झारखंड में आंगनबाड़ी सेविकाओं का हड़ताल: 8 सूत्री मांगों को लेकर जिला उपायुक्त कार्यालय के सामने जोरदार प्रदर्शन
झारखंड में आंगनबाड़ी सेविकाओं ने अपनी 8 सूत्री मांगों को लेकर जमशेदपुर जिला उपायुक्त कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन किया। वे वेतनमान, पेंशन, पदोन्नति और सेवा सुधार जैसी मांगों के लिए संघर्षरत हैं। जानें इस महत्वपूर्ण हड़ताल के बारे में और कैसे यह महिला सशक्तिकरण की लड़ाई को नई दिशा दे रहा है।
झारखंड में आंगनबाड़ी सेविकाओं का जोरदार प्रदर्शन: 8 सूत्री मांगों पर समर्थन जुटाने के लिए हड़ताल का ऐलान
झारखंड राज्य में आंगनबाड़ी सेविका और सहायिकाएं अपनी जायज मांगों को लेकर जोरदार प्रदर्शन कर रही हैं। जमशेदपुर जिला उपायुक्त कार्यालय के सामने इन्होंने धरना दिया और अपनी 8 सूत्री मांगों को जोरदार तरीके से प्रस्तुत किया। यह विरोध प्रदर्शन झारखंड राज्य आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका संयुक्त संघर्ष मोर्चा के नेतृत्व में किया गया, जिसमें सैकड़ों सेविकाएं शामिल थीं। इनकी मुख्य मांगें वेतनमान सुधार, पेंशन व्यवस्था, सेवा सुविधाएं और पोषाहार में सुधार से जुड़ी हैं।
मांगों को लेकर आक्रोशित हैं सेविकाएं
आंगनबाड़ी सेविका सहायिकाएं काफी समय से अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रही हैं। उन्होंने कई बार लिखित और मौखिक रूप से राज्य सरकार से संवाद किया है, लेकिन उनकी समस्याओं का अभी तक समाधान नहीं हो पाया। इसके चलते सेविकाओं में गहरी निराशा और आक्रोश है। उन्होंने उपायुक्त को ज्ञापन सौंपते हुए स्पष्ट किया है कि अगर उनकी मांगे पूरी नहीं होती हैं, तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा सकती हैं।
संघर्ष मोर्चा का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा सेविका सहायिकाओं की मांगों पर विचार करने का वादा तो किया गया था, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इससे सेविकाओं में गहरी नाराजगी है, और अब वे अपने हक के लिए आवाज उठाने को मजबूर हैं।
8 सूत्री मांगें: सेविकाओं की प्रमुख समस्याएं
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सेवा शर्त नियमावली में संशोधन: विभाग द्वारा जारी सेवा शर्त नियमावली (अधिसूचना संख्या 2238 और 2239, दिनांक 30 सितंबर 2022) में आंशिक संशोधन की मांग की गई है।
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वेतनमान और सुविधाएं: सेविकाओं और सहायिकाओं ने सहायक अध्यापक (पारा शिक्षकों) के समान वेतनमान और सभी सुविधाएं देने की मांग की है। उनका कहना है कि वार्षिक मानदेय वृद्धि की प्रक्रिया को सरल बनाया जाए ताकि उन्हें समय पर वेतन वृद्धि मिल सके।
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समय पर मानदेय का भुगतान: मानदेय का भुगतान केंद्रांश और राज्यांश की राशि को एक साथ और समय पर करने की व्यवस्था की जाए। इसके लिए विशेष चकीय कोष की व्यवस्था की मांग की गई है।
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सेवा निवृत्ति और पेंशन की सुविधा: सेविकाओं ने सेवा निवृत्ति के बाद 10 लाख और सहायिकाओं के लिए 5 लाख एकमुश्त राशि की मांग की है। साथ ही अंतिम मानदेय का 50% पेंशन के रूप में दिए जाने की भी मांग की गई है।
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पदोन्नति का प्रावधान: महिला पर्यवेक्षक के पद पर शत-प्रतिशत वरीयता के आधार पर आंगनबाड़ी सेविकाओं को प्रोन्नति दी जाए, ताकि सेविकाएं अपने अनुभव और सेवा के आधार पर आगे बढ़ सकें।
