ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ स्वरूप: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर विश्वविद्यालय में कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद नहीं, बल्कि साक्षात विश्वनाथ स्वरूप है। उन्होंने आदि शंकराचार्य की साधना का उल्लेख करते हुए यह बयान दिया।

Sep 14, 2024 - 16:14
 0
ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ स्वरूप: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ स्वरूप: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

गोरखपुर, 14 सितंबर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर ज्ञानवापी के धार्मिक महत्व पर जोर देते हुए इसे साक्षात विश्वनाथ का स्वरूप बताया। 14 सितंबर को गोरखपुर के दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय में आयोजित 'समरस समाज के निर्माण में नाथपंथ का योगदान' विषयक संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र के दौरान उन्होंने यह बात कही। योगी ने अपने भाषण में आदि शंकराचार्य की काशी में की गई साधना का उल्लेख करते हुए कहा कि आज जिस ज्ञानवापी को कुछ लोग मस्जिद कहते हैं, वह वास्तव में साक्षात विश्वनाथ हैं।

आदि शंकराचार्य की काशी यात्रा का उल्लेख
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जब आदि शंकराचार्य अपने अद्वैत ज्ञान के प्रचार के लिए काशी आए थे, तब भगवान विश्वनाथ ने उनकी परीक्षा ली थी। एक अछूत के रूप में प्रकट होकर भगवान ने शंकराचार्य से पूछा था कि अगर ब्रह्म अद्वैत है, तो उनके और अन्य लोगों में क्या फर्क है? यह घटना काशी के ज्ञानवापी क्षेत्र से जुड़ी है, जो आज भी साक्षात विश्वनाथ स्वरूप है। योगी ने इस प्रसंग को बताते हुए कहा कि ज्ञानवापी का नाम लेना भगवान विश्वनाथ के साक्षात रूप का स्मरण करना है।

नाथपंथ की समरसता पर जोर
योगी आदित्यनाथ ने नाथपंथ की परंपरा की सराहना करते हुए कहा कि यह पंथ सदैव समाज को जोड़ने का काम करता है। नाथपंथ की शिक्षाएं किसी जाति, धर्म या संप्रदाय की सीमा में बंधी नहीं हैं। इसका मूल उद्देश्य सामाजिक समरसता और मानव कल्याण है। नाथपंथ के सिद्धांतों में छुआछूत और भेदभाव की कोई जगह नहीं है। योगी ने कहा कि अगर हमारे समाज में अस्पृश्यता जैसी बुराइयां न होतीं, तो हमारा देश कभी गुलाम नहीं होता।

महायोगी गोरखनाथ की शिक्षाओं का उल्लेख
सीएम योगी ने महायोगी गुरु गोरखनाथ का भी विस्तार से उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि गोरखनाथ जी ने अपने पदों और दोहों के माध्यम से सामाजिक एकता और समरसता को बढ़ावा दिया। योगी ने संत कबीर और गोस्वामी तुलसीदास के उद्धरणों के माध्यम से नाथपंथ की व्यापकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि नाथपंथ का साहित्य सामाजिक समरसता के महत्व को दर्शाता है और आज भी यह पंथ समाज को जोड़ने का कार्य कर रहा है।

देशभर में नाथपंथ के अमिट चिह्न
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि नाथपंथ की परंपरा देश के हर कोने में मौजूद है, चाहे वह उत्तर भारत हो या दक्षिण। उन्होंने हाल ही में तमिलनाडु के एक संत से मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें दक्षिण भारत के कई क्षेत्रों में नाथपंथ की प्राचीन पांडुलिपियां मिली हैं। इसी तरह महाराष्ट्र, पंजाब, बंगाल और अन्य राज्यों में भी नाथपंथ की गहरी जड़ें हैं। योगी ने कहा कि नाथपंथ का विस्तार न केवल भारत में, बल्कि नेपाल, बांग्लादेश, तिब्बत, पाकिस्तान जैसे देशों में भी देखा जा सकता है।

नाथपंथ और राष्ट्रीय एकता
योगी ने कहा कि नाथपंथ ने हर समय की परिस्थितियों के अनुरूप अपनी भूमिका निभाई है। जब देश पर बाहरी आक्रमण हुए, तो नाथपंथ के योगियों ने सारंगी वादन के माध्यम से समाज को देश की सुरक्षा के प्रति जागरूक किया। इस पंथ ने न केवल सामाजिक रूढ़ियों पर प्रहार किया, बल्कि राष्ट्रीय एकता को भी मजबूत किया।

हिंदी भाषा का महत्त्व
मुख्यमंत्री ने हिंदी दिवस के अवसर पर सभी को शुभकामनाएं दीं और हिंदी को देश को जोड़ने की भाषा बताया। उन्होंने कहा कि हिंदी हमारी सांस्कृतिक धरोहर है और इसका मूल संस्कृत में है। योगी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि पिछले 10 वर्षों में केंद्र सरकार ने हिंदी को वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाने का काम किया है।

समरस समाज के निर्माण की आवश्यकता
समारोह में उपस्थित अन्य वक्ताओं ने भी नाथपंथ के सामाजिक योगदान की सराहना की। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक के कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने कहा कि नाथपंथ सर्वसमाज के कल्याण का पथ प्रदर्शक है। उन्होंने कहा कि यह पंथ समाज के सभी वर्गों के लिए है और सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय के सिद्धांत पर आधारित है।

नाथपंथ पर शोध और पुस्तक विमोचन
इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीन पुस्तकों का विमोचन किया, जिनमें 'नाथपंथ का इतिहास', 'नाथपंथ की प्रवेशिका' और 'कुंडलिनी' पत्रिका शामिल थीं। उन्होंने गोरखनाथ शोधपीठ से आग्रह किया कि नाथपंथ के सभी पहलुओं को संरक्षित करने के लिए एक म्यूजियम की स्थापना की जाए, ताकि आने वाली पीढ़ियां इस महान पंथ के बारे में जान सकें।

दिव्यांगजन कैंटीन का शुभारंभ
कार्यक्रम के अंत में मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय परिसर में दिव्यांगजन कैंटीन का भी उद्घाटन किया। इस कैंटीन का संचालन दिव्यांगजन द्वारा किया जाएगा। योगी ने इस पहल की सराहना की और कैंटीन के संचालकों का मनोबल बढ़ाया।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।