Saraikela Accident: सड़क पर तड़पते रहे सुरेश, 12 घंटे बाद मिली लाश! प्रशासन पर सवाल
सरायकेला में दर्दनाक सड़क हादसा! 12 घंटे तक सड़क पर तड़पते रहे सुरेश राणा, लेकिन कोई मदद नहीं कर सका। नगर प्रशासन की लापरवाही उजागर, 48 घंटे में एक्शन नहीं तो होगा आंदोलन!
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सरायकेला: झारखंड के सरायकेला-राजनगर मार्ग पर नौरोडीह के पास शनिवार रात एक दर्दनाक हादसा हुआ, जिसमें सुरेश राणा (35) की जान चली गई। बताया जा रहा है कि ड्यूटी खत्म कर घर लौट रहे सुरेश को एक तेज रफ्तार वाहन ने टक्कर मार दी और फरार हो गया। अंधेरे और बारिश की वजह से कोई उनकी मदद नहीं कर सका, और वो पूरी रात सड़क पर तड़पते रहे। जब रविवार सुबह कुछ लोगों ने शव देखा, तब जाकर पुलिस को सूचना दी गई।
सड़क पर तड़पते रहे, किसी ने नहीं देखा!
घटना रात 7 से 8 बजे के बीच की बताई जा रही है। सुरेश राणा सरायकेला के रहने वाले थे और नौरोडीह में नगर पंचायत द्वारा बनाए गए फ्लैट में रहते थे। शनिवार को ड्यूटी से लौटते वक्त एक अज्ञात वाहन ने उन्हें कुचल दिया। लेकिन भारी बारिश और घने अंधेरे के कारण कोई उनकी मदद के लिए आगे नहीं आया। ये सवाल खड़ा करता है कि आखिर नगर प्रशासन सड़क पर उचित लाइटिंग की व्यवस्था क्यों नहीं कर रहा है?
प्रशासन की लापरवाही, मौत की वजह?
रविवार सुबह जब कुछ राहगीरों ने सड़क पर पड़ा शव देखा, तब जाकर पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए सरायकेला सदर अस्पताल भेज दिया। लेकिन इस घटना ने प्रशासन की घोर लापरवाही को उजागर कर दिया। स्थानीय विधायक प्रतिनिधि सनद कुमार आचार्य और नगर पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष मनोज चौधरी मौके पर पहुंचे और प्रशासन को घेरा।
नगर प्रशासन पर गंभीर आरोप!
सनद आचार्य का कहना है कि नगर पंचायत की लापरवाही के कारण ही यह हादसा हुआ। उनके मुताबिक, विधानसभा चुनाव से पहले नगर पंचायत ने सभी इंट्री पॉइंट पर 40-40 स्ट्रीट लाइट लगाने का वादा किया था। लेकिन चुनाव बीतने के 3 महीने बाद भी लाइटें नहीं लगाई गईं। प्रशासन को बार-बार सूचित करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। सवाल यह उठता है कि टैक्स वसूलने वाला नगर प्रशासन आखिर जनता की सुरक्षा के लिए क्या कर रहा है?
48 घंटे में एक्शन नहीं तो आंदोलन!
सनद आचार्य ने इस घटना की जानकारी अनुमंडल पदाधिकारी को दे दी है और मांग की है कि:
- 48 घंटे के भीतर घटना स्थल पर रंबल स्ट्रिप लगाए जाएं।
- उचित लाइटिंग की व्यवस्था की जाए।
अगर ऐसा नहीं हुआ तो वे इस मामले को उचित मंच पर उठाने की बात कह रहे हैं।
झारखंड में हादसे और प्रशासन की चुप्पी
झारखंड में इस तरह की दुर्घटनाएँ आम होती जा रही हैं। खराब सड़कें, अंधेरे इलाके और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी कई निर्दोष लोगों की जान ले रही है। सवाल यह उठता है कि क्या हर हादसे के बाद ही प्रशासन जागेगा? या फिर जब तक कोई बड़ा आंदोलन नहीं होगा, तब तक सरकार और नगर प्रशासन सोते रहेंगे?
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