Tirupati Fraud: बालाजी मंदिर में 54 करोड़ का 'नकली रेशम' घोटाला, 10 साल से चल रहा था धोखाधड़ी
तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रबंधन में 10 साल से 54 करोड़ रुपये का बड़ा रेशम घोटाला सामने आया है। ठेकेदार 100% पॉलिएस्टर के शॉल को शुद्ध सिल्क बताकर भुगतान कैसे लेता रहा। 350 रुपये के शॉल का बिल 1300 रुपये क्यों बना। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को जांच क्यों सौंपी गई है।
तिरुपति, 10 दिसंबर 2025 – आंध्र प्रदेश के मशहूर तिरुपति बालाजी मंदिर का प्रबंधन देखने वाले ट्रस्ट, तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) में पहले नकली घी के घोटाले के बाद अब एक और बड़ा घोटाला सामने आया है। यह मामला लगभग पूरे एक दशक तक चला और इसमें 54 करोड़ रुपये के घोटाले का खुलासा हुआ है। आंतरिक जाँच (Internal Audit) में यह पता चला है कि एक ठेकेदार लगातार 10 सालों तक 100% पॉलिएस्टर के शॉल को शुद्ध शहतूत रेशम (Silk) का शॉल बताकर भुगतान ले रहा था।
10 साल से चला आ रहा था गोरखधंधा
ट्रस्ट के अध्यक्ष बीआर नायडू के नेतृत्व वाले मंडल (Board) द्वारा शॉल की गुणवत्ता पर चिंता जताने के बाद यह जाँच शुरू की गई थी। जाँच रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2015 से 2025 तक यानी पूरे 10 साल की अवधि में यह कथित धोखाधड़ी की गई। ठेकेदार 100% पॉलिएस्टर शॉल को 100% शुद्ध मलबरी रेशम शॉल बताकर सप्लाई कर रहा था और पूरी कीमत रेशम के दामों पर वसूल रहा था।
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350 का शॉल बना 1,300: अध्यक्ष बीआर नायडू ने बताया, "एक शॉल जिसकी वास्तविक कीमत करीब 350 रुपये है, उसका बिल 1,300 रुपये दिया गया और उसका भुगतान भी किया गया। आपूर्ति (Supply) 50 करोड़ रुपये से अधिक की हो सकती है।" इस धोखाधड़ी से मंदिर ट्रस्ट को लगभग 54 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान होने का अनुमान है।
वैज्ञानिक परीक्षण में हुई पुष्टि
इस मामले में संदेह होने पर शॉल के नमूनों को वैज्ञानिक जाँच के लिए दो प्रयोगशालाओं (Labs) में भेजा गया था, जिसमें से एक केंद्रीय रेशम मंडल (CSB) के तहत थी।
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मानकों का उल्लंघन: दोनों परीक्षणों से स्पष्ट हो गया कि दी गई सामग्री पॉलिएस्टर थी। यह स्पष्ट रूप से ठेके की शर्तों का उल्लंघन था। सतर्कता अधिकारियों ने यह भी पाया कि असली रेशम उत्पादों की पहचान के लिए जरूरी रेशम होलोग्राम, आपूर्ति किए गए नमूनों में मौजूद नहीं था। बताया जाता है कि अधिकांश कपड़े की आपूर्ति के लिए एक ही फर्म और उसकी सहयोगी कंपनियाँ जिम्मेदार थीं।
जाँच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को सौंपी गई
सतर्कता रिपोर्ट पर त्वरित कार्रवाई करते हुए, ट्रस्ट मंडल ने उस फर्म के साथ सभी मौजूदा ठेके रद्द कर दिए हैं। इसके साथ ही, पूरे मामले को आपराधिक जाँच के लिए राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) को भेज दिया गया है।
यह पहला मौका नहीं है जब मंदिर प्रबंधन में घोटाला सामने आया हो। पिछले साल ही मंदिर में नकली घी की आपूर्ति करने और उससे प्रसाद बनाने का मामला सामने आया था। उस दौरान पाँच साल के भीतर लगभग 250 करोड़ रुपये मूल्य का 68 लाख किलो नकली घी की आपूर्ति की गई थी।
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