Ghatshila Tragedy: हाथी के हमले में ग्रामीण की दर्दनाक मौत, दहशत में पूरा गांव!
गुड़ाबांदा के माछभंडार गांव में हाथी के हमले से एक ग्रामीण की दर्दनाक मौत। वन विभाग की लापरवाही उजागर, दहशत में पूरा गांव। क्या प्रशासन अब जागेगा? पढ़ें पूरी खबर!

झारखंड के घाटशिला अनुमंडल के गुड़ाबांदा प्रखंड में हाथियों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा। मंगलवार की सुबह माछभंडार गांव के पांड्राशोली निवासी हाड़ीराम मुर्मू (46 वर्ष) की हाथी के हमले में दर्दनाक मौत हो गई। इस घटना के बाद पूरे इलाके में डर और दहशत का माहौल है।
सुबह की सैर बनी आखिरी सफर!
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हाड़ीराम मुर्मू रोज की तरह सुबह टहलने निकले थे। लेकिन उन्हें क्या पता था कि यह उनका आखिरी सफर होगा! जैसे ही वे रास्ते पर आगे बढ़े, अचानक एक जंगली हाथी के सामने आ गए। हाथी ने उन्हें सूंड से उठाकर जमीन पर पटक दिया, जिससे वे बुरी तरह घायल हो गए। चीख-पुकार सुनकर ग्रामीण मौके पर पहुंचे और किसी तरह हाथी को खदेड़ा।
बचाने की कोशिश नाकाम, रास्ते में ही तोड़ा दम
गंभीर रूप से घायल हाड़ीराम मुर्मू को घाटशिला अस्पताल ले जाने की कोशिश की गई, लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। मृतक के परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटा और दो बेटियां हैं, जो इस हादसे के बाद सदमे में हैं।
गुड़ाबांदा में क्यों बढ़ रहे हैं हाथी के हमले?
झारखंड का यह इलाका हाथियों के हमले के लिए कुख्यात रहा है। बीते वर्षों में हाथियों के झुंड ने कई गांवों में तबाही मचाई है। वन विभाग के अनुसार, इन हमलों का कारण घटते जंगल और भोजन की कमी है। स्थानीय लोग कहते हैं कि सरकार हाथियों के प्रकोप को रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठा रही।
वन विभाग की लापरवाही उजागर!
घटना के बाद वन विभाग की टीम जांच के लिए मौके पर पहुंची और घटना की जानकारी ली। लेकिन ग्रामीणों का आक्रोश इस बात को लेकर है कि सरकार सिर्फ मुआवजा देकर अपना पल्ला झाड़ लेती है। इलाके में हाथी भगाने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किए गए हैं, जिससे हर साल कई निर्दोष लोग अपनी जान गंवा रहे हैं।
अब सवाल यह है कि…
हाथियों के इस आतंक से लोगों को बचाने के लिए प्रशासन कब जागेगा?
क्या मृतक के परिवार को उचित मुआवजा मिलेगा?
सरकार कब तक हाथी-मानव संघर्ष को रोकने में नाकाम रहेगी?
गुड़ाबांदा में हाथी का आतंक अब सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि प्रशासन की लापरवाही का जीता-जागता उदाहरण बन चुका है। अगर वन विभाग और सरकार ने समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए, तो आगे और भी निर्दोष लोगों की जान जा सकती है।
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