Jamshedpur BJP Resignation: भाजपा के सदस्यता अभियान में उभरे बगावती तेवर, देवेंद्र कुमार सिंह ने दिया इस्तीफा
जमशेदपुर भाजपा में सदस्यता अभियान के दौरान बगावत के स्वर, देवेंद्र कुमार सिंह ने मंडल के सह सदस्यता प्रभारी पद से इस्तीफा दिया। जानें क्या हैं इसके पीछे की वजहें और क्या है राजनीतिक तनाव का असली कारण।
जमशेदपुर में भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के चल रहे सदस्यता अभियान के बीच बगावती तेवर सामने आए हैं। परसुडीह भाजपा मंडल के महामंत्री देवेंद्र कुमार सिंह ने मंडल के सह सदस्यता प्रभारी के पद से इस्तीफा दे दिया है। यह कदम भाजपा में संगठनात्मक संकट को लेकर उठाया गया है, जिसमें मंडल स्तर पर विवाद बढ़ता जा रहा है।
क्या है इस्तीफे की वजह?
देवेंद्र कुमार सिंह ने भाजपा के जमशेदपुर महानगर कार्यालय में पहुंचकर महामंत्री बबुआ सिंह और अन्य नेताओं को ज्ञापन सौंपते हुए यह आरोप लगाया कि उन्हें बिना किसी चर्चा के ही सह सदस्यता प्रभारी नियुक्त किया गया। उनका कहना था, "मुझे यह जानकारी मिली कि जमशेदपुर महानगर के उत्तरदायी प्रभारी ने मुझे सह सदस्यता प्रभारी के पद पर नियुक्त किया, लेकिन इस पर कोई विमर्श या सहमति नहीं ली गई।"
देवेंद्र कुमार सिंह ने यह भी कहा कि वे हमेशा भा.ज.पा. के लिए काम करते आए हैं और आगे भी करते रहेंगे, लेकिन इस तरीके से उनका अपमान किया गया है, जिससे उन्होंने यह कदम उठाया। उनका कहना था, "मुझे हमेशा संगठन की सेवा में काम करने के लिए प्रेरित किया गया, लेकिन इस अपमानजनक स्थिति के कारण मैं इस्तीफा दे रहा हूँ।"
संगठन में बढ़ता विवाद
यह मामला भाजपा के अंदर संगठनात्मक ढांचे को लेकर हो रहे विवाद का संकेत देता है। जब से सदस्यता अभियान शुरू हुआ है, भाजपा के विभिन्न गुटों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया है। परसुडीह भाजपा मंडल में देवेंद्र कुमार सिंह का इस्तीफा यह दर्शाता है कि पार्टी में विवाद अब तक बढ़ते जा रहे हैं।
देवेंद्र कुमार सिंह का इस्तीफा भा.ज.पा. के नेतृत्व में तकरार की स्थिति को और भी अधिक उजागर करता है, जिसके चलते पार्टी के अंदर खींचतान बढ़ सकती है। उनका कहना है कि यह फैसला उन्हें नीचा दिखाने और अपमानित करने के उद्देश्य से लिया गया है, जिसके बाद उनका भरोसा टूट चुका है।
भा.ज.पा. के पदाधिकारियों से की गई शिकायत
देवेंद्र कुमार सिंह और उनके समर्थकों ने इस मामले को लेकर जमशेदपुर के भा.ज.पा. महामंत्री बबुआ सिंह और अन्य वरिष्ठ नेताओं से कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी के भीतर संगठनात्मक निर्णय लेने में पारदर्शिता की कमी है, और इसने कार्यकर्ताओं के बीच धोखा और निराशा का माहौल बना दिया है।
सिंह का यह इस्तीफा भाजपा के लिए एक चुनौती बन सकता है, क्योंकि सदस्यता अभियान को लेकर पहले ही कई राजनीतिक विवादों का सामना करना पड़ रहा है।
भा.ज.पा. के भीतर की राजनीति
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह इस्तीफा केवल एक व्यक्ति की नाराजगी नहीं, बल्कि पार्टी के अंदर अंतर्कलह की गंभीर स्थिति को उजागर करता है। सदस्यता अभियान के दौरान यदि इसी तरह के विवाद बढ़ते गए, तो पार्टी को भविष्य में संगठनात्मक मजबूती के लिए नई दिशा की आवश्यकता हो सकती है।
इस्तीफे के बाद, अब यह देखना होगा कि पार्टी के अंदर यह विवाद किस रूप में सुलझता है और देवेंद्र कुमार सिंह जैसे नेताओं की नाराजगी पार्टी के लिए आगे किस प्रकार की राजनीतिक जटिलताएं उत्पन्न करती है।
क्या भाजपा इस बगावती स्थिति से निपट पाएगी, या यह मुद्दा पार्टी के भीतर और भी बड़े विवाद को जन्म देगा? यही सवाल अब भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच चर्चा का विषय बन गया है।
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