Chakulia Murder: धांगोरी गांव में महिला की गला रेतकर हत्या, डायन-बिसाही के शक में पड़ोसी ने किया कत्ल
चाकुलिया के धांगोरी गांव में रविवार रात सनसनीखेज वारदात हुई। नशे में धुत युवक ने 65 वर्षीय वृद्धा पर डायन-बिसाही का आरोप लगाकर हसुआ से गला रेत दिया। महिला की मौके पर मौत हो गई, आरोपी गिरफ्तार। जानिए पूरी घटना।

Chakulia Murder: चाकुलिया के धांगोरी गांव से आई दिल दहला देने वाली खबर ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है। रविवार रात एक 65 वर्षीय वृद्धा की गला रेतकर बेरहमी से हत्या कर दी गई। मृतका की पहचान सिनगो किस्कू के रूप में हुई है। वह अपने घर पर अकेली रहती थी।
वारदात की पूरी कहानी
ग्रामीणों और पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, रविवार रात करीब 8:30 बजे पड़ोस में रहने वाला कृष्णा हेंब्रम नशे की हालत में वृद्धा के घर पहुंचा। नशे में धुत आरोपी ने महिला पर डायन-बिसाही (टोनही/चुड़ैल प्रथा) का आरोप लगाते हुए उस पर हमला कर दिया।
पहले आरोपी ने महिला के बाल पकड़कर पीछे की ओर खींचा और फिर पास में रखे हसुआ (तेज धार वाला औजार) से उसका गला रेतकर हत्या कर दी। महिला की मौके पर ही मौत हो गई।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई
घटना की सूचना ग्रामीणों ने तुरंत पुलिस को दी। चाकुलिया थाना पुलिस मौके पर पहुंची और शव को बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए एमजीएम अस्पताल, जमशेदपुर भेज दिया गया।
पुलिस ने आरोपी कृष्णा हेंब्रम को गांव से ही गिरफ्तार कर लिया है। फिलहाल पुलिस उससे पूछताछ कर रही है और मामले की आगे की जांच में जुट गई है।
परिवार का बयान
मृतका के बहन के बेटे मोहन ने बताया कि –
"मेरी मौसी घर पर अकेली रहती थी। रविवार रात पड़ोस का युवक कृष्णा नशे में धुत होकर आया और डायन-बिसाही कहकर हमला कर दिया। उसने मौसी के बाल पकड़कर घसीटा और गला रेत दिया।"
परिवारजन इस घटना से पूरी तरह सदमे में हैं। पूरे गांव में शोक और आक्रोश का माहौल है।
डायन-बिसाही की कुप्रथा और झारखंड
झारखंड के कई ग्रामीण इलाकों में अब भी डायन-बिसाही जैसी अंधविश्वास आधारित कुप्रथा गहरी जड़ें जमाए हुए है।
इस प्रथा के नाम पर अब तक सैकड़ों महिलाओं की बेरहमी से हत्या की जा चुकी है।
राज्य सरकार ने "डायन प्रथा उन्मूलन अधिनियम 2001" लागू किया है, जिसके तहत किसी महिला को डायन बताकर प्रताड़ित करने या उसकी हत्या करने वालों को कड़ी सजा दी जाती है। बावजूद इसके, आए दिन इस तरह की घटनाएं सामने आती रहती हैं।
आंकड़े बताते हैं भयावह स्थिति
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, झारखंड डायन-बिसाही के मामलों में देशभर में सबसे ऊपर है।
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हर साल औसतन 30-40 महिलाएं अंधविश्वास के नाम पर अपनी जान गंवा देती हैं।
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2015 से 2022 के बीच सिर्फ झारखंड में 400 से अधिक महिलाओं की हत्या डायन-बिसाही के शक में हो चुकी है।
ग्रामीणों में भय और आक्रोश
धांगोरी गांव के लोग इस घटना से दहशत में हैं। गांव की महिलाएं अब अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।
स्थानीय लोगों ने प्रशासन से कड़ी कार्रवाई और गांव में जागरूकता अभियान चलाने की मांग की है।
एक ग्रामीण महिला ने कहा –
"आज हमारी पड़ोसन मारी गई, कल हम में से कोई भी शिकार हो सकता है। जब तक इस अंधविश्वास को खत्म नहीं किया जाएगा, ऐसी घटनाएं होती रहेंगी।"
विशेषज्ञों की राय
सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि शिक्षा और जागरूकता की कमी के कारण आज भी झारखंड के कई इलाकों में लोग डायन-बिसाही जैसी कुप्रथा पर यकीन करते हैं।
विशेषज्ञों ने कहा कि सरकार को ग्रामीण इलाकों में जागरूकता फैलाने के लिए स्कूलों, पंचायतों और मीडिया के जरिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाना चाहिए।
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