मयखाना प्यार का - कवि सुरेश सचान पटेल

दिल को  मेरे अजी  ऐसे  मत  तोड़िए। ठुकरा कर प्यार मेरा मुख मत मोड़िए।...

Sep 12, 2024 - 16:13
Sep 12, 2024 - 16:32
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मयखाना प्यार का - कवि सुरेश सचान पटेल
मयखाना प्यार का - कवि सुरेश सचान पटेल

।।मयखाना प्यार का।।


दिल को  मेरे अजी  ऐसे  मत  तोड़िए।
ठुकरा कर प्यार मेरा मुख मत मोड़िए।

प्यार  के  मय  खाने  में  रहते  हैं  हम,
यहांँ मजहबी जज्बातों को मत छेड़िए।

कुदरत नें दिए हैं हजारों अनमोल तोहफे,
धर्म के चश्में से कभी इनको मत देखिए।

पेंड़ पौधे वनस्पति चिड़ियांँ और जंगल,
किसी धर्म जाति से इनको मत जोड़िए 

धर्म को हर जगह क्यों लेे आते हो यारो,
धर्म के तराजू में  कर्मों को मत तौलिए।

अंधेरा  बहुत  है आज लोगों  के दिल में,
दिल में नफरत की खिड़की मत खोलिए।

उजाले की एक ज्योति मन में जलाओ,
सदा अंधेरा ही रहेगा यह मत सोचिए।

नाज़ुक  बहुत है  समय  आजकल का,
प्रेम बंधन  अपना  कभी  मत  तोड़िए।

    रचित द्वारा
  कवि सुरेश सचान पटेल
   पुखरायां, कानपुर देहात
   उत्तर प्रदेश

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।