सीता सोरेन पर मंत्री इरफान अंसारी की टिप्पणी को लेकर अनुसूचित जनजाति आयोग सख्त, झारखंड के अधिकारियों से मांगा जवाब

सीता सोरेन पर मंत्री इरफान अंसारी की अमर्यादित टिप्पणी को लेकर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग गंभीर हो गया है। आयोग ने झारखंड के मुख्य सचिव, डीजीपी, गृह सचिव सहित कई अधिकारियों को नोटिस जारी कर 3 दिन में रिपोर्ट मांगी है।

Oct 26, 2024 - 23:25
Oct 26, 2024 - 23:26
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सीता सोरेन पर मंत्री इरफान अंसारी की टिप्पणी को लेकर अनुसूचित जनजाति आयोग सख्त, झारखंड के अधिकारियों से मांगा जवाब
सीता सोरेन पर मंत्री इरफान अंसारी की टिप्पणी को लेकर अनुसूचित जनजाति आयोग सख्त, झारखंड के अधिकारियों से मांगा जवाब

जामताड़ा से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की नेता सीता सोरेन पर झारखंड के मंत्री इरफान अंसारी की विवादित टिप्पणी के मामले ने अब राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का ध्यान खींच लिया है। आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इसे न केवल अमर्यादित माना है, बल्कि झारखंड सरकार से जवाब भी तलब किया है। आयोग का यह कदम झारखंड की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला सकता है, जहां राज्य की वरिष्ठ सरकारी अधिकारी अब इस मामले की जांच रिपोर्ट तैयार कर आयोग के समक्ष पेश करेंगे।

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का सख्त रुख

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने इस पूरे मामले में संज्ञान लेते हुए झारखंड के मुख्य सचिव एल ख्यांगते, डीजीपी अजय कुमार सिंह, गृह विभाग की प्रधान सचिव वंदना डाडेल, जामताड़ा के उपायुक्त कुमुद सहाय और पुलिस अधीक्षक एहतेशाम वकारीब को नोटिस जारी कर 3 दिन के अंदर जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि यदि संबंधित अधिकारी तय समय में रिपोर्ट नहीं देते, तो उनके खिलाफ समन जारी कर व्यक्तिगत उपस्थिति के आदेश दिए जा सकते हैं।

यह कदम सीता सोरेन और अनुसूचित जनजाति के हितों की सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कार्रवाई मानी जा रही है। आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि जनप्रतिनिधियों द्वारा ऐसी टिप्पणियाँ बर्दाश्त नहीं की जाएंगी जो अनुसूचित जनजाति के मान-सम्मान को ठेस पहुँचाती हों।

क्या था मामला?

घटना की जड़ में जामताड़ा के कांग्रेस विधायक और मंत्री इरफान अंसारी का वह बयान है, जिसे सीता सोरेन पर अमर्यादित और आपत्तिजनक बताया गया है। सीता सोरेन, जो कि एक प्रभावशाली आदिवासी नेता हैं, ने इस टिप्पणी को अपनी गरिमा और पूरे आदिवासी समाज का अपमान करार दिया है। उनके समर्थकों का कहना है कि राज्य की सत्ता में बैठे लोगों को समाज के हर तबके का सम्मान करना चाहिए और किसी भी वर्ग विशेष को लेकर अनादर की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए।

बीजेपी और सीता सोरेन के समर्थकों ने अंसारी के इस बयान के खिलाफ जमकर विरोध किया। बीजेपी महिला मोर्चा ने रांची में अंसारी के आवास के बाहर प्रदर्शन कर उनके इस्तीफे की मांग की, जिसे उन्होंने झारखंड की हर महिला का अपमान करार दिया। अब इस मामले में अनुसूचित जनजाति आयोग का हस्तक्षेप आने वाले दिनों में राज्य सरकार के लिए चुनौती बन सकता है।

राजनीतिक गलियारों में हलचल

इस पूरे विवाद ने झारखंड के राजनीतिक गलियारों में नई हलचल मचा दी है। अनुसूचित जनजाति आयोग का हस्तक्षेप न केवल प्रशासन पर दबाव बनाएगा, बल्कि कांग्रेस पार्टी और मंत्री इरफान अंसारी के लिए भी मुश्किलें बढ़ा सकता है। बीजेपी और आदिवासी समाज से जुड़े संगठनों ने इस मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की चुप्पी पर भी सवाल खड़े किए हैं और उनसे स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है।

बीजेपी नेताओं का कहना है कि यह मामला केवल सीता सोरेन का नहीं है, बल्कि यह आदिवासी समाज के सम्मान और उनकी गरिमा से जुड़ा है। बीजेपी महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष आरती सिंह ने कहा कि आदिवासी समाज को नजरअंदाज कर सत्ता में बने रहना संभव नहीं है। झारखंड के मुख्यमंत्री को चाहिए कि वे इस मामले पर अपनी चुप्पी तोड़ें और दोषी को दंडित करें।

क्या कहता है संविधान और अनुसूचित जनजाति आयोग का भूमिका?

भारतीय संविधान में अनुसूचित जनजातियों को विशेष अधिकार दिए गए हैं ताकि उनके सामाजिक और आर्थिक विकास में कोई बाधा न आए। इसी उद्देश्य से अनुसूचित जनजाति आयोग की स्थापना की गई थी, जो अनुसूचित जनजातियों के अधिकारों और उनके साथ होने वाले भेदभाव की घटनाओं पर कड़ी निगरानी रखता है। आयोग का यह कदम साबित करता है कि वह अनुसूचित जनजातियों के हितों के प्रति सजग है और किसी भी जनप्रतिनिधि की ऐसी टिप्पणियाँ, जो उनके सम्मान को ठेस पहुँचाए, सहन नहीं की जाएंगी।

क्या बढ़ेगी इरफान अंसारी की मुश्किलें?

यह मामला इरफान अंसारी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। अनुसूचित जनजाति आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें हर हाल में इस मामले की रिपोर्ट चाहिए, और समय पर जवाब न मिलने की स्थिति में संबंधित अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से समन जारी किया जा सकता है।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इरफान अंसारी को इस मामले में सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए, ताकि इस विवाद को और बढ़ने से रोका जा सके। वहीं, बीजेपी इस मुद्दे को चुनावों में भुनाने की कोशिश कर सकती है, क्योंकि झारखंड में आदिवासी समाज का वोट किसी भी चुनाव में निर्णायक साबित होता है।

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।