Ramgarh Terror: हाथियों का तांडव, एक ही दिन में चार को मौत के घाट उतारा, गुस्साए ग्रामीणों ने किया सड़क जाम

रामगढ़ के वेस्ट बोकारो में हाथियों के झुंड ने दो महिलाओं समेत चार लोगों को कुचलकर मार डाला है। वन विभाग की लापरवाही से नाराज ग्रामीणों ने सड़कों पर उतरकर भारी प्रदर्शन और चक्का जाम किया। पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल बना हुआ है।

Dec 17, 2025 - 12:06
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Ramgarh Terror: हाथियों का तांडव, एक ही दिन में चार को मौत के घाट उतारा, गुस्साए ग्रामीणों ने किया सड़क जाम
Ramgarh Terror: हाथियों का तांडव, एक ही दिन में चार को मौत के घाट उतारा, गुस्साए ग्रामीणों ने किया सड़क जाम

रामगढ़, 17 दिसंबर 2025 – झारखंड का रामगढ़ जिला इस वक्त खौफ के साये में है। जंगल से भटककर आए हाथियों के एक झुंड ने चौबीस घंटों के भीतर चार लोगों को अपनी सूंड और पैरों तले रौंदकर मौत की नींद सुला दिया है। इस हृदयविदारक घटना के बाद स्थानीय निवासियों का क्रोध वन विभाग और प्रशासन के खिलाफ फूट पड़ा है। बुधवार सुबह से ही सैकड़ों ग्रामीण चार नंबर चौक पर एकत्रित होकर सड़क जाम किए हुए हैं और अधिकारियों की लापरवाही के विरुद्ध नारेबाजी कर रहे हैं।

मौत का वह खौफनाक मंजर

हाथियों** के हमले की पहली घटना मंगलवार शाम करीब चार बजे सारुबेड़ा क्षेत्र में घटी। यहाँ कोयला खदान में तैनात सुरक्षा प्रहरी अमित रजवार अपने कुछ मित्रों के साथ हाथियों की तस्वीरें लेने का प्रयास कर रहे थे। इसी दौरान एक हाथी भड़क गया और उसने दौड़ाकर अमित को पकड़ लिया। हाथी ने क्रूरता पूर्वक उन्हें पटक-पटक कर मार डाला।

  • सड़क पर घेराबंदी: दूसरी घटना रात करीब साढ़े दस बजे हुई, जब अमूल महतो अपनी दुपहिया गाड़ी से घाटो इलाके की ओर जा रहे थे। हाथियों ने बीच सड़क पर ही उन्हें घेर लिया और कुचल दिया। इसके अलावा दो महिलाओं, सावित्री देवी और पार्वती देवी को भी हाथियों ने अचानक हमला करके अपना निशाना बनाया।

झारखंड में हाथी-मानव द्वंद्व का इतिहास

झारखंड** में हाथियों और मनुष्यों के बीच संघर्ष कोई नई बात नहीं है। दशकों से जंगलों की अंधाधुंध कटाई और हाथियों के पारंपरिक रास्तों पर बढ़ते मानवीय हस्तक्षेप ने इस समस्या को विकराल बना दिया है। रामगढ़ और बोकारो के पठारी क्षेत्र हाथियों के आवागमन के मुख्य केंद्र रहे हैं। इतिहास गवाह है कि जब-जब हाथियों के भोजन और आवास में कमी आई है, उन्होंने बस्तियों की ओर रुख किया है। किन्तु, वन विभाग द्वारा अग्रिम सूचना प्रणाली और सुरक्षा घेरों का अभाव निर्दोषों की बलि ले रहा है।

प्रशासन की विफलता और ग्रामीणों की मांग

प्रदर्शनकारियों** का आरोप है कि क्षेत्र में हाथियों की मौजूदगी के बावजूद वन विभाग कुंभकर्णी नींद सोया रहा। वन संरक्षक बटेश्वर पासवान ने इन चारों मौतों की पुष्टि की है, लेकिन जनता केवल पुष्टि नहीं, बल्कि सुरक्षा चाहती है।

  • जाम की स्थिति: सड़क पर बैठे ग्रामीणों ने मांग की है कि मृतकों के परिजनों को उचित मुआवजा मिले और हाथियों को बस्तियों से दूर खदेड़ने के लिए विशेष दस्तों की तैनाती की जाए। जब तक जिला अधिकारी मौके पर आकर ठोस आश्वासन नहीं देते, विरोध प्रदर्शन जारी रखने की चेतावनी दी गई है।

पूरा** वेस्ट बोकारो क्षेत्र इस समय एक भयावह सन्नाटे में है। शाम होने से पहले ही लोग घरों में कैद होने को मजबूर हैं। यदि समय रहते वन विभाग ने सक्रियता नहीं दिखाई, तो यह नरसंहार और भी बड़ा रूप ले सकता है।

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।