West Singhbhum. Blast Attack: सारंडा जंगल में IED ब्लास्ट, सर्च ऑपरेशन के दौरान जवान बुरी तरह घायल!
पश्चिम सिंहभूम के सारंडा जंगल में सर्च ऑपरेशन के दौरान IED ब्लास्ट, एक जवान गंभीर रूप से घायल। जानें कैसे हुआ हमला और क्यों यह इलाका नक्सलियों के लिए सुरक्षित ठिकाना बना हुआ है?

पश्चिम सिंहभूम के छोटानागरा थाना क्षेत्र के सारंडा जंगल में एक बार फिर नक्सली आतंक का खौफनाक नजारा देखने को मिला। मंगलवार को चल रहे सुरक्षा बलों के सर्च ऑपरेशन के दौरान IED ब्लास्ट हुआ, जिसमें एक जवान गंभीर रूप से घायल हो गया।
यह धमाका बाबूडेरा इलाके में हुआ, जहां सुरक्षा बल नक्सलियों के खिलाफ अभियान चला रहे थे। जैसे ही जवानों की टीम आगे बढ़ी, पहले से बिछाए गए इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) में विस्फोट हो गया। धमाके के बाद जंगल में अफरा-तफरी मच गई। घायल जवान को तुरंत एयरलिफ्ट कर रांची भेजने की तैयारी की गई।
क्यों है सारंडा जंगल इतना खतरनाक?
झारखंड का सारंडा जंगल नक्सल गतिविधियों का गढ़ माना जाता है। यह घना जंगल पश्चिम सिंहभूम जिले में फैला हुआ है और छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड की सीमाओं को जोड़ता है। इसी कारण यह इलाका नक्सलियों के लिए सेफ जोन बन गया है।
पिछले कई सालों से सुरक्षाबल इस इलाके को नक्सल मुक्त करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हर बार नक्सली IED ब्लास्ट और घात लगाकर हमले करके अपनी मौजूदगी का अहसास कराते हैं।
कैसे हुआ यह हमला?
मंगलवार को सुरक्षा बलों की एक टीम बाबूडेरा इलाके में सर्च ऑपरेशन पर निकली थी। उन्हें नक्सलियों के छिपे होने की सूचना मिली थी। जैसे ही जवान जंगल के अंदर बढ़े, एक पहले से प्लांट किए गए IED पर पैर पड़ते ही जबरदस्त धमाका हो गया।
इस विस्फोट में एक जवान गंभीर रूप से घायल हो गया। धमाके के तुरंत बाद जवानों ने इलाके को घेर लिया और नक्सलियों की तलाश शुरू की। लेकिन घने जंगल का फायदा उठाकर नक्सली मौके से फरार हो गए।
घायल जवान की हालत गंभीर, एयरलिफ्ट की तैयारी
घायल जवान की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, उसकी हालत गंभीर है। धमाके में जवान के पैरों और शरीर के निचले हिस्से में गहरी चोटें आई हैं।
सुरक्षा बलों ने तुरंत रांची के उच्च अधिकारियों को सूचना दी और घायल जवान को दीघा से एयरलिफ्ट कर रांची ले जाने की तैयारी शुरू कर दी।
नक्सलियों की रणनीति: पहले भी हो चुके हैं ऐसे हमले
सारंडा जंगल में IED ब्लास्ट नक्सलियों की पुरानी रणनीति है। बीते कुछ सालों में इस इलाके में कई बड़े हमले हो चुके हैं।
2016 में इसी इलाके में हुए एक IED ब्लास्ट में CRPF के दो जवान शहीद हो गए थे।
2019 में नक्सलियों ने सुरक्षा बलों की गाड़ी को IED ब्लास्ट से उड़ा दिया था, जिसमें कई जवान घायल हुए थे।
2022 में सुरक्षाबलों को टारगेट करके बड़े पैमाने पर IED प्लांट किए गए थे, जिन्हें डिफ्यूज किया गया।
ऑपरेशन तेज, नक्सलियों पर बढ़ेगा दबाव
इस हमले के बाद सुरक्षा बलों ने सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया है। पश्चिम सिंहभूम पुलिस के अनुसार, पूरे इलाके में सघन तलाशी अभियान चलाया जाएगा और IED डिफ्यूज करने के लिए बम निरोधक दस्ता तैनात किया गया है।
प्रशासन का कहना है कि जल्द ही इस इलाके को नक्सल मुक्त किया जाएगा। लेकिन बार-बार हो रहे ऐसे हमले सुरक्षाबलों के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं।
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