Delhi Demand: झारखंड के किसानों को राहत? सांसद विद्युत महतो की मांग से क्या बदलेगा सिंचाई का हाल?
सांसद विद्युत बरण महतो ने दिल्ली में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री से मुलाकात कर चांडिल डैम से झारखंड के चार प्रखंडों में सिंचाई परियोजना के लिए 2000 करोड़ रुपये की मांग की। क्या मिलेगा किसानों को राहत? पढ़ें पूरी खबर।

झारखंड के किसानों को सिंचाई संकट से राहत मिलने वाली है या नहीं? इस सवाल का जवाब प्रधानमंत्री कृषि योजना के तहत लंबित पड़े सुवर्णरेखा परियोजना की मंजूरी पर टिका है। जमशेदपुर के सांसद विद्युत बरण महतो ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना को गति देने के लिए दिल्ली में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सी. आर. पाटिल से मुलाकात की।
2000 करोड़ की मांग, लेकिन क्या केंद्र सरकार देगी फंड?
सांसद महतो ने मंत्री को एक लिखित ज्ञापन सौंपा, जिसमें झारखंड के चार प्रमुख प्रखंडों (पटमदा, बोड़ाम, नीमडीह और कूकड़ू) में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए 2000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता की मांग की गई।
इस पंप नहर योजना के तहत:
- पटमदा और बोड़ाम प्रखंडों में 12,000 हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी।
- नीमडीह और कूकड़ू प्रखंडों में 9,500 हेक्टेयर जमीन को पानी मिलेगा।
झारखंड के ये क्षेत्र कृषि आधारित अर्थव्यवस्था पर निर्भर हैं और यहां आदिवासी किसानों की बड़ी संख्या रहती है। पर्याप्त सिंचाई व्यवस्था न होने से किसान हर साल सूखे और आर्थिक तंगी से जूझते हैं।
AIBP से जुड़े फंड का इंतजार! चार साल से लटका केंद्रीय अनुदान?
जल संसाधन विभाग, रांची ने इस पंप नहर योजना का प्रारंभिक परियोजना रिपोर्ट (PPR) आठ महीने पहले ही तैयार कर दिल्ली भेज दी थी, लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया।
महतो ने यह भी बताया कि सुवर्णरेखा परियोजना के लिए पिछले चार वर्षों से केंद्र सरकार से कोई अनुदान जारी नहीं किया गया है। वर्तमान में 616.91 करोड़ रुपये की लंबित राशि को 31 मार्च 2025 से पहले जारी करने की जरूरत है।
क्या कहती है सुवर्णरेखा परियोजना की पुरानी कहानी?
सुवर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना (SMP) की शुरुआत 1977-78 में झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में सिंचाई और जलापूर्ति को मजबूत करने के लिए की गई थी। इसका उद्देश्य चांडिल, गालूडीह और ईचागढ़ क्षेत्रों में जल संसाधन प्रबंधन को बेहतर बनाना था।
हालांकि, इस परियोजना की धीमी गति और फंडिंग की कमी के कारण यह आज तक पूरी तरह लागू नहीं हो सकी है। झारखंड के किसान हर साल उम्मीद लगाते हैं, लेकिन सरकारी अनुदान की रफ्तार धीमी बनी हुई है।
मंत्री ने क्या दिया आश्वासन?
सांसद विद्युत महतो की इस मांग पर जलशक्ति मंत्री सी. आर. पाटिल ने आश्वासन दिया कि:
- चालू वित्तीय वर्ष में केंद्रीय सहायता राशि जारी कर दी जाएगी।
- अगर राज्य सरकार माइक्रो मेगा लिफ्ट योजना का प्रस्ताव भेजती है, तो उस पर त्वरित कार्रवाई होगी।
झारखंड के किसानों के लिए यह राहत भरी खबर है या सिर्फ एक और वादा?
झारखंड के किसान इस परियोजना की मंजूरी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। अगर यह योजना मंजूर होती है, तो इससे न केवल झारखंड के हजारों किसानों को राहत मिलेगी, बल्कि राज्य की कृषि उत्पादकता में भी जबरदस्त इजाफा होगा।
लेकिन बड़ा सवाल यही है कि क्या केंद्र सरकार 2000 करोड़ रुपये की यह मांग पूरी करेगी, या फिर यह सिर्फ एक और राजनीतिक वादा बनकर रह जाएगा?
आगे क्या?
अब सबकी निगाहें केंद्र सरकार के फैसले पर टिकी हैं। क्या इस बार झारखंड के किसानों की किस्मत बदलेगी, या फिर यह योजना भी फाइलों में ही दबी रह जाएगी? इस मुद्दे पर हर अपडेट के लिए जुड़े रहें!
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