Ranchi: मुस्लिम संगठन का फतवा, क्या इस बार भारत का चुनाव होगा मुस्लिम वोटों से तय?
झारखंड चुनाव 2024 में जमियत उलमा का नया फतवा, मुसलमानों से अपील की गई है कि वे इंडिया गठबंधन को वोट दें। जानें क्या है इस फतवे का असर और भाजपा सांसद की प्रतिक्रिया।
रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के बीच एक नया विवाद छिड़ गया है, जब मुस्लिम संगठन जमियत उलमा ने एक फतवा जारी किया। इस फतवे के तहत मुसलमानों से अपील की गई है कि वे इस बार इंडिया गठबंधन (कांग्रेस, झामुमो और राजद) को वोट दें। इस फतवे का उद्देश्य मुसलमानों को एकजुट करना और उन्हें आगामी चुनाव में अपनी ताकत का एहसास कराना है।
फतवे में क्या है?
जमियत उलमा ने अपने फतवे में स्पष्ट रूप से कहा है कि देश की वर्तमान स्थिति को देखते हुए और केंद्र सरकार के द्वारा मुसलमानों के प्रति अपनाए जा रहे रवैये के कारण यह फैसला लिया गया है। फतवे में एनआरसी, यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी), वक्फ बोर्ड कानून और घुसपैठियों के मुद्दे पर केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना की गई है।
संगठन का कहना है कि मुसलमानों को डराया और धमकाया जा रहा है और इन मुद्दों को लेकर उन्हें एकजुट होने की आवश्यकता है। इसलिए जमियत उलमा ने झारखंड के मुसलमानों से इंडिया गठबंधन को वोट देने की अपील की है, ताकि मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा की जा सके।
भाजपा सांसद की प्रतिक्रिया
इस फतवे पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "क्या यह देश मुसलमानों के कानून से चलेगा? यह फतवा भारत की एकता और अखंडता पर प्रहार है।" भाजपा सांसद का आरोप है कि इस तरह के फतवे से देश की एकता में दरार डालने की कोशिश की जा रही है और यह चुनावी आचार संहिता का उल्लंघन भी है।
चुनाव आयोग का हस्तक्षेप
फतवे को लेकर चुनाव आयोग ने भी अपना रुख साफ किया है। आयोग ने संबंधित उपायुक्तों को निर्देशित किया है कि ऐसे फतवा जारी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए, क्योंकि यह चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है। चुनाव आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि किसी भी संगठन को चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है और ऐसे किसी भी प्रयास को रोका जाएगा।
क्या इस फतवे का असर चुनाव पर पड़ेगा?
इस फतवे ने झारखंड चुनाव को एक नया मोड़ दे दिया है। जहां एक ओर भाजपा इसे लोकतंत्र की स्वतंत्रता पर हमला मान रही है, वहीं दूसरी ओर इंडिया गठबंधन इसे अपनी ओर से मुसलमानों को जोड़ने का एक प्रयास मान रहा है। चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि इस फतवे का असर मुस्लिम समुदाय के वोटों पर पड़ सकता है, जो चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकता है।
इतिहास में पहले भी ऐसे उदाहरण
इतिहास में ऐसा पहले भी देखा गया है जब किसी समुदाय के धार्मिक संगठन ने अपने अनुयायियों से चुनाव में किसी विशेष दल को समर्थन देने की अपील की हो। हालांकि, भारतीय संविधान के तहत हर नागरिक को अपने वोट का स्वतंत्र अधिकार है और इसे किसी भी तरीके से प्रभावित करने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए।
इस फतवे ने झारखंड चुनाव 2024 में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है, जिससे राजनीतिक हलकों में गर्मागर्मी बढ़ गई है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव आयोग इस मामले में आगे क्या कदम उठाता है और क्या इस फतवे का असर चुनावी परिणाम पर पड़ता है। वहीं, भाजपा और इंडिया गठबंधन के बीच यह विवाद और भी तीव्र हो सकता है।
यही नहीं, इस फतवे के बाद चुनाव में मुसलमानों के वोट का महत्व और बढ़ गया है, जो किसी भी पार्टी के लिए निर्णायक साबित हो सकता है।
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