झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले सीएम हेमंत सोरेन के करीबी पर आयकर विभाग की छापेमारी, राज्य में हड़कंप
झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले सीएम हेमंत सोरेन के करीबी और उनके आप्त सचिव सुनील श्रीवास्तव के कई ठिकानों पर आयकर विभाग की ताबड़तोड़ छापेमारी, राज्य में मचा हड़कंप।
रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राज्य में आयकर विभाग की बड़ी कार्रवाई शुरू हो गई है। शनिवार को आयकर विभाग की टीम ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आप्त सचिव सुनील श्रीवास्तव और उनसे जुड़े अन्य लोगों के ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की। छापेमारी की शुरुआत रांची और जमशेदपुर में हुई, जिसमें कई ठिकानों पर आयकर विभाग की टीम ने दस्तक दी।
आयकर विभाग की एक टीम ने सरायकेला के गम्हरिया स्थित आंजनिया इस्पात कंपनी पर भी छापा मारा। इस कंपनी पर अवैध रूप से जिआडा की जमीन पर कब्जा करने का मामला पहले से ही चल रहा है। जानकारी के अनुसार, सुनील श्रीवास्तव पहले गम्हरिया प्रखंड के जेई (जूनियर इंजीनियर) रह चुके हैं और उनके इस कंपनी से संबंध बताए जा रहे हैं।
16-17 ठिकानों पर छापेमारी
सूत्रों के अनुसार, आयकर विभाग की टीम ने सुनील श्रीवास्तव, उनके परिवार के सदस्यों और उनसे जुड़े कुल 16-17 ठिकानों पर छापेमारी की है। बताया जा रहा है कि रांची में सात और जमशेदपुर में नौ स्थानों पर ये छापेमारी चल रही है। जमशेदपुर के जुगसलाई में एक व्यापारी के ठिकाने पर भी आयकर विभाग की कार्रवाई जारी है। इसके अलावा उनसे जुड़े कई अन्य लोगों के यहां भी तलाशी ली जा रही है।
चुनाव से पहले आयकर विभाग की बड़ी कार्रवाई
विधानसभा चुनाव के ठीक पहले हुई इस छापेमारी ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। विपक्षी दल इस छापेमारी को चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं। उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए इसे भ्रष्टाचार का मामला बताया है। वहीं, सरकार की ओर से इस मामले पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
आधिकारिक जानकारी का इंतजार
आयकर विभाग की ओर से अभी तक इस छापेमारी को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, टीम को कई महत्वपूर्ण दस्तावेज हाथ लगे हैं, जिनकी जांच की जा रही है। चुनाव से ठीक पहले इस तरह की कार्रवाई का असर राज्य की राजनीति पर साफ देखा जा सकता है।
राज्य में हड़कंप
छापेमारी के बाद राज्य में हड़कंप मच गया है। चुनावी माहौल में इस कार्रवाई से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। झारखंड में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और इस तरह की छापेमारी राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गई है।
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