Ghatsila Exhibition: महिलाओं की मेहनत की चमक, ‘प्रयास’ के प्रशिक्षुओं ने रचा इतिहास!
घाटशिला के संत नंदलाल स्मृति विद्या मंदिर में ‘प्रयास’ के प्रशिक्षुओं ने अनोखी प्रदर्शनी लगाई। जानिए, कैसे यह पहल महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही है!

घाटशिला: क्या आप जानते हैं कि हुनर और आत्मनिर्भरता को नया आयाम देने वाली एक अनोखी प्रदर्शनी यहां आयोजित हुई? संत नंदलाल स्मृति विद्या मंदिर में महिलाओं के लिए कार्यरत ‘प्रयास’ के प्रशिक्षुओं ने 5 मार्च 2025 को अपनी तेरहवीं बैच की अनोखी प्रदर्शनी लगाई, जिसने सभी का ध्यान खींचा।
तीन महीने की मेहनत, रंग-बिरंगे परिधानों की शानदार प्रस्तुति!
‘प्रयास’ के प्रशिक्षुओं ने पिछले तीन महीनों में विभिन्न डिजाइनिंग तकनीकों को सीखा और उन्हें बेहतरीन परिधानों में ढाला। इस प्रदर्शनी में उनके द्वारा बनाए गए सुंदर और आकर्षक परिधान प्रस्तुत किए गए, जो उनकी कला, मेहनत और रचनात्मकता का प्रतीक बने। हर परिधान में उनकी सृजनात्मक सोच और आत्मनिर्भर बनने का जज़्बा झलक रहा था।
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मजबूत कदम!
‘प्रयास’ केवल एक प्रशिक्षण कार्यक्रम नहीं, बल्कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल है। इस प्रदर्शनी ने यह साबित कर दिया कि यदि महिलाओं को सही दिशा और अवसर मिले, तो वे रचनात्मकता और हुनर से नई ऊंचाइयों को छू सकती हैं। यह पहल महिलाओं को स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने का सुनहरा अवसर देती है।
‘प्रयास’ का इतिहास: हुनर को उड़ान देने वाली पहल
‘प्रयास’ की शुरुआत महिलाओं को वस्त्र निर्माण, सिलाई, कढ़ाई और डिजाइनिंग में प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से की गई थी। धीरे-धीरे यह एक सशक्त कार्यक्रम बन गया, जिससे जुड़कर कई महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन चुकी हैं। इस प्रदर्शनी ने ‘प्रयास’ की सफलता को एक बार फिर साबित कर दिया।
प्रदर्शनी में मौजूद गणमान्य अतिथियों ने बढ़ाया हौसला
इस मौके पर विद्यालय के कई प्रमुख सदस्य उपस्थित थे, जिन्होंने प्रशिक्षुओं की मेहनत की सराहना की। इनमें विद्यालय सह सचिव श्री एस. के. देवड़ा, विद्यालय प्रशासिका श्रीमती शोभा गनेरीवाल, विद्यालय प्रबंधक डॉ. प्रसेनजीत कर्मकार और प्राचार्या श्रीमती नीलकमल सिन्हा शामिल थीं। इसके अलावा, ‘प्रयास’ की शिक्षिका श्रीमती प्रतिमा दत्ता और प्रयास प्रभारी श्रीमती पी. लीला ने भी प्रशिक्षुओं का उत्साहवर्धन किया।
आगे क्या? महिलाओं के लिए नए अवसरों के द्वार खुलेंगे!
यह प्रदर्शनी न केवल प्रशिक्षुओं के हुनर को प्रदर्शित करने का मंच बनी, बल्कि उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा भी दी। आने वाले समय में ‘प्रयास’ के माध्यम से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षण और स्वरोजगार के नए अवसर प्रदान किए जाएंगे, जिससे वे अपने सपनों को साकार कर सकेंगी।
क्या यह पहल देशभर में लागू हो सकती है?
अगर ऐसे कार्यक्रम अन्य जगहों पर भी लागू किए जाएं, तो निस्संदेह यह महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। अब सवाल यह है कि क्या अन्य शहर भी ‘प्रयास’ से प्रेरित होकर इसी तरह की पहल करेंगे?
What's Your Reaction?






