Dhrohar-Ek-Ghazal-Nama Launches : शायर राकेश गुप्ता ‘रूसिया’ की ग़ज़ल कृति 'धरोहर इक ग़ज़ल नामा' का हुआ विमोचन
शायर राकेश गुप्ता ‘रूसिया’ की नई ग़ज़ल कृति ‘धरोहर इक ग़ज़ल नामा’ का विमोचन दुर्ग में हुआ। जानें इस काव्य कृति की विशेषताएं और विमोचन कार्यक्रम की पूरी जानकारी।
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दुर्ग, 12 नवंबर: दुर्ग के एक निजी होटल में शायर राकेश गुप्ता ‘रूसिया’ की काव्य कृति ‘धरोहर इक ग़ज़ल नामा’ (Dhrohar-Ek-Ghazal-Nama) का विमोचन समारोह बड़े धूमधाम से संपन्न हुआ। इस अवसर पर साहित्य प्रेमियों और साहित्यकारों की बड़ी संख्या मौजूद थी। इस काव्य कृति में शायर ने अपनी ग़ज़लों के माध्यम से प्रेम, दर्द, और समाजिक मुद्दों को छुआ है।
आचार्य डॉ. महेश चन्द्र शर्मा का अध्यक्षीय उद्बोधन
समारोह की शुरुआत आचार्य डॉ. महेश चन्द्र शर्मा के अध्यक्षीय उद्बोधन से हुई। उन्होंने रचनाकार राकेश गुप्ता ‘रूसिया’ की लेखनी की सराहना करते हुए कहा कि रचनाकार ने अपने लेखन में सुधार की गुजारिश की है और यह समर्पण भाव उनकी काव्य कृति को ऊंचाई पर ले जाता है। आचार्य ने कवि के समाज से जुड़ाव की भी सराहना की और इस काव्य कृति को समाज के लिए महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने समाज से आग्रह किया कि दुर्ग-भिलाई क्षेत्र में राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की प्रतिमा स्थापित की जाए।
डॉ. परदेशी राम वर्मा की टिप्पणी
मुख्य अतिथि डॉ. परदेशी राम वर्मा ने काव्य कृति के बारे में अपनी राय साझा करते हुए कहा, “कवि की शायरी पढ़कर मुझे यह विश्वास हुआ कि साहित्य की गंगा कभी सूखती नहीं है। शेर - ‘वहम है तेरी शोहरत के सब कायल हुए, उन्हीं पेड़ों से लिपटे सांप जो संदल हुए’ जीवन की सच्चाई को बयां करता है।” इस शेर से उन्होंने कवि की गहरी समझ और जीवन के प्रति उनके दृष्टिकोण को सराहा।
समाजसेवी ब्रजेश बिचपुरिया और कवि विजय गुप्ता की टिप्पणी
समाजसेवी और राजनेता ब्रजेश बिचपुरिया ने शायर की शायरी की तारीफ करते हुए कहा कि कवि ने अपनी ग़ज़लों में प्रेम, दर्द और सामाजिक मुद्दों को बहुत सुंदर तरीके से छुआ है। यह शायरी पाठकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। कवि विजय गुप्ता ‘मुन्ना’ ने शायर राकेश गुप्ता ‘रूसिया’ की ग़ज़ल ‘कुछ ज़िन्दगी ने बदला कुछ हम बदल गये’ को विस्तार से समझाया और कहा कि इस शेर में कवि ने यह संदेश दिया है कि तकलीफों के बाद इंसान खुद को बदलकर नवसृजन कर सकता है।
कार्यक्रम की शुरुआत और समापन
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्जवलन से हुई, जिसमें यश दलवी ने सरस्वती वंदना की। इसके बाद, डॉ. हंसा शुक्ला ने स्वागत भाषण दिया और कहा, “‘धरोहर-इक ग़ज़ल नामा’ दिल की गहराइयों में उतर कर लिखी गई शायरी है।” उन्होंने इसे एक संजोकर रखने योग्य काव्य कृति बताया।
कवि राकेश गुप्ता ‘रूसिया’ ने अपनी ग़ज़ल ‘उलझने सुलझाने में कुछ इस तरह उलझे रहे, सामने थी जिन्दगी हम हाथ ही मलते रहे’ सुनाई, जिससे उनके लेखन की गहरी समझ और संवेदनशीलता का अंदाजा लगा।
मंच संचालन और अतिथियों का सम्मान
कार्यक्रम का मंच संचालन डॉ. इसराइल बेग ‘शाद’ ने शेरों-शायरी के साथ किया। इस अवसर पर शायर को शाल, श्रीफल और मोमेंटो से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में साहित्य जगत के प्रमुख व्यक्ति जैसे सुशील यादव, ताम्रकार, मंजूलता शर्मा, बी के वर्मा, शुचि भवि, और कई अन्य साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।
इस कार्यक्रम ने शायरी और साहित्य की महिमा को पुनः महसूस कराया और राकेश गुप्ता ‘रूसिया’ की ‘धरोहर इक ग़ज़ल नामा’ को साहित्य की दुनिया में एक महत्वपूर्ण काव्य कृति के रूप में स्थापित किया।
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