Chaibasa Accident: नाबालिग की रफ्तार ने ली बुजुर्ग की जान, सड़क पार कर रही महिला को बाइक से रौंदा
चाईबासा-रांची मुख्य मार्ग पर एक नाबालिग बाइक सवार ने सड़क पार कर रही बासठ वर्षीय बुजुर्ग महिला को जोरदार टक्कर मार दी। इस भीषण हादसे में महिला के गले और हाथ की हड्डियाँ टूट गईं, जिसके बाद इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। प्रशासन की ढिलाई और तेज रफ्तार एक बार फिर जानलेवा साबित हुई।
चाईबासा, 17 दिसंबर 2025 – झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में स्थित चाईबासा-रांची मुख्य मार्ग पर बुधवार को एक अत्यंत दुखद और भयावह सड़क दुर्घटना घटी। मतकमबेड़ा गांव के समीप एक नाबालिग द्वारा अत्यधिक तेज रफ्तार में चलाई जा रही दुपहिया गाड़ी ने एक बुजुर्ग महिला को अपनी चपेट में ले लिया। इस टक्कर की तीव्रता इतनी अधिक थी कि महिला की अनेक हड्डियाँ चकनाचूर हो गईं और अंततः अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली।
रफ्तार का कहर और मासूम की लापरवाही
मृतक महिला की पहचान बंदगांव प्रखंड के मतकमबेड़ा निवासी बासठ (62) वर्षीय विसांगी बांकिरा के रूप में हुई है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, विसांगी सड़क के किनारे सामान्य गति से चल रही थीं, तभी सामने से आ रहे एक नाबालिग युवक ने अपनी तेज रफ्तार गाड़ी पर से नियंत्रण खो दिया और सीधे वृद्ध महिला को टक्कर मार दी।
-
गंभीर चोटें: चिकित्सकों ने बताया कि दुर्घटना के कारण महिला के कंठ (गले) की हड्डी और दोनों हाथों की हड्डियाँ बुरी तरह टूट गई थीं। स्थानीय निवासियों ने तत्काल उन्हें चक्रधरपुर अनुमंडल अस्पताल पहुंचाया, जहाँ प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें बेहतर इलाज के लिए जमशेदपुर भेजने की तैयारी की जा रही थी। किन्तु, विसांगी के शरीर ने साथ छोड़ दिया और स्थानांतरण से पूर्व ही उनकी मृत्यु हो गई।
राष्ट्रीय राजमार्ग 75 का इतिहास और सुरक्षा चुनौतियाँ
चाईबासा और रांची को जोड़ने वाला यह मुख्य मार्ग दशकों से झारखंड की आर्थिक धमनी रहा है। लौह अयस्क और अन्य खनिजों के परिवहन के कारण यहाँ वाहनों का दबाव हमेशा अधिक रहता है। इतिहास गवाह है कि सड़क चौड़ीकरण के बाद वाहनों की रफ्तार तो बढ़ी है, किन्तु सुरक्षा मानकों की अनदेखी के कारण ग्रामीणों के लिए यह मार्ग 'यमराज' का रास्ता बन गया है। विशेषकर नाबालिगों के हाथों में शक्तिशाली मशीनें सौंपना एक सामाजिक अभिशाप बनता जा रहा है।
प्रशासनिक विफलता पर उठते सवाल
स्थानीय जनता में इस घटना को लेकर गहरा आक्रोश है। लोगों का कहना है कि यातायात पुलिस की जांच प्रक्रिया मात्र दिखावा बनकर रह गई है।
-
नियमित जांच की मांग: ग्रामीणों का तर्क है कि प्रशासन केवल विशेष अवसरों पर ही जागरूकता अभियान चलाता है। जब तक नाबालिग चालकों और तेज रफ्तार वाहनों के खिलाफ नियमित रूप से कठोर दंडात्मक कार्यवाही नहीं होगी, तब तक ऐसे निर्दोष लोग अपनी जान गंवाते रहेंगे। पुलिस ने फिलहाल गाड़ी को जब्त कर मामले की छानबीन शुरू कर दी है।
इस दुर्घटना ने एक बार फिर उन अभिभावकों को चेतावनी दी है जो बिना सोचे-समझे अपने बच्चों को सड़कों पर गाड़ी दौड़ाने की अनुमति दे देते हैं।
What's Your Reaction?


