एक्सएलआरआइ में जलवायु परिवर्तन पर दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस—ग्रीन एनर्जी की अहमियत!
एक्सएलआरआइ में आयोजित दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस में जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा संक्रमण पर चर्चा। विशेषज्ञों ने हरित ऊर्जा के महत्व पर जोर दिया।
20 सितंबर 2024 को एक्सएलआरआइ में जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा संक्रमण पर एक दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। इस कॉन्फ्रेंस में भारत के साथ-साथ विदेशी विश्वविद्यालयों और कंपनियों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसमें चर्चा हुई कि जलवायु परिवर्तन का खतरा केवल भारत में ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी बढ़ रहा है।
कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन प्रो. एके बनर्जी ने कहा कि हरित ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी) को बढ़ावा देना बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया कि इंडस्ट्री सेक्टर का भी इसमें महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। एडीएल की रिपोर्ट 'पावरिंग इंडियाज एनर्जी विजन-2030' में कहा गया है कि भारत को 2030 तक 500 गीगावॉट की स्वच्छ ऊर्जा क्षमता हासिल करने के लिए 300 अरब डॉलर के अतिरिक्त निवेश की जरूरत है।
कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन एक्सएलआरआइ के डीन फाइनेंस फादर डोनाल्ड डिसिल्वा ने किया। उन्होंने बताया कि वैश्विक हितों के मुद्दों पर एक्सएलआरआइ को संवेदनशील रहना चाहिए। सेमिनार के दौरान कई शोध पत्र भी प्रस्तुत किए गए। क्वीन मैरी स्कूल ऑफ बिजनेस एंड मैनेजमेंट के प्रोफेसर सुशांत मलिक ने भी महत्वपूर्ण विचार साझा किए।
कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन एक पैनल चर्चा का आयोजन किया गया। इसमें सतत विकास, उद्योग 4.0, प्रोजेक्ट फंडिंग और स्टार्टअप पहलों पर चर्चा की गई। पैनल में टाटा स्टील, डेलॉइट टौचे तोहमात्सू इंडिया, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और सोसाइटी जनरल के प्रतिनिधि शामिल थे। पैनलिस्टों ने हरित परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए बैंक के साथ महत्वपूर्ण समझौते की पहल पर जोर दिया।
कॉन्फ्रेंस के समापन पर बेहतर शोध पत्र प्रस्तुत करने वालों को सम्मानित भी किया गया। इस तरह की कॉन्फ्रेंस से जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा संकट के समाधान में मदद मिल सकती है। यह पहल सभी के लिए महत्वपूर्ण है।
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