Jharkhand weather : ओलावृष्टि, वज्रपात से तबाही, जान-माल का भारी नुकसान!
झारखंड में बारिश और ओलावृष्टि ने मचाई तबाही! रांची, गुमला, हजारीबाग में फसलें बर्बाद, 100 से ज्यादा घरों की छतें उड़ गईं। सरकार ने मुआवजे की घोषणा की, जानिए पूरा अपडेट।

रांची और पूरे झारखंड में मौसम ने अचानक करवट बदली है। बंगाल की खाड़ी से आ रही नमी और उत्तर भारत की ठंडी हवाओं ने पूरे राज्य को अपने शिकंजे में ले लिया है। 20 मार्च से जारी बारिश शुक्रवार को भी थमी नहीं, बल्कि और तेज हो गई। वज्रपात, ओलावृष्टि और तेज़ आंधी ने कई जिलों में तबाही मचा दी। हजारीबाग में वज्रपात से एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि कई जिलों में खेतों की फसलें बर्बाद हो गईं।
बेड़ो, लोहरदगा, गुमला में तेज़ हवाओं और ओलावृष्टि ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। कई जगहों पर पेड़ उखड़ गए, घरों की छतें उड़ गईं और बिजली आपूर्ति ठप हो गई। शुक्रवार शाम को खूंटी, सिमडेगा, लोहरदगा, पूर्वी सिंहभूम और सरायकेला में रेड अलर्ट जारी कर दिया गया। मौसम विभाग के अनुसार, शनिवार यानी 22 मार्च को भी झारखंड में यही स्थिति बनी रहेगी और पूरे राज्य में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है।
झारखंड में कब सुधरेगा मौसम?
मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक अभिषेक आनंद के मुताबिक, 23 मार्च से मौसम में बदलाव देखने को मिलेगा। धीरे-धीरे बादल छंटने लगेंगे, लेकिन झारखंड के पूर्वी हिस्सों (कोल्हान, संताल परगना) में गर्जन और वज्रपात के साथ हल्की बारिश जारी रह सकती है। हवा की गति 30 से 40 किमी प्रति घंटा रहने की संभावना है। 24 मार्च के बाद तापमान में 3 से 4 डिग्री की वृद्धि हो सकती है, जिससे ठंडक कम होने लगेगी।
कहां-कहां हुई सबसे ज्यादा बारिश?
झारखंड के कई जिलों में भारी बारिश हुई, जिसमें चाईबासा में सबसे अधिक 54.1 मिमी बारिश दर्ज की गई। रांची में 30 मिमी, गुमला में 25 मिमी और लोहरदगा में 20 मिमी बारिश हुई। लगातार हो रही बारिश से नदियों और जलाशयों में जलस्तर बढ़ गया है, जिससे बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
ओलावृष्टि और आंधी से किसानों को बड़ा नुकसान
झारखंड के कई जिलों में ओलावृष्टि से टमाटर, गेहूं, सरसों और दलहन फसलों को भारी नुकसान हुआ है। गुमला जिले के घाघरा प्रखंड के देवाकी गांव में 40 एकड़ में फैली टमाटर की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई। वहीं, भारी बारिश और ठंड के कारण सैकड़ों पक्षियों की मौत हो गई। तेज़ हवाओं से बिजली के पोल और तार टूटने से कई क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति ठप हो गई है।
सिसई में 100 से अधिक घरों की छतें उड़ गईं, जबकि एके भगत पब्लिक स्कूल की छत टूट गई, जिससे बच्चे डर के मारे स्कूल से भाग निकले। किसानों की मेहनत पर पानी फिरने से पूरे राज्य में चिंता का माहौल है।
इतिहास में कब-कब झारखंड में हुआ ऐसा मौसम?
झारखंड में ऐसा मौसम कोई नई बात नहीं है। 2018 में भी मार्च महीने में झारखंड में भारी बारिश और ओलावृष्टि से फसलों को नुकसान पहुंचा था। वहीं, 2021 में अप्रैल के महीने में भी अचानक मौसम खराब हुआ था, जिससे पूरे राज्य में ठंडक बढ़ गई थी। बंगाल की खाड़ी से आने वाली नमी जब उत्तर भारत की ठंडी हवा से टकराती है, तब झारखंड में ऐसे मौसम का निर्माण होता है।
तापमान में भारी गिरावट, ठंड बढ़ी!
लगातार बारिश के कारण राज्यभर में तापमान में भारी गिरावट दर्ज की गई। गुमला में तापमान 13.8 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया, जबकि रांची में 7.5 डिग्री सेल्सियस, लोहरदगा में 10.6 डिग्री सेल्सियस और जमशेदपुर में 5.9 डिग्री सेल्सियस तक तापमान नीचे चला गया।
कृषि मंत्री ने दिए नुकसान के आकलन के आदेश
झारखंड सरकार ने बारिश और ओलावृष्टि से हुए फसल नुकसान के आकलन के लिए विशेष टीम गठित की है। कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने आपदा प्रबंधन मंत्री इरफान अंसारी से मुलाकात कर किसानों को मुआवजा दिलाने की प्रक्रिया तेज़ करने की बात कही। तीन दिनों के अंदर जिलों को नुकसान की रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं, जिसके आधार पर मुआवजा वितरण किया जाएगा।
आपदा प्रबंधन मंत्री इरफान अंसारी ने कहा है कि सरकार जल्द से जल्द किसानों को उचित मुआवजा देगी और प्रभावित इलाकों में राहत कार्य चलाएगी। किसानों के लिए यह किसी आपदा से कम नहीं, लेकिन सरकार हर संभव मदद के लिए तैयार है।
क्या आगे और बारिश होगी?
मौसम विभाग की मानें तो 22 मार्च तक पूरे झारखंड में बारिश जारी रहेगी, लेकिन 23 मार्च के बाद मौसम में बदलाव होगा। हालांकि, कोल्हान और संताल परगना में हल्की बारिश हो सकती है। 24 मार्च से गर्मी बढ़ने लगेगी और तापमान में 3-4 डिग्री की बढ़ोतरी होगी।
झारखंड में इस बार मार्च महीने में मौसम ने सबको चौंका दिया है। बारिश, आंधी, ओलावृष्टि और वज्रपात से किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा है। सरकार राहत और मुआवजा देने की तैयारी कर रही है, लेकिन यह सवाल अभी भी बना हुआ है कि आखिर मौसम कब तक सामान्य होगा?
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