Bokaro Bribe: सरकारी दफ्तर में घूसखोरी का खेल, ACB ने ऐसे दबोचा अफसर!
बोकारो में ACB की बड़ी कार्रवाई! राजस्व कर्मचारी ललन कुमार 20 हजार की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार। जानिए कैसे चलता था सरकारी दफ्तर में भ्रष्टाचार का खेल।

बोकारो: सरकारी दफ्तर में फाइल आगे बढ़ाने के लिए रिश्वत लेना अब आम बात हो गई है, लेकिन इस बार ACB की टीम ने रिश्वतखोर अफसर को रंगे हाथों दबोच लिया! गोमिया अंचल कार्यालय में तैनात राजस्व कर्मचारी ललन कुमार को धनबाद एसीबी (Anti Corruption Bureau) ने 20 हजार रुपये लेते हुए गिरफ्तार किया।
कैसे खुला भ्रष्टाचार का काला चिट्ठा?
मामला ऑनलाइन रजिस्टर टू में नाम सुधारने से जुड़ा है। एक व्यक्ति ने इसके लिए अर्जी दी थी, लेकिन राजस्व कर्मचारी ललन कुमार ने इस काम के बदले पूरे 1 लाख रुपये की मांग कर दी! पैसे नहीं देने पर वह उसे लगातार ऑफिस के चक्कर कटवा रहा था।
हफ्तों तक परेशान रहने के बाद व्यक्ति ने धनबाद ACB से शिकायत की। जब एसीबी ने जांच की तो पाया कि मामला पूरी तरह से सही है। इसके बाद टीम ने सोमवार को जाल बिछाया और ललन कुमार को उसके आवास के पास 20 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
कैसे हुई गिरफ्तारी?
इस ऑपरेशन का नेतृत्व धनबाद ACB के डीएसपी जितेंद्र कुमार सिंह ने किया। जैसे ही ललन कुमार ने रिश्वत की रकम अपने हाथ में ली, एसीबी की टीम ने उसे पकड़ लिया! गिरफ्तारी के बाद गोमिया अंचल कार्यालय में हड़कंप मच गया, और बाकी कर्मचारी सकते में आ गए।
भ्रष्टाचार की पुरानी परंपरा! कब रुकेगा ये खेल?
सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं है। भारत में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हैं कि आम आदमी बिना रिश्वत दिए कोई सरकारी काम करवाने की सोच भी नहीं सकता।
2005 में लागू हुआ सूचना का अधिकार (RTI) कानून, जिससे जनता को सरकारी कार्यों की जानकारी लेने का अधिकार मिला, लेकिन भ्रष्ट अधिकारी फिर भी रास्ते निकाल ही लेते हैं।
2011 में अन्ना हजारे का भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन, जिसने लोकपाल बिल को लागू करवाने का दबाव बनाया, लेकिन क्या इससे घूसखोरी खत्म हुई?
क्या ACB की कार्रवाई से सुधरेंगे हालात?
ACB की टीम ने कहा है कि इस मामले की गहराई से जांच की जाएगी और अन्य भ्रष्ट अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो सकती है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ एक छोटी कार्रवाई बनकर रह जाएगी, या सच में भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी?
आप क्या सोचते हैं? क्या इस तरह की कार्रवाई से सरकारी दफ्तरों में रिश्वतखोरी बंद होगी या यह खेल यूं ही चलता रहेगा?
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