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मानदेय विसंगति दूर की जाए: सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार समाज कल्याण विभाग के संविदा कर्मियों के बीच व्याप्त मानदेय विसंगति को दूर करने की मांग की गई है। सेविकाओं ने महंगाई और यात्रा भत्ता भुगतान की भी मांग की है। साथ ही सभी संविदा कर्मियों को नियमित कर पूर्ण सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने और ग्रेच्युटी भुगतान की मांग की गई है।
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ब्रांडेड कंपनी का एड्राइड मोबाइल टैब उपलब्ध कराएं: विभागीय कार्यों के लिए सेविकाओं ने ब्रांडेड कंपनी का एड्राइड मोबाइल टैब रिचार्ज सहित आपूर्ति की मांग की है ताकि वे डिजिटल प्रक्रियाओं में पूरी तरह सक्षम हो सकें।
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पोषाहार में सुधार: आंगनबाड़ी केंद्रों के पोषाहार की राशि बाजार दर पर उपलब्ध कराने या फिर पोषाहार सामग्री को विभाग द्वारा आपूर्ति कराने की मांग की गई है, ताकि बच्चों को गुणवत्ता युक्त पोषण मिल सके।
हड़ताल का ऐलान: सरकार की चुप्पी से सेविकाएं नाराज
सेविकाओं का कहना है कि यदि उनकी मांगों को शीघ्रता से पूरा नहीं किया गया तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने से नहीं हिचकेंगी। इस हड़ताल से झारखंड राज्य में आंगनबाड़ी सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो सकती हैं, जिससे बच्चों की शिक्षा और पोषण पर भी गहरा असर पड़ेगा।
संघर्ष मोर्चा की एक प्रमुख सदस्य ने बताया, "हमने कई बार अपनी मांगों को सरकार के सामने रखा है, लेकिन हमें सिर्फ आश्वासन ही मिला है। अब हम आश्वासन नहीं, बल्कि ठोस कदम चाहते हैं। हम चाहते हैं कि हमारे साथ न्याय हो और हमारे काम के महत्व को समझा जाए।"
महिला सशक्तिकरण की लड़ाई को मिल रही है समर्थन
झारखंड में आंगनबाड़ी सेविकाओं का यह संघर्ष केवल वेतन और सुविधाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह महिलाओं के अधिकारों और सशक्तिकरण की लड़ाई भी है। सेविकाएं राज्य की ग्रामीण और शहरी गरीब परिवारों के बच्चों के पोषण और शिक्षा की जिम्मेदारी संभालती हैं। ऐसे में उनका वेतनमान और सेवा शर्तें सुधरना न केवल उनका हक है, बल्कि इससे उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं की गुणवत्ता भी सुधरेगी।
सरकार के लिए चुनौती
आंगनबाड़ी सेविकाओं की हड़ताल राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। झारखंड के मुख्यमंत्री और संबंधित विभागों पर दबाव बढ़ता जा रहा है कि वे सेविकाओं की मांगों पर गंभीरता से विचार करें और इस मुद्दे को शीघ्रता से सुलझाएं। अगर जल्द ही समाधान नहीं निकला, तो इस हड़ताल से राज्य की आंगनबाड़ी सेवाएं ठप्प हो सकती हैं, जिससे लाखों बच्चे प्रभावित होंगे।
आगे का रास्ता
आंगनबाड़ी सेविकाओं के इस विरोध प्रदर्शन ने राज्य की सियासत को भी हिलाकर रख दिया है। अब देखना होगा कि सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है। सेविकाओं की मांगें स्पष्ट हैं, और उनका कहना है कि वे बिना किसी ठोस समाधान के पीछे नहीं हटेंगी।
सेविकाओं का यह संघर्ष झारखंड राज्य में महिला सशक्तिकरण और सरकारी सेवाओं में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। अब सरकार के सामने चुनौती है कि वह इस समस्या का समाधान करके सेविकाओं के साथ न्याय करे और उनकी मांगों को सम्मानपूर्वक पूरा करे।
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