Jamshedpur Political Drama : सड़क निर्माण पर सियासी तूफान, आजसू ने उठाए तीखे सवाल!
जमशेदपुर में गोबिंदपुर सड़क निर्माण पर राजनीतिक विवाद, आजसू ने विधायक और जिला परिषद सदस्य से जवाब मांगा। जानें पूरा मामला!

झारखंड के जमशेदपुर में गोबिंदपुर सड़क निर्माण को लेकर बड़ा सियासी बवाल खड़ा हो गया है। सड़क निर्माण की मांग कर रही जिला परिषद सदस्य पूर्णिमा मल्लिक के एक बयान ने राजनीति को गरमा दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सड़क राजनीतिक साजिश का शिकार हो गई है। लेकिन अब आजसू पार्टी ने इस बयान पर कड़ा सवाल उठाया है।
आजसू के जिला प्रवक्ता अप्पू तिवारी ने इस मुद्दे पर स्पष्ट जवाब मांगते हुए कहा कि अगर सड़क निर्माण राजनीति का शिकार हुआ है, तो जनता को बताया जाए कि आखिर इस साजिश के पीछे कौन है?
कहां फंसा सड़क निर्माण का पेंच?
आजसू ने यह भी याद दिलाया कि खासमहल से गोबिंदपुर रेलवे फाटक तक की सड़क का शिलान्यास झामुमो विधायक द्वारा किया गया था। चुनावी मौसम में लड्डू बांटे गए, घोषणाएं हुईं, लेकिन चुनाव खत्म होते ही ठेकेदार गायब और टेंडर भी खत्म!
अब वही झामुमो से जुड़े जिला परिषद सदस्य और उनके प्रतिनिधि उपायुक्त से सड़क निर्माण की मांग कर रहे हैं और इसे राजनीति का शिकार बता रहे हैं। आजसू का सीधा सवाल है – आखिर कौन इस सड़क निर्माण में साजिश रच रहा है?
विधायक और जिला परिषद सदस्य में ठनी!
आजसू प्रवक्ता ने इस पूरे मामले पर विधायक मंगल कालिंदी और जिला परिषद सदस्य से सीधा जवाब मांगा है।
- क्या सच में यह सड़क राजनीति का शिकार हुई है या जनता को गुमराह किया जा रहा है?
- क्यों चुनाव के पहले शिलान्यास हुआ और फिर काम ठप पड़ गया?
- अगर साजिश हुई है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है – ठेकेदार, विधायक या कोई और?
इतिहास से सीख क्यों नहीं लेती सरकार?
झारखंड में यह पहली बार नहीं है जब किसी सड़क निर्माण को लेकर विवाद खड़ा हुआ हो। इससे पहले भी राज्य में कई विकास योजनाएं राजनीतिक खींचतान की भेंट चढ़ चुकी हैं।
- 2009 में टाटा-कांड्रा रोड का मुद्दा भी इसी तरह विवादों में रहा था।
- 2015 में चाईबासा में पुल निर्माण कार्य अधर में लटक गया था, जबकि उद्घाटन हो चुका था।
जनता ने कई बार यह नज़ारा देखा है कि चुनाव के वक्त सड़कें बनाई जाती हैं, उद्घाटन होते हैं, लेकिन काम अधूरा रह जाता है।
जनता अब बेवकूफ नहीं बनेगी!
आजसू प्रवक्ता अप्पू तिवारी ने चेतावनी दी कि अगर जल्द ही इस मुद्दे पर जवाब नहीं मिला, तो जनता इसे साजिश मानेगी और इसके खिलाफ आंदोलन खड़ा करेगी।
"आजसू पार्टी इस पूरे मामले पर नज़र रखे हुए है। जनता को धोखा देना बंद करें। अगर सड़क निर्माण में साजिश हो रही है, तो इसका सच जनता को बताना होगा!" – अप्पू तिवारी
प्रशासन और नेताओं को देनी होगी सफाई!
अब सवाल यह उठता है कि क्या जिला परिषद सदस्य और विधायक इस मुद्दे पर खुलकर जवाब देंगे? या फिर यह मामला भी बाकी राजनीतिक विवादों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा?
आपकी राय क्या है?
क्या झारखंड में राजनीति के चलते विकास कार्य रुक जाते हैं? क्या जनता को सड़कों के नाम पर सिर्फ चुनावी वादे ही मिलते हैं? नीचे कमेंट करें और अपनी राय दें!
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