New Delhi: टाटा पावर और भूटान की साझेदारी से 5,000 मेगावाट स्वच्छ ऊर्जा का सपना!
टाटा पावर और ड्रुक ग्रीन पावर के बीच हुई ऐतिहासिक साझेदारी से भूटान में 5,000 मेगावाट की स्वच्छ ऊर्जा क्षमता का विकास होगा। जानिए इस साझेदारी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी।
नई दिल्ली से एक बड़ी खबर आई है, जहां टाटा पावर ने भूटान की ड्रुक ग्रीन पावर कॉरपोरेशन (डीजीपीसी) के साथ मिलकर 5,000 मेगावाट स्वच्छ ऊर्जा क्षमता का विकास करने के लिए एक ऐतिहासिक साझेदारी की है। यह साझेदारी न केवल भारत और भूटान के बीच एक महत्वपूर्ण ऊर्जा समझौता है, बल्कि एशिया के स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
क्या है इस साझेदारी का महत्व?
टाटा पावर और डीजीपीसी के बीच इस रणनीतिक साझेदारी को एशिया की सबसे बड़ी स्वच्छ ऊर्जा परियोजना के रूप में देखा जा रहा है। इस समझौते के तहत 5,000 मेगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं का विकास किया जाएगा, जिसमें 1,125 मेगावाट की डोरजिलुंग जलविद्युत परियोजना और 4,500 मेगावाट की जलविद्युत परियोजनाएं शामिल हैं। इसके अलावा, टाटा पावर रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड (टीपीआरईएल) द्वारा 500 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना भी विकसित की जाएगी।
भूटान की जलविद्युत क्षमता का होगा पूरा उपयोग
टाटा पावर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक प्रवीर सिन्हा ने इस साझेदारी के बारे में कहा कि, "यह साझेदारी हमारे स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में पसंदीदा भागीदार के रूप में हमारी स्थिति को मजबूत करती है। हम मिलकर भूटान की जलविद्युत क्षमता का पूरा उपयोग करते हुए दोनों देशों की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेंगे।"
भूटान की जलविद्युत क्षमता का उपयोग करते हुए, इस परियोजना के माध्यम से 24 घंटे स्वच्छ ऊर्जा की आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी। यह न केवल भूटान के लिए, बल्कि भारत के लिए भी एक महत्वपूर्ण ऊर्जा स्रोत बनेगा।
दाशो शेरिंग टोबगे की उपस्थिति में हुआ एमओयू पर हस्ताक्षर
इस ऐतिहासिक साझेदारी का समझौता ज्ञापन (एमओयू) थिम्पू में भूटान के प्रधानमंत्री दाशो शेरिंग टोबगे की उपस्थिति में हुआ। इस मौके पर डीजीपीसी के प्रबंध निदेशक दाशो छेवांग रिनजिन, टाटा पावर के सीईओ और प्रबंध निदेशक प्रवीर सिन्हा, और टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन सहित कई महत्वपूर्ण अधिकारी मौजूद थे।
इस साझेदारी से न केवल भूटान की ऊर्जा सुरक्षा को बल मिलेगा, बल्कि भारत और भूटान के बीच ऊर्जा सहयोग को भी नया आकार मिलेगा।
क्या है टाटा पावर का लंबा इतिहास डीजीपीसी के साथ?
टाटा पावर का डीजीपीसी के साथ लंबा इतिहास रहा है। 2008 में दोनों कंपनियों ने भूटान के जलविद्युत क्षेत्र में पहली सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के रूप में 126 मेगावाट की दगाछू जलविद्युत परियोजना को सफलतापूर्वक विकसित किया था। यह साझेदारी दोनों देशों के ऊर्जा क्षेत्र के लिए एक मील का पत्थर साबित हुई थी।
इसके बाद, टाटा पावर ने भूटान से भारत तक स्वच्छ बिजली की आपूर्ति करने के लिए 1,200 किलोमीटर लंबी टाला पारेषण लाइन परियोजना भी शुरू की थी। इससे यह साबित होता है कि टाटा पावर भूटान में स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में एक विश्वसनीय और महत्वपूर्ण साझेदार है।
भूटान के आर्थिक विकास में मददगार होगा यह समझौता
डीजीपीसी के प्रबंध निदेशक दाशो छेवांग रिनजिन ने इस समझौते के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, "यह साझेदारी भूटान के आर्थिक विकास और दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। यह हमें हमारे विशाल नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों का तेजी से उपयोग करने में मदद करेगी, जिससे वहां के लोगों को अधिकतम लाभ मिलेगा।"
नवीनतम ऊर्जा युग की शुरुआत
यह साझेदारी न केवल भूटान और भारत के बीच एक ऊर्जा सहयोग को बढ़ावा देती है, बल्कि यह स्वच्छ ऊर्जा के युग की शुरुआत भी है। दोनों देशों के लिए यह सस्टेनेबल और भरोसेमंद ऊर्जा आपूर्ति का रास्ता खोलेगा, जो आने वाले वर्षों में ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा।
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