"झारखंड आंदोलन की जननी मंदाकिनी महतो का निधन, कोल्हान में शोक की लहर"
: झारखंड आंदोलन की जननी मंदाकिनी महतो का रविवार रात निधन हो गया। उनकी पुण्यतिथि पर कोल्हान क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। उनके योगदान को याद कर लोग श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।
रविवार, 10 नवंबर 2024 की रात को झारखंड आंदोलन की प्रमुख नेता और कोल्हान क्षेत्र की जानीमानी हस्ती मंदाकिनी महतो का निधन हो गया। करीब 89 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ। वह झारखंड अलग राज्य की मांग के आंदोलन के दौरान एक प्रेरणा स्त्रोत रही थीं। उनका निधन कोल्हान क्षेत्र में गहरे शोक का कारण बना है।
मंदाकिनी महतो के पुत्र आस्तिक महतो, जो स्वयं झारखंड आंदोलनकारी और समाजसेवी हैं, ने बताया कि उनकी मां को अचानक रात करीब 2 बजे बेचैनी महसूस हुई। तत्काल उन्हें टीएमएच (टाटा मेमोरियल अस्पताल) ले जाया गया, लेकिन रास्ते में ही उन्हें हार्ट अटैक आ गया। इस दुखद खबर के बाद उनके सोनारी स्थित आवास पर शोक संदेशों का तांता लग गया। लोग उनके अंतिम दर्शन हेतु जुटने लगे।
मंदाकिनी महतो को झारखंड आंदोलन की जननी के रूप में जाना जाता है। उनके आवास को 80-90 के दशक में झारखंड आंदोलन के मुख्य केंद्रों में से एक माना जाता था। वीर शहीद निर्मल महतो, पूर्व सांसद शैलेन्द्र महतो और स्व. सुनील महतो जैसे बड़े नेता उनके घर आकर विचार-विमर्श करते थे। मंदाकिनी महतो के संघर्ष और समर्पण को लोग हमेशा याद रखेंगे। उनका योगदान राज्य के निर्माण के आंदोलन में अमूल्य था।
पूर्व पार्षद स्वपन कुमार महतो ने बताया कि सोमवार, 11 नवंबर 2024 को साढ़े 11 बजे मंदाकिनी महतो का शवयात्रा बिष्टुपुर स्थित पार्वती घाट के लिए निकाला जाएगा। उनके परिवार में एक पुत्र, पुत्रवधु और पोते-पोतियों का एक भरा-पूरा परिवार है। उनका आकस्मिक निधन परिवार और पूरे क्षेत्र के लिए बड़ी क्षति है।
झारखंड राज्य के निर्माण में उनकी भूमिका और संघर्ष को कभी भी भुलाया नहीं जा सकेगा। उनके निधन से कोल्हान क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है।
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