Chakulia Elephant - चाकुलिया में जंगली हाथियों ने मचाया आतंक! आधी रात को घरों में घुसा दैत्याकार हाथी
झारखंड के चाकुलिया में जंगली हाथियों ने मचाया आतंक! आधी रात को घरों में घुसकर धान खाया, गोदाम का शटर तोड़ा। वन विभाग ने मुआवजा प्रक्रिया शुरू की। जानें पूरी खबर।

चाकुलिया: झारखंड के चाकुलिया प्रखंड में जंगली हाथियों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। अनाज की तलाश में भटकते ये हाथी अब सीधे गांवों में घुसकर घरों को निशाना बना रहे हैं। बीती रात एक हाथी ने लोधाशोली और खाड़बाधा गांव में जमकर उत्पात मचाया, जिससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल है।
आधी रात का कहर, एक के बाद एक टूटे घर!
मंगलवार देर रात करीब 2 बजे, हाथियों के झुंड से बिछड़ा एक दैत्याकार हाथी लोधाशोली गांव में घुस आया। पहले इसने तीन घरों को तोड़ डाला, फिर खाड़बाधा में पानो गोप के घर को तहस-नहस कर दिया। गनीमत रही कि घर में कोई नहीं था, क्योंकि परिवार के सभी सदस्य विवाह समारोह में गए थे।
इसके बाद हाथी देबू गोप के घर में घुसा और जमकर तोड़फोड़ की। फिर यह दुबराज गोप के घर पहुंचा, जहां खिड़की तोड़कर एक बोरा धान चट कर गया। ग्रामीणों ने बड़ी मशक्कत के बाद हाथी को गांव से भगाया, लेकिन तब तक काफी नुकसान हो चुका था।
गोदाम भी नहीं बचा, एफसीआई का शटर तोड़ घुसा हाथी!
चाकुलिया नगर पंचायत के वार्ड नंबर 10 स्थित एफसीआई गोदाम में भी हाथी ने धावा बोल दिया। अनाज की गंध पाकर हाथी ने गोदाम का शटर तोड़ दिया और वहां भी जमकर उत्पात मचाया। इसके बाद वह हवाई पट्टी क्षेत्र की ओर चला गया, जिससे स्थानीय लोगों में डर का माहौल बन गया।
वन विभाग पहुंचा, मुआवजे की प्रक्रिया शुरू!
घटना की सूचना मिलते ही बुधवार सुबह वनरक्षी भादू राम सोरेन मौके पर पहुंचे और पीड़ित परिवारों को सरकारी मुआवजा दिलाने के लिए फॉर्म उपलब्ध कराए।
क्यों बढ़ रही है हाथियों की समस्या?
झारखंड और पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती इलाकों में हाथियों की बढ़ती आमद पिछले कुछ सालों में एक गंभीर समस्या बन गई है। वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, हाथियों का यह व्यवहार तेजी से खत्म होते जंगलों और खाद्य संकट के कारण बढ़ा है। पहले जहां ये हाथी घने जंगलों में रहा करते थे, वहीं अब वे भोजन की तलाश में इंसानी बस्तियों तक पहुंच रहे हैं।
इतिहास में भी झेल चुका है झारखंड यह संकट!
झारखंड में हाथियों के हमले का इतिहास पुराना है। आदिवासी समाज सदियों से हाथियों के साथ सह-अस्तित्व में जीता आया है, लेकिन पिछले कुछ दशकों में जंगलों की कटाई और शहरीकरण की वजह से यह समस्या विकराल हो गई है। 1990 के दशक से लेकर अब तक झारखंड, ओडिशा और बंगाल में कई गांव हाथियों के हमलों से प्रभावित हुए हैं।
अब क्या होगा?
ग्रामीणों का कहना है कि अगर वन विभाग जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाता, तो यह संकट और गहरा सकता है। हाथियों के हमले से बचाव के लिए अस्थायी बाड़, सौर ऊर्जा चालित फेंसिंग और अन्य उपायों की जरूरत है।
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