West Singhbhum Blast Plan: नक्सलियों की साजिश नाकाम, 3 किलो IED बरामद

पश्चिम सिंहभूम में सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली! 3 किलो IED बरामद, नक्सलियों की साजिश नाकाम। जानिए कैसे सुरक्षा बलों ने बड़ा हादसा टाल दिया।

Mar 9, 2025 - 17:57
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West Singhbhum Blast Plan: नक्सलियों की साजिश नाकाम, 3 किलो IED बरामद
West Singhbhum Blast Plan: नक्सलियों की साजिश नाकाम, 3 किलो IED बरामद

झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में नक्सल प्रभावित इलाकों में चल रहे सुरक्षा बलों के अभियान को बड़ी सफलता मिली है। सुरक्षा बलों ने टोंटो थाना क्षेत्र के जंगलों में नक्सलियों द्वारा लगाए गए 3 किलो IED (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) को बरामद कर नष्ट कर दिया। अगर यह विस्फोट होता, तो बड़ा नुकसान हो सकता था, लेकिन सुरक्षाबलों की सतर्कता से नक्सलियों की यह साजिश नाकाम हो गई।

नक्सलियों की साजिश पर फिरा पानी

पश्चिम सिंहभूम जिला पुलिस और सीआरपीएफ, झारखंड जगुआर व कोबरा बटालियन की टीम लंबे समय से नक्सल विरोधी अभियान चला रही है। यह इलाका घने जंगलों और पहाड़ियों से भरा हुआ है, जहां नक्सली सुरक्षाबलों को निशाना बनाने की साजिशें रचते रहते हैं। 9 मार्च को सुबह करीब 11 बजे, जब सुरक्षा बल टोंटो थाना क्षेत्र के जीमकीइकीर वन ग्राम के आसपास के पहाड़ी जंगलों में गश्त कर रहे थे, तब उन्होंने यह IED विस्फोटक बरामद किया।

IED एक खतरनाक विस्फोटक होता है, जिसे नक्सली सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचाने के लिए अक्सर जमीन में छिपाकर या पेड़ों में लटकाकर लगाते हैं। अगर यह ब्लास्ट हो जाता, तो यह बड़ा हादसा हो सकता था। लेकिन सुरक्षा बलों ने इसे समय रहते डिफ्यूज कर दिया और नक्सलियों की यह साजिश विफल हो गई।

क्यों खास है यह इलाका?

सारंडा वन क्षेत्र, जहां यह विस्फोटक मिला है, झारखंड के सबसे घने जंगलों में से एक है। इस जंगल में लोहा-अयस्क के बड़े भंडार हैं, और यह इलाका वर्षों से नक्सलियों का गढ़ रहा है। यही कारण है कि सुरक्षा बल यहां लगातार अभियान चला रहे हैं, ताकि नक्सलियों को कमजोर किया जा सके।

नक्सलियों की रणनीति और सुरक्षाबलों की मुस्तैदी

नक्सली सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचाने के लिए अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। कभी वे बारूदी सुरंग बिछाते हैं, तो कभी जंगलों में IED छिपाकर हमले की योजना बनाते हैं। लेकिन सुरक्षा बलों की सतर्कता और आधुनिक तकनीकों की वजह से उनकी साजिशें सफल नहीं हो पा रही हैं।

झारखंड पुलिस और अर्धसैनिक बलों की मुस्तैदी से पिछले कुछ वर्षों में नक्सल गतिविधियों में भारी गिरावट आई है। लेकिन अभी भी कुछ इलाकों में नक्सली अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में, सुरक्षा बलों की चुनौती बनी हुई है।

कैसे चलता है नक्सल विरोधी ऑपरेशन?

  • संयुक्त अभियान: सीआरपीएफ, झारखंड जगुआर और कोबरा बटालियन की टीम मिलकर ऑपरेशन चलाती हैं।
  • इंटेलिजेंस नेटवर्क: स्थानीय खुफिया जानकारी के आधार पर संदिग्ध इलाकों में तलाशी अभियान चलाया जाता है।
  • ड्रोन और आधुनिक तकनीक: अब ड्रोन कैमरे और सैटेलाइट इमेजिंग की मदद से नक्सलियों की हरकतों पर नजर रखी जाती है।
  • मेडल डिटेक्टर और बम स्क्वॉड: IED जैसी खतरनाक चीजों को समय रहते पहचानकर उन्हें डिफ्यूज किया जाता है।

क्या नक्सलियों का खात्मा नजदीक है?

हाल के वर्षों में झारखंड में नक्सली गतिविधियां लगातार कमजोर हुई हैं। सरकारी योजनाओं, रोजगार के नए अवसरों और पुलिस की सक्रियता से नक्सल प्रभावित इलाकों में सुधार देखने को मिल रहा है। हालांकि, नक्सली अभी भी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं और समय-समय पर ऐसी घटनाओं को अंजाम देने की कोशिश करते हैं।

लेकिन इस तरह की घटनाओं से साफ है कि सुरक्षा बल पूरी मुस्तैदी से डटे हुए हैं और नक्सलियों की हर साजिश को नाकाम कर रहे हैं। झारखंड के कई इलाके अब नक्सल मुक्त हो चुके हैं और आने वाले समय में बाकी जगहों पर भी सुरक्षा बल पूरी तरह नियंत्रण हासिल कर लेंगे।

पश्चिम सिंहभूम में नक्सलियों की यह साजिश एक बार फिर बेकार चली गई। सुरक्षा बलों की सतर्कता और साहस ने यह साबित कर दिया कि नक्सली अब कमजोर हो चुके हैं और उनके मंसूबे कभी पूरे नहीं होंगे। झारखंड में शांति बहाल करने की दिशा में यह एक और बड़ी जीत है।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।