सपनों की उड़ान - डॉ ऋषिका वर्मा, श्रीनगर, उत्तराखण्ड
छोटी-छोटी ख्वाहिशे है मेरी, कुछ होती है पूरी तो कुछ रह जाती है अधूरी।....
सपनों की उड़ान
छोटी-छोटी ख्वाहिशे है मेरी,
कुछ होती है पूरी तो कुछ रह जाती है अधूरी।
जीवन है वो अपनी गति से चलता जाता है,
कुछ मिल जाता है तो कुछ खो जाता है।
कभी सपने हमे सोने नहीं देती,
कभी हम सपनों के पीछे जाग नहीं पाते।
कभी परिस्थितियाँ हमे झुका देती है,
तो कभी हम झुक जाते है परिस्थितियों के आगे।
सपनों की उड़ान तो हर कोई भरता है।
जीतता वही है जो उसे पूरा करता है।
लड़ना पड़ता है किस्मत से,
लड़ना पड़ता है अपनी कमजोरियों से,
जीतता वही है जो संघर्ष करता है।
स्वरचित कविता
डॉ ऋषिका वर्मा
श्रीनगर उत्तराखण्ड
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