Adityapur Action: आदित्यपुर में रेलवे का बड़ा कदम, 70 मकानों पर चला बुलडोजर
आदित्यपुर रेलवे स्टेशन के पास अतिक्रमण हटाने के लिए रेलवे ने अभियान चलाया। 70 से अधिक कच्चे-पक्के मकान तोड़े गए। जानिए रेलवे ट्रैक साइडिंग प्रोजेक्ट का पूरा मामला।
आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में रेलवे लाइन के किनारे बसी शर्मा बस्ती में मंगलवार से रेलवे ने अतिक्रमण हटाओ अभियान शुरू किया। इस दौरान 70 कच्चे और पक्के मकानों को बुलडोजर से तोड़ दिया गया। इस कार्रवाई के दौरान बस्ती के लोग मायूस नजर आए, जबकि भारी सुरक्षा बल की तैनाती ने किसी भी विरोध को दबा दिया।
रेलवे की सख्त कार्रवाई: नोटिस के बाद हुआ अभियान
रेलवे ने इस कार्रवाई से पहले अवैध कब्जाधारियों को नोटिस देकर घर खाली करने का आदेश दिया था। आदित्यपुर रेलवे के सीनियर सेक्शन इंजीनियर संजय कुमार गुप्ता ने बताया कि यह अभियान दक्षिण पूर्व रेलवे के ट्रैक साइडिंग प्रोजेक्ट के तहत किया जा रहा है। इसके अंतर्गत आरआईटी रेलवे पुल से 800 मीटर तक की रेलवे भूमि को अतिक्रमण मुक्त किया जाएगा।
मौके पर तैनात सुरक्षा बल: विरोध को किया निष्क्रिय
अभियान को सफल बनाने के लिए रेलवे ने आरपीएफ के साथ भारी संख्या में महिला और पुरुष सुरक्षा बलों को तैनात किया था। सुरक्षा के इस मजबूत घेरे के चलते बिना किसी विरोध के अतिक्रमण हटाने का काम सुचारू रूप से चलता रहा। बस्ती के लोग अपने टूटते आशियाने को बेबस नजरों से देखते रहे।
रेलवे ट्रैक साइडिंग प्रोजेक्ट: क्यों जरूरी है यह अभियान?
दक्षिण पूर्व रेलवे मंडल में आदित्यपुर रेलवे स्टेशन पर रेलवे ट्रैक साइडिंग का निर्माण प्रस्तावित है। यह परियोजना रेलवे ट्रैक के किनारे रेलिंग मशीन स्थापित करने के उद्देश्य से चलाई जा रही है। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, यह प्रोजेक्ट रेलवे की परिचालन क्षमता को बढ़ाने और सुरक्षा मानकों को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण है।
इतिहास में अतिक्रमण और रेलवे का संघर्ष
भारतीय रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण एक पुरानी समस्या रही है। स्वतंत्रता के बाद, शहरीकरण और आबादी बढ़ने के साथ रेलवे की खाली पड़ी जमीन पर अवैध बस्तियां बस गईं। रेलवे के लिए यह न केवल भूमि की हानि है, बल्कि यह परिचालन और सुरक्षा में भी बाधा बनती है।
आदित्यपुर जैसी घटनाएं यह स्पष्ट करती हैं कि अतिक्रमण हटाना न केवल कठिन है, बल्कि यह सामाजिक और भावनात्मक पहलुओं से भी जुड़ा हुआ है। हालांकि, रेलवे का कहना है कि ऐसी जमीनों का उपयोग उनके महत्वाकांक्षी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए आवश्यक है।
स्थानीय निवासियों की मायूसी: अब क्या होगा?
अतिक्रमण हटने के बाद बस्ती के लोग काफी परेशान नजर आए। कई परिवारों ने अपने मकानों के टूटने पर दुख जताया। एक स्थानीय निवासी ने कहा,
“हमारे पास रहने के लिए कोई और जगह नहीं है। सरकार को हमें बसाने का इंतजाम करना चाहिए था।”
रेलवे ने इन दावों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन यह स्पष्ट किया कि नोटिस जारी करके पर्याप्त समय दिया गया था।
रेलवे की भविष्य की योजनाएं और निष्कर्ष
आदित्यपुर में रेलवे ट्रैक साइडिंग प्रोजेक्ट की यह कार्रवाई भारतीय रेलवे की बुनियादी ढांचे को सुधारने की प्रतिबद्धता का हिस्सा है। इस अभियान ने यह संदेश दिया कि रेलवे भूमि पर अतिक्रमण अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
हालांकि, यह भी जरूरी है कि भविष्य में ऐसे मामलों में पुनर्वास और सामाजिक समाधान को प्राथमिकता दी जाए। रेलवे के इस बड़े कदम ने जहां बुनियादी ढांचे के विकास की दिशा में सकारात्मक संकेत दिए हैं, वहीं प्रभावित परिवारों की मायूसी ने मानवीय पहलू पर भी सवाल खड़े किए हैं।
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