में काफी दूर तक सफर कर चुका है। यह किसी वन्यजीव के लिए एक असामान्य यात्रा हो सकती है, क्योंकि बाघ आमतौर पर बहुत बड़े इलाके में घूमते हैं और अपनी उपस्थिति को महसूस कराते हैं।

इतिहास और वर्तमान संदर्भ:

पटमदा और आसपास के इलाके में बाघों का इतिहास बहुत पुराना है। पहले भी यहां बाघों की गतिविधियां देखी गई थीं, लेकिन इस बार यह बाघ इतनी बड़ी संख्या में और लगातार अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है। वन विभाग और स्थानीय प्रशासन की कोशिशें इस बाघ को पकड़ने की हैं, ताकि ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। हालांकि, इन बाघों का अस्तित्व और इनकी यात्रा भी एक दिलचस्प अध्ययन है, क्योंकि बाघों का शिकार और इनके प्राकृतिक आवास में बदलाव इनकी गतिविधियों को प्रभावित कर सकते हैं।

पटमदा क्षेत्र में बाघ के आगमन ने एक बार फिर जंगलों में छुपे हुए खतरों को उजागर किया है। वन विभाग की टीम अब बाघ की पहचान और उसे पकड़ने के लिए लगातार प्रयासरत है। ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए जंगलों में घुसने से बचने की सलाह दी जा रही है। इस बाघ के रहस्य और इसकी यात्रा के बारे में और जानकारी जुटाई जा रही है, ताकि बाघ को सुरक्षित तरीके से इलाके से हटाया जा सके।

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