पूर्वी सिंहभूम में मनरेगा कर्मियों का अनिश्चितकालीन हड़ताल: डीसी ऑफिस के समक्ष ‘वादा निभाओ, स्थायीकरण करो’ के नारों के साथ प्रदर्शन
झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले में मनरेगा कर्मियों ने अपनी मांगों के समर्थन में डीसी ऑफिस के समक्ष अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की। 'वादा निभाओ, स्थायीकरण करो' के नारों के साथ कामकाज पूरी तरह ठप।
झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले में मनरेगा कर्मियों ने मंगलवार से डीसी ऑफिस के समक्ष अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। "वादा निभाओ, स्थायीकरण करो" के नारों के साथ धरने पर बैठे ये कर्मचारी अपने हक और स्थायीकरण की मांग कर रहे हैं। इस हड़ताल के चलते जिले में मनरेगा से संबंधित सभी कामकाज पूरी तरह से ठप हो गए हैं।
मनरेगा कर्मियों का कहना है कि पिछले 17 वर्षों से वे मानदेय पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं और अब स्थायीकरण की मांग कर रहे हैं। पूर्वी सिंहभूम जिला अध्यक्ष सुराई हेंब्रम ने बताया कि मुख्यमंत्री ने संविदा संवाद एवं रात्रि चौपाल में उनकी मांगों को उचित बताया था और सेवा स्थायी करने का वचन भी दिया था। इसके बावजूद उनकी मांगों को अब तक पूरा नहीं किया गया है, जिससे कर्मियों में गहरा आक्रोश है।
मनरेगा कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि सरकार ने अपने कार्यकाल में सिर्फ झूठे आश्वासन दिए हैं। ग्रामीण विकास मंत्री का आवास घेराव, विधानसभा घेराव, 100 किलोमीटर पद यात्रा, मुख्यमंत्री आवास घेराव और सभी जिला मुख्यालयों में धरना प्रदर्शन जैसे तमाम प्रयासों के बावजूद सरकार की तरफ से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इससे सरकार की निरंकुशता स्पष्ट होती है।
पूर्वी सिंहभूम की झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ जिला इकाई के इस अनिश्चितकालीन हड़ताल में सैकड़ों की संख्या में कर्मी शामिल हैं। उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक वे अपने आंदोलन को जारी रखेंगे।
झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुराई हेंब्रम ने बताया कि इस हड़ताल का मुख्य उद्देश्य सरकार पर दबाव बनाना है ताकि उनकी मांगों को पूरा किया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानीं, तो उनका आंदोलन और भी उग्र हो जाएगा।
यह हड़ताल सिर्फ पूर्वी सिंहभूम में ही नहीं, बल्कि पूरे झारखंड में मनरेगा कर्मचारियों के असंतोष का प्रतीक है। सभी जिलों में मनरेगा कर्मचारी धरना प्रदर्शन कर रहे हैं और अपने अधिकारों के लिए आवाज उठा रहे हैं। इस हड़ताल के कारण मनरेगा के तहत चल रही कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं ठप हो गई हैं, जिससे ग्रामीण इलाकों में विकास कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं।
मनरेगा कर्मचारियों की इस हड़ताल को स्थानीय जनता का भी समर्थन मिल रहा है। कई सामाजिक संगठनों और ग्रामीण समुदायों ने भी उनकी मांगों का समर्थन किया है और सरकार से जल्द से जल्द समाधान निकालने की अपील की है।
इस हड़ताल ने सरकार पर एक बार फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या वे अपने वादों को निभाने के लिए तैयार हैं या नहीं। मनरेगा कर्मियों का यह आंदोलन उनकी मेहनत और संघर्ष का प्रतीक है, जो अपने अधिकारों के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।
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