Godda Goonda Raj :गोड्डा में खुलेआम गुंडागर्दी! मनजर आलम पर लगे गंभीर आरोप, पुलिस की चुप्पी पर उठे सवाल
गोड्डा में मनजर आलम पर खुलेआम गुंडागर्दी, मारपीट और अवैध धंधों के गंभीर आरोप लगे हैं। पीड़ित परिवार का दावा, पुलिस भी आरोपी का साथ दे रही है। जानें पूरा मामला!
गोड्डा, 31 जनवरी 2025 – झारखंड के गोड्डा जिले में कानून-व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं। खुलेआम गुंडागर्दी, मारपीट, अवैध धंधे और प्रशासन की कथित मिलीभगत के आरोपों के बीच पीड़ित परिवार न्याय की गुहार लगा रहा है।
मनजर आलम, जो इलाके में अपनी दबंगई के लिए कुख्यात बताया जाता है, उस पर आरोप है कि उसने अपने साथियों के साथ मिलकर एक महिला के घर में घुसकर न सिर्फ उसकी पिटाई की, बल्कि जब पीड़िता मदद के लिए चिल्लाई तो कोई भी उसे बचाने तक नहीं आया। मामला यहीं नहीं रुका, जब परिवार के अन्य सदस्य पहुंचे, तो उनके साथ भी मारपीट की गई, यहां तक कि कपड़े तक फाड़ दिए गए और घर का सामान तोड़ दिया गया।
पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल
घटना के बाद जब पीड़ित परिवार ने पुलिस को सूचना दी, तो उनकी उम्मीद थी कि उन्हें न्याय मिलेगा। लेकिन उल्टा पुलिस पर आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने मनजर आलम का ही पक्ष लिया। शिकायतकर्ता का कहना है कि जब वे अपनी सास को लेकर थाना पहुंचे और आवेदन देने की कोशिश की, तो थानेदार ने साफ शब्दों में कह दिया – "मनजर आलम का नाम हटाओ, तभी आवेदन लेंगे!"
यह बात पुलिस की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े करती है। पीड़ित परिवार के अनुसार, जब उन्होंने आवेदन बदलने से इनकार किया, तो उन्हें जांच में सहयोग नहीं मिला। सदर अस्पताल में जब वे मेडिकल इनजरी रिपोर्ट कटवाने पहुंचे, तो वहां भी उन्हें निराशा हाथ लगी।
डीएसपी ने लिया संज्ञान, फिर भी पुलिस प्रशासन मौन!
भगवान की कृपा कहें या किस्मत, उसी वक्त गोड्डा के डीएसपी किसी कार्यक्रम के लिए अस्पताल पहुंचे थे। जब उन्होंने पीड़ितों की हालत देखी और पूरा मामला सुना, तो उन्होंने खुद थाना प्रभारी को फटकार लगाई और इनजरी रिपोर्ट कटवाने का आदेश दिया। इसके बाद जाकर पीड़ित परिवार को आवेदन देने की अनुमति मिली।
लेकिन हैरानी की बात यह है कि 11 जनवरी 2025 को आवेदन देने के बावजूद अब तक मनजर आलम खुलेआम घूम रहा है, और पुलिस उसके खिलाफ कोई कार्रवाई करने के बजाय उसे संरक्षण देती नजर आ रही है।
अवैध धंधों का अड्डा बना इलाका?
पीड़ित परिवार ने सिर्फ मारपीट और गुंडागर्दी की शिकायत ही नहीं की, बल्कि इलाके में बढ़ते अपराध और अवैध धंधों की ओर भी ध्यान आकर्षित किया है।
???? गांव में अवैध वसूली: मनजर आलम पर आरोप है कि वह इलाके में ट्रक ड्राइवरों से जबरन पैसे वसूलता है। पंजाबारा पुल बनने के बाद से उसकी गतिविधियां और बढ़ गई हैं।
???? गौ-तस्करी का आरोप: इलाके में जितने भी मवेशी (विशेष रूप से बैल) होते हैं, उन्हें जबरदस्ती बेचवा दिया जाता है।
???? ड्रग्स की अवैध बिक्री: मनजर आलम और उसके साथी मु. सद्दाम व मु. मारूफ खुलेआम ब्राउन शुगर की तस्करी कर रहे हैं। पीड़ित परिवार ने दावा किया कि उनकी सास जब इस काले धंधे का विरोध करती हैं, तो उन्हें डायन कहकर प्रताड़ित किया जाता है और घर के सामने ही पत्थरबाजी की जाती है।
गवाहों को मिल रही धमकियां
इस पूरे मामले में सबसे चिंताजनक बात यह है कि जब पीड़ित परिवार ने गवाहों को बयान देने के लिए आगे किया, तो मनजर आलम ने पुलिस के सामने ही उन्हें गालियां दीं और धमकाया।
"अगर गवाही दोगे, तो तुम लोग नहीं बचोगे! पुलिस भी हमारा कुछ नहीं कर सकती," – यह शब्द मनजर आलम के बताए जा रहे हैं, जो यह दिखाता है कि अपराधियों में पुलिस का डर खत्म हो चुका है।
क्या गोड्डा में फिर से लौट आया 'गुंडा राज'?
गोड्डा का नाम पहले भी अपराध और दबंगों के लिए सुर्खियों में रहा है। लेकिन प्रशासन की निष्क्रियता ने इसे और भी बढ़ावा दिया है। अगर समय रहते मनजर आलम और उसके गुर्गों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो आने वाले समय में यह मामला और भयावह हो सकता है।
पीड़ित परिवार ने पुलिस अधीक्षक से अपील की है कि –
- मनजर आलम और उसके साथियों की गिरफ्तारी हो
- इलाके में चल रहे अवैध धंधों की जांच की जाए
- जो पुलिसकर्मी अपराधियों का सहयोग कर रहे हैं, उनके खिलाफ भी कार्रवाई हो
अब देखना यह है कि प्रशासन कब जागेगा?
क्या गोड्डा पुलिस अब भी आंखें मूंदे बैठी रहेगी, या फिर पीड़ित परिवार को न्याय मिलेगा?
यह मामला सिर्फ एक परिवार की लड़ाई नहीं है, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है – अगर आज कार्रवाई नहीं हुई, तो कल कोई और इसी गुंडागर्दी का शिकार होगा!
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