Adityapur Poor Construction: डुरांग-कालाझोर सड़क पर सवाल, भ्रष्टाचार की बू और घटिया सामग्री का उपयोग
आदित्यपुर की डुरांग-कालाझोर सड़क निर्माण में घटिया सामग्री और भ्रष्टाचार की बू। जानें कैसे चंपई सोरेन की महत्वाकांक्षी परियोजना सवालों के घेरे में है।
आदित्यपुर, 27 जनवरी 2025: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन की महत्वाकांक्षी योजनाओं पर अब सवाल उठने लगे हैं। सरायकेला विधानसभा क्षेत्र की डुरांग-कालाझोर सड़क, जिसे क्षेत्र के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना माना गया था, आज घटिया निर्माण सामग्रियों और गुणवत्ता की अनदेखी के कारण सुर्खियों में है। इस सड़क निर्माण में हो रही लापरवाही से क्षेत्र की जनता के सपने टूटते नजर आ रहे हैं।
चंपई सोरेन का सपना, पर सच्चाई कुछ और
पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने अपने कार्यकाल में क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता दी थी। 5 अगस्त 2024 को, मंत्री पद पर रहते हुए उन्होंने डुरांग-कालाझोर सड़क का शिलान्यास किया। इस परियोजना को 53 करोड़ 20 लाख की लागत से 19 किलोमीटर लंबी पीसीसी और आरसीसी सड़क के निर्माण के लिए स्वीकृति मिली थी। इससे क्षेत्र के एक दर्जन गांवों को सीधा लाभ मिलना था। लेकिन, शिलान्यास के समय किए गए वादे और वास्तविकता के बीच अब एक बड़ा अंतर साफ दिखाई दे रहा है।
गुणवत्ता पर सवाल, भ्रष्टाचार की गंध
इस सड़क निर्माण की जिम्मेदारी लीडिंग कंस्ट्रक्शन को सौंपी गई है। निर्माण कार्य में इस्तेमाल हो रहे घटिया रॉ मटीरियल की ओर लोगों का ध्यान गया है। सड़क पर हो रही खराब गुणवत्ता के कारण परियोजना में भ्रष्टाचार के आरोप लगने शुरू हो गए हैं। जिन सामग्रियों का उपयोग किया जा रहा है, वे वादे के अनुसार टिकाऊ और उच्च गुणवत्ता वाली नहीं हैं। ऐसे में यह सड़क आने वाले समय में क्षेत्र की जनता के लिए एक नई समस्या बन सकती है।
इतिहास और महत्व
डुरांग-कालाझोर सड़क का क्षेत्र के लोगों के लिए खास महत्व है। वर्षों से इस सड़क की मांग की जा रही थी, जो गांवों को मुख्यधारा से जोड़ने और विकास की नई राह खोलने वाली थी। चंपई सोरेन ने इसे अपने कार्यकाल की एक बड़ी उपलब्धि बताया था। लेकिन वर्तमान स्थिति को देखकर यह सवाल उठता है कि क्या यह परियोजना केवल कागजों में ही सीमित रह जाएगी?
लापरवाही या उदासीनता?
इस परियोजना में हो रही अनियमितताओं को लेकर यह बहस तेज हो गई है कि यह विभागीय लापरवाही का नतीजा है या सरकार की उदासीनता। जनता का कहना है कि अगर समय रहते जांच नहीं हुई, तो ठेकेदार मनमाने तरीके से निर्माण कार्य को पूरा कर क्षेत्र की भोली-भाली जनता को ठगकर निकल जाएगा।
स्थानीय लोगों की चिंता
स्थानीय लोग इस निर्माण कार्य को लेकर अपनी चिंता जाहिर कर रहे हैं। उनका कहना है कि यदि सड़क की गुणवत्ता की समय रहते जांच नहीं हुई, तो यह करोड़ों की लागत की परियोजना पूरी तरह से विफल हो सकती है। ग्रामीणों ने सरकार और प्रशासन से अपील की है कि इस मामले में तत्काल जांच कराई जाए और गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए।
क्या होगा आगे?
इस मामले ने अब तूल पकड़ लिया है। सरकार और प्रशासन के पास यह सुनिश्चित करने का मौका है कि इस परियोजना में पारदर्शिता और गुणवत्ता बनी रहे। क्षेत्र के विकास के लिए यह सड़क परियोजना एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है, लेकिन यदि अनियमितताओं पर लगाम नहीं लगी, तो यह लोगों के विश्वास को और कमजोर कर सकती है।
What's Your Reaction?