Jadugoda Dhan Crisis: गोदामों में भरा 705 क्विंटल धान, लेकिन उठाव नहीं – किसान मायूस होकर लौटने को मजबूर!

जादूगोड़ा के आसनबनी लैंप्स में 705 क्विंटल धान गोदामों में भरा पड़ा है, लेकिन उठाव न होने के कारण किसान मायूस हैं। सरकार कब उठाएगी कदम? जानिए पूरी खबर।

Mar 12, 2025 - 13:33
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Jadugoda Dhan Crisis: गोदामों में भरा 705 क्विंटल धान, लेकिन उठाव नहीं – किसान मायूस होकर लौटने को मजबूर!
Jadugoda Dhan Crisis: गोदामों में भरा 705 क्विंटल धान, लेकिन उठाव नहीं – किसान मायूस होकर लौटने को मजबूर!

झारखंड के जादूगोड़ा के आसनबनी लैंप्स में किसानों के लिए हालात चिंताजनक होते जा रहे हैं। 705 क्विंटल धान गोदामों में भरा पड़ा है, लेकिन उठाव की प्रक्रिया ठप होने के कारण किसान मायूस होकर लौट रहे हैं। किसानों की मेहनत से उपजे इस अनाज का कोई खरीददार नहीं दिख रहा, जिससे वे मजबूरी में बिचौलियों के हाथों औने-पौने दामों में धान बेचने पर विवश हो रहे हैं। आखिर इस समस्या की असली जड़ क्या है और कब मिलेगी किसानों को राहत? आइए, जानते हैं इस पूरे मामले की गहराई से।

धान अधिप्राप्ति क्यों हुई बंद?

तीन दिन से धान अधिप्राप्ति ठप है, और गोदामों में जगह न होने के कारण किसान अपने अनाज के साथ वापस लौट रहे हैं। आसनबनी लैंप्स कार्यालय में धान खरीदने का काम पहले जोरों पर था, लेकिन अब गोदाम पूरी तरह भर चुके हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है कि जुड़ी धान मिल ने अब तक उठाव नहीं किया है। लैंप्स के सचिव मनिंद्र नाथ महतो का कहना है कि विभाग को कई बार सूचना दी गई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला।

किसानों के सामने बढ़ी परेशानी

धान बेचने की आस लेकर आए किसानों को बार-बार लौटना पड़ रहा है। ऐसे में वे मजबूरी में बिचौलियों से संपर्क कर रहे हैं, जो बाजार से बेहद कम कीमत पर धान खरीद रहे हैं। किसान अपने अनाज का सही मूल्य नहीं पा रहे, जिससे आर्थिक संकट और गहरा जाता है।

जादूगोड़ा में हर साल दोहराई जाती है यही कहानी!

अगर इतिहास पर नजर डालें तो जादूगोड़ा और आसपास के इलाकों में हर साल ऐसी ही स्थिति बनती है। किसानों से धान खरीदने की प्रक्रिया शुरू होती है, लेकिन गोदाम भरने के बाद उठाव में देरी होती है, जिससे किसान हताश होकर निजी व्यापारियों को धान बेचने पर मजबूर हो जाते हैं। सरकारी योजनाओं का लाभ केवल कागजों तक सीमित रह जाता है, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है।

क्या है सरकार की जिम्मेदारी?

धान खरीद नीति के तहत सरकार किसानों से सीधा धान खरीदकर उसे उचित मूल्य पर बेचने की प्रक्रिया अपनाती है। लेकिन जब धान उठाव में देरी होती है, तो इसका सीधा असर किसानों की आय पर पड़ता है। ऐसे में प्रशासन को जल्द से जल्द कोई ठोस कदम उठाने की जरूरत है, ताकि किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिल सके।

क्या मिलेगा समाधान?

लैंप्स सचिव का कहना है कि होली के बाद धान उठाव का भरोसा दिया गया है। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह वादा पूरा होगा या फिर किसानों को इसी तरह परेशानी झेलनी पड़ेगी।

सरकार कब उठाएगी कदम?

अगर समय रहते संबंधित विभाग इस समस्या का समाधान नहीं करता, तो आने वाले दिनों में किसानों का गुस्सा भड़क सकता है। सरकार को चाहिए कि वह जल्द से जल्द उठाव प्रक्रिया को बहाल करे, ताकि किसानों को उनकी फसल का सही मूल्य मिल सके और वे बिचौलियों के चंगुल से बच सकें।

जादूगोड़ा में धान से भरे गोदाम और किसानों की खाली जेबें—यह विडंबना हर साल दोहराई जाती है। जरूरत है कि सरकार और प्रशासन इस समस्या का स्थायी समाधान निकालें, ताकि किसान बिना किसी बाधा के अपने उत्पाद का उचित मूल्य प्राप्त कर सकें। वरना, हर साल यही कहानी दोहराई जाएगी, और किसानों की मेहनत का सही फल उन्हें कभी नहीं मिलेगा।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।