ये पीले-पीले चेहरे ही क्यों? जानें वर्ल्ड इमोजी डे का रोचक इतिहास और ये कैसे बदल रहे हैं आपकी चैटिंग को!
हर रोज इस्तेमाल करते हैं इमोजी लेकिन क्या जानते हैं इनका पूरा किस्सा? पूरी खबर पढ़िए!
आप हर रोज चैटिंग करते समय जैसे इमोजी का इस्तेमाल तो करते ही होंगे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इनका अपना अलग दिन भी मनाया जाता है? जी हां, हर साल 17 जुलाई को वर्ल्ड इमोजी डे (World Emoji Day) मनाया जाता है.
आज के दौर में जब सब कुछ डिजिटल हो गया है, तो बातचीत का तरीका भी बदला है. अब हम घंटों फोन पर बात करने की बजाय चैटिंग करना पसंद करते हैं.
कब शुरू हुआ ये इमोजी वाला सिलसिला?
अब आपको ये जानकर हैरानी होगी कि 1980 के दशक में सिर्फ टेक्स्ट से बने इमोटिकॉन (Emoticon) हुआ करते थे, जैसे कि ":-)" या ":-(." लेकिन फिर 1999 में जापान में एक मोबाइल कंपनी के लिए सबसे पहला इमोजी बनाया गया. इसके बाद तो मानो इमोजी की धूम सी शुरू हो गई!
कैसे बनीं ये छोटी-छोटी रंगीन तस्वीरें हमारी बातचीत का हिस्सा?
2007 में गूगल की एक टीम ने यूनिकोड कंसोर्टियम (Unicode Consortium) से संपर्क किया. ये एक गैर-लाभकारी संस्था है जो कंप्यूटरों में टेक्स्ट के स्टैंडर्ड को बनाए रखती है. इस टीम ने मांग की कि इमोजी को भी आधिकारिक तौर पर मान्यता दी जाए. इसके बाद साल 2011 में एप्पल ने अपने iOS ऑपरेटिंग सिस्टम में इमोजी कीबोर्ड शामिल किया. जिससे दुनियाभर के लोगों को इमोजी का इस्तेमाल करने का आसान रास्ता मिल गया.
आज हजारों इमोजी मौजूद हैं जो हर तरह के भाव, खाने-पीने की चीजों से लेकर जानवरों और झंडों तक का प्रतिनिधित्व करते हैं. इतना ही नहीं, अब तो अलग-अलग रंगों की त्वचा, लिंग और परिवार के ढांचे को दर्शाने वाले इमोजी भी आ गए हैं.
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