Jamshedpur Honor: पहली जनप्रतिनिधि बनीं नीतू शर्मा, अंगदान कर रचा इतिहास
जमशेदपुर की पूर्व पार्षद नीतू शर्मा को भारत सरकार ने किया सम्मानित! पार्षद रहते अंगदान कर बनीं देश की पहली जनप्रतिनिधि। जानें उनकी प्रेरणादायक कहानी।

झारखंड के जमशेदपुर की एक महिला ने वह कर दिखाया, जो समाज में मिसाल बन गया। आदित्यपुर नगर निगम वार्ड 17 की पूर्व पार्षद नीतू शर्मा को भारत सरकार ने उनके अंगदान के ऐतिहासिक निर्णय के लिए सम्मानित किया। यह सम्मान उन्हें मंगलवार को जमशेदपुर के सिविल सर्जन डॉक्टर साहिल पॉल ने प्रदान किया।
इस मौके पर सदर अस्पताल के डॉक्टरों ने उन्हें पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया और उनके अद्भुत योगदान की सराहना की। सिविल सर्जन डॉ. पॉल ने कहा, "एक जनप्रतिनिधि होते हुए अंगदान करने का निर्णय लेना अपने आप में बेहद साहसिक कदम है। यह समाज के लिए एक नई प्रेरणा है।"
कौन हैं नीतू शर्मा और क्यों हैं खास?
नीतू शर्मा सिर्फ एक पार्षद ही नहीं, बल्कि समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुकी हैं। उन्होंने 27 अगस्त 2022 को एमजीएम मेडिकल कॉलेज को अपना अंगदान करने का संकल्प लिया था। इस फैसले के साथ ही वह भारत की पहली जनप्रतिनिधि बन गईं, जिन्होंने अपने जीवित रहते अंगदान करने की घोषणा की।
क्या होता है अंगदान और क्यों है महत्वपूर्ण?
अंगदान (Organ Donation) वह प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति अपने जीवित रहते या मृत्यु के बाद अपने अंग जरूरतमंद मरीजों को दान करता है। भारत में हर साल हजारों लोग गुर्दा, हृदय, लिवर, फेफड़े और कॉर्निया की कमी के कारण जान गंवा देते हैं। ऐसे में नीतू शर्मा जैसी शख्सियतों के प्रयास समाज को नई दिशा देते हैं।
कैसे लिया नीतू शर्मा ने यह फैसला?
नीतू शर्मा ने जब देश में अंगदान की गंभीर स्थिति को समझा, तो उन्होंने खुद एक कदम आगे बढ़ाया। वह चाहती थीं कि समाज में जागरूकता बढ़े और ज्यादा से ज्यादा लोग इस नेक कार्य में भाग लें। उनके इस निर्णय ने झारखंड और पूरे देश में एक नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया।
भारत में अंगदान की स्थिति कैसी है?
भारत में अंगदान को लेकर जागरूकता की काफी कमी है। आंकड़ों के मुताबिक, देश में हर साल करीब 5 लाख लोग अंग प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा सूची में रहते हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ 2% लोगों को ही अंग मिल पाते हैं।
अंगदान को लेकर समाज में कई भ्रांतियां और डर भी मौजूद हैं। कुछ लोग इसे धार्मिक दृष्टि से देखते हैं, तो कुछ को यह डर रहता है कि उनके अंगदान करने से परिवार पर कोई प्रभाव पड़ेगा। लेकिन नीतू शर्मा जैसी शख्सियतें इन मिथकों को तोड़ने का काम कर रही हैं।
क्या कहती हैं नीतू शर्मा?
अंगदान के बारे में बात करते हुए नीतू शर्मा ने कहा,
"मैं चाहती हूं कि लोग इस नेक कार्य को अपनाएं। मेरे अंगदान से किसी को जीवन मिलेगा, इससे बड़ा कुछ नहीं हो सकता। अगर मेरे कदम से कोई प्रेरित होता है, तो यह मेरे लिए सबसे बड़ी उपलब्धि होगी।"
समाज पर असर – क्यों जरूरी है ऐसे कदम?
आज जब लोग खुद के बारे में सोचने में व्यस्त हैं, तब नीतू शर्मा जैसी महिलाएं समाज को नई दिशा दे रही हैं। उनका यह फैसला सिर्फ सम्मान पाने के लिए नहीं, बल्कि समाज को अंगदान के महत्व को समझाने के लिए था।
कैसे कर सकते हैं अंगदान?
अगर आप भी इस नेक कार्य में शामिल होना चाहते हैं, तो NOTTO (National Organ and Tissue Transplant Organization) की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर पंजीकरण कर सकते हैं। यह प्रक्रिया बिल्कुल मुफ्त और सरल है।
अंगदान से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
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भारत में हर साल 2 लाख से ज्यादा किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है, लेकिन केवल 6,000 ट्रांसप्लांट ही हो पाते हैं।
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एक व्यक्ति अपने 8 अंगों और 50 से ज्यादा ऊतकों (Tissues) को दान कर सकता है।
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सबसे ज्यादा दिल, किडनी, लिवर, आंखें, फेफड़े और त्वचा की मांग होती है।
नीतू शर्मा का यह साहसिक कदम समाज को जागरूक करने का एक बेहतरीन उदाहरण है। अंगदान न केवल किसी की जिंदगी बचा सकता है, बल्कि यह सबसे बड़ा मानवता का कार्य भी है।
अगर नीतू शर्मा जैसी और भी जनप्रतिनिधि इस दिशा में कदम बढ़ाते हैं, तो वह दिन दूर नहीं जब भारत में अंग प्रत्यारोपण की समस्या काफी हद तक सुलझ जाएगी।
तो क्या आप भी अंगदान करने के लिए तैयार हैं? अपनी राय हमें कमेंट में जरूर बताएं!
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