इश्क़ का रोग लगा है मुझे नादानी में - पीयूष आज़ाद (पटना, बिहार)
इश्क़ का रोग लगा है मुझे नादानी में - पीयूष आज़ाद (पटना, बिहार)
इश्क़ का रोग लगा है मुझे नादानी में..
हुस्न लेता है मज़े,मुझ से परेशानी में
इश्क़ का रोग लगा है मुझे नादानी में
बदला बदला सा हूँ, जिस दिन से उन्हें देख लिया
आईना देखता रहता हूँ मैं हैरानी में,
वो चले आते हैं दरया के किनारे अक्सर
आग हरगिज़ न लगा बैठें कहीं पानी में
हार बैठा हूँ दिलो जान उसी जोगन पर
प्यार की भीख मिली है मुझे सुल्तानी में
चाह कर भी मैं बयां कर न सकूँ हाले दिल
जाने क्या क्या नज़र आया मुझे दीवानी में
बस तेरे प्यार में ठुकराई है दुनिया सारी
तू अमानत है मेरी बे सरो सामानी में
हो के आज़ाद मैं नज़रों में तेरी क़ैद रहा
इश्क़ मुश्किल का मज़ा पाता है आसानी में।
पीयूष आज़ाद
पटना, बिहार
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