जमशेदपुर पूर्वी की सियासी जंग: सरयू राय की धमाकेदार वापसी, भाजपा-रघुवर दास के बीच सत्ता की रस्साकशी!
जमशेदपुर पूर्वी की सीट पर सरयू राय की एंट्री ने सियासी समीकरण बदल दिए हैं। रघुवर दास बैकफुट पर, जदयू का टिकट पाकर सरयू राय ने बढ़ाई भाजपा की मुश्किलें। जानिए, सियासी जंग की पूरी कहानी।
जमशेदपुर पूर्वी की सियासी जंग: सरयू राय की धमाकेदार वापसी, भाजपा-रघुवर दास के बीच सत्ता की रस्साकशी!
झारखंड की सबसे हॉट सीटों में से एक, जमशेदपुर पूर्वी, इस बार फिर राजनीतिक अखाड़े में तब्दील हो चुकी है। जदयू के टिकट पर विधायक सरयू राय की धमाकेदार एंट्री ने भाजपा और रघुवर दास की रणनीतियों को तगड़ा झटका दिया है। कभी भाजपा का हिस्सा रहे सरयू राय अब जदयू के टिकट पर जमशेदपुर पूर्वी से चुनाव लड़ने को तैयार हैं, जिससे इस सीट पर सियासी पारा चढ़ चुका है।
सरयू राय की नई सियासी चाल और भाजपा का बैकफुट पर आना
जमशेदपुर पूर्वी की सीट पर पिछले कुछ दिनों से सियासी रस्साकशी जारी थी। ओडिशा के राज्यपाल और पूर्व सीएम रघुवर दास इस सीट पर उतावले हो रहे थे, लेकिन भाजपा ने उन्हें साफ कर दिया कि अब जमशेदपुर पूर्वी पर ज्यादा हड़बड़ी न करें। जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने भी दो टूक शब्दों में कह दिया कि यह सीट जदयू को चाहिए ही चाहिए और कोई समझौता नहीं होगा। भाजपा के काफी प्रयासों के बाद भी यह सीट अंततः जदयू के खाते में चली गई, जिससे रघुवर दास बैकफुट पर आ गए हैं।
जदयू से लड़ने का फायदा और सरयू राय की रणनीति
जदयू से चुनाव लड़ने का सरयू राय को बड़ा फायदा मिला है। जमशेदपुर पूर्वी की सीट पर जदयू के पास राजनीतिक संगठन मजबूत नहीं है, लेकिन सरयू राय की रणनीति और उनका जनाधार यहां काफी असरदार है। जदयू से जुड़कर सरयू राय ने इस सीट पर अपनी दावेदारी और भी पुख्ता कर ली है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि सरयू राय जदयू के टिकट पर चुनाव लड़कर भाजपा के कैडर और पदाधिकारियों को साधने की कोशिश करेंगे। हालांकि, इस बार भी उनके सामने चुनौतियां कम नहीं होंगी। भाजपा के मजबूत नेटवर्क और रघुवर दास के करीबी संगठनों का दबदबा यहां साफ देखा जा सकता है।
डैमेज कंट्रोल में जुटी भाजपा और रघुवर दास की हड़बड़ी
रघुवर दास इस सीट पर चुनाव लड़ने के लिए हड़बड़ी में थे, लेकिन असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने उन्हें समझाया कि पार्टी के फैसले के खिलाफ जाने से उन्हें नुकसान हो सकता है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की ओर से रघुवर को यह भी बताया गया कि जदयू केंद्र में एनडीए का सहयोगी है, इसलिए उसकी बात मानना पार्टी की मजबूरी है।
भाजपा हर हाल में इस बार झारखंड में सरकार बनाने की रणनीति पर काम कर रही है। पार्टी नहीं चाहती कि जमशेदपुर पूर्वी की सीट उसके हाथ से निकले, इसलिए रघुवर को शांत रहने के लिए कहा गया है। लेकिन रघुवर और सरयू की पुरानी अदावत को देखते हुए यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार किसकी जीत होती है।
सरयू राय और रघुवर दास: पुरानी अदावत और नई जंग
रघुवर दास और सरयू राय के बीच की अदावत कोई नई बात नहीं है। 2014 में जब रघुवर दास की सरकार बनी, तब सरयू राय को मंत्री पद मिलने में भी काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। सरकार के अहम फैसलों में सरयू राय को शामिल नहीं किया जाता था और वे हमेशा हाशिए पर रहे। 2019 के विधानसभा चुनाव में भी सरयू राय को उनकी सीट जमशेदपुर पश्चिम से टिकट मिलने में संदेह था, जिसके बाद उन्होंने बगावत कर दी और जमशेदपुर पूर्वी से रघुवर के खिलाफ निर्दलीय मैदान में उतर गए।
सरयू राय ने 2019 के चुनाव में रघुवर दास को 15 हजार से अधिक वोटों से शिकस्त दी थी, जिससे रघुवर दास का राजनीतिक करियर ही दांव पर लग गया। इस जीत के बाद सरयू राय का कद जमशेदपुर में और बढ़ गया और अब जदयू का समर्थन पाकर वे और भी मजबूत हो गए हैं।
कांग्रेस के डॉ. अजय कुमार और सरयू राय के बीच टक्कर की उम्मीद
इस बार जमशेदपुर पूर्वी सीट पर सरयू राय के सामने कांग्रेस के डॉ. अजय कुमार का सामना हो सकता है। डॉ. अजय कुमार पूर्व सांसद हैं और कांग्रेस के टिकट के दावेदार हैं। कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने उन्हें जमशेदपुर पूर्वी से तैयारी करने के लिए हरी झंडी दे दी है।
हालांकि, कांग्रेस के अंदरूनी खींचतान के कारण कुछ नेता नहीं चाहते कि डॉ. अजय कुमार को टिकट मिले। कांग्रेस के जिलाध्यक्ष आनंद बिहारी दुबे भी इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए लॉबिंग कर रहे हैं। लेकिन फिलहाल डॉ. अजय का टिकट पक्का माना जा रहा है।
सरयू राय की राह कितनी होगी आसान?
जमशेदपुर पूर्वी की सीट पर सरयू राय की राह उतनी आसान नहीं होगी जितनी पहले मानी जा रही थी। भले ही भाजपा का कोई उम्मीदवार उनके सामने न हो, लेकिन अंदरूनी भितरघात और रघुवर दास के करीबी संगठनों का दबदबा उन्हें चुनौती दे सकता है। सरयू राय को जदयू के टिकट से कितना फायदा होगा, यह उनके चुनावी कौशल और जनाधार पर निर्भर करता है।
सियासी विश्लेषकों का मानना है कि इस बार जमशेदपुर पूर्वी की सीट पर मुकाबला कांटे का होगा। सरयू राय को जदयू के समर्थन से फायदा तो मिलेगा, लेकिन भाजपा के संगठनों को साधना उनके लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकता है। वहीं, कांग्रेस के डॉ. अजय कुमार भी उनके सामने चुनौती पेश करने के लिए तैयार हैं।
इस सियासी जंग में कौन विजयी होगा, यह आने वाले चुनावी परिणाम ही बताएंगे, लेकिन एक बात तो तय है कि जमशेदपुर पूर्वी की सीट पर इस बार रोमांचक मुकाबला देखने को मिलेगा।
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