Dhanbad Fraud: जाली दस्तावेज बनाकर मॉल की दुकान बेच दी, पुलिस जांच में चौंकाने वाला खुलासा!

धनबाद में बड़ा फर्जीवाड़ा! डीएमसी मॉल की दुकान जाली दस्तावेजों के आधार पर बेच दी गई। नगर निगम के जाली लेटर पैड और हस्ताक्षरों का इस्तेमाल कर 10 लाख में की गई डील। जानिए पूरा मामला।

Mar 17, 2025 - 15:22
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Dhanbad Fraud: जाली दस्तावेज बनाकर मॉल की दुकान बेच दी, पुलिस जांच में चौंकाने वाला खुलासा!
Dhanbad Fraud: जाली दस्तावेज बनाकर मॉल की दुकान बेच दी, पुलिस जांच में चौंकाने वाला खुलासा!

धनबाद में एक चौंकाने वाला फर्जीवाड़ा सामने आया है, जहां डीएमसी मॉल की दुकान को जाली दस्तावेजों के आधार पर 10 लाख रुपये में बेच दिया गया। इस पूरे घोटाले में धनबाद नगर निगम के जाली लेटर पैड और नगर आयुक्त के नकली हस्ताक्षर का इस्तेमाल किया गया।

कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?

झरिया के धर्मशाला रोड निवासी अभिषेक कुमार साव ने नगर निगम में शिकायत दर्ज कराई थी कि उनके पड़ोसी गोपी मोदी ने डीएमसी मॉल की एक दुकान उन्हें 10 लाख रुपये में बेच दी। इस डील में गोपी मोदी ने 6.95 लाख रुपये अग्रिम राशि के रूप में ले लिए।

लेकिन जब अभिषेक ने नगर निगम से इस दुकान का मालिकाना हक कन्फर्म करना चाहा, तो सच सामने आया कि यह पूरी तरह फर्जीवाड़ा था।

नगर निगम ने दर्ज कराई प्राथमिकी

  • धनबाद नगर निगम के नगर प्रबंधक रजनीश लाल ने शुक्रवार को बैंकमोड़ थाना में इस मामले की एफआईआर दर्ज कराई।
  • शिकायत की जांच में यह सामने आया कि दुकान का आरक्षण जाली दस्तावेजों के आधार पर किया गया था।
  • धनबाद नगर निगम ने स्पष्ट किया कि डीएमसी मॉल में दुकानों के आवंटन की प्रक्रिया अभी तक शुरू ही नहीं हुई है।

नगर निगम के नाम पर लाखों की ठगी!

इस मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि धोखाधड़ी के लिए नगर निगम के नाम का इस्तेमाल किया गया।

  • फर्जी लेटर पैड पर नगर आयुक्त के नकली हस्ताक्षर किए गए।
  • झूठे दस्तावेज तैयार कर दुकान बेच दी गई।
  • अभिषेक कुमार साव से 6.95 लाख रुपये ठग लिए गए।

क्या नगर निगम की मिलीभगत है?

इस पूरे फर्जीवाड़े में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या यह ठगी अकेले गोपी मोदी ने की, या फिर इसमें नगर निगम के कुछ अधिकारियों की भी मिलीभगत थी?

पुलिस अब इस बात की भी जांच कर रही है कि क्या किसी नगर निगम कर्मी ने गोपी मोदी को जाली दस्तावेज बनाने में मदद की थी?

क्या यही पहला मामला है?

धनबाद में इस तरह के जाली दस्तावेज बनाकर जमीन और दुकान बेचने के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं।

  • 2019 में झारखंड हाईकोर्ट ने धनबाद में जाली रजिस्ट्री के मामलों की जांच के आदेश दिए थे।
  • 2021 में बैंकमोड़ इलाके में एक फर्जी जमीन बिक्री का मामला सामने आया था, जिसमें निगम के एक कर्मचारी की संलिप्तता पाई गई थी।
  • अब डीएमसी मॉल में हुए इस घोटाले ने फिर से प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

क्या होगी अब कार्रवाई?

पुलिस ने इस पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है।
गोपी मोदी के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी की धाराओं में केस दर्ज किया गया है।
पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या इस ठगी में कोई और भी शामिल था।

सवाल जो उठते हैं...

अगर नगर निगम की दुकानें अभी आवंटित ही नहीं हुई थीं, तो इतनी आसानी से फर्जीवाड़ा कैसे हुआ?
क्या यह ठगी का एक बड़ा नेटवर्क है, जो लोगों को इसी तरह ठग रहा है?
क्या पुलिस और प्रशासन इस मामले में सख्त कार्रवाई करेगा, या फिर यह मामला भी ठंडे बस्ते में चला जाएगा?

अब आगे क्या?

  • धनबाद पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पूरी जांच शुरू कर दी है।
  • नगर निगम भी अब सभी आवंटनों की दोबारा जांच करने की योजना बना रहा है, ताकि इस तरह के फर्जीवाड़े को रोका जा सके।
  • झारखंड सरकार से मांग उठ रही है कि इस तरह के मामलों में दोषियों को कड़ी सजा दी जाए।

आपकी राय क्या है?

क्या नगर निगम को सभी आवंटनों की ऑनलाइन पारदर्शी प्रक्रिया अपनानी चाहिए?
क्या झारखंड सरकार को जमीन और प्रॉपर्टी घोटालों पर सख्त कानून बनाना चाहिए?
क्या दोषियों को जल्द से जल्द सजा मिलनी चाहिए?

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।