Jamshedpur Medical College Protest: मणिपाल मेडिकल कॉलेज में छात्र का निधन, प्रबंधन के खिलाफ हंगामा
जमशेदपुर के मणिपाल मेडिकल कॉलेज में छात्र दिव्यांशु पांडे की मौत के बाद छात्रों ने प्रबंधन के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। छात्रों ने लचर व्यवस्था और समय पर एंबुलेंस न मिलने को जिम्मेदार ठहराया।

जमशेदपुर : सिदगोड़ा थाना अंतर्गत बारिडीह स्थित मणिपाल मेडिकल कॉलेज शुक्रवार को छात्रों के उग्र प्रदर्शन का केंद्र बन गया। कॉलेज परिसर में छात्र-छात्राओं ने प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए जोरदार प्रदर्शन किया। छात्रों का आरोप है कि तृतीय वर्ष के छात्र दिव्यांशु पांडे की मौत कॉलेज की लचर व्यवस्था के कारण हुई है।
छात्रों का आरोप: लापरवाही से गई जान
छात्रों ने कहा कि दिव्यांशु ने गुरुवार की रात सल्फास की गोली खाकर आत्महत्या कर ली थी। घटना के बाद यदि उसे समय पर एंबुलेंस की सुविधा मिल गई होती तो उसकी जान बचाई जा सकती थी। छात्रों ने बताया कि दिव्यांशु लंबे समय से डिप्रेशन में था और उचित देखभाल या तुरंत मेडिकल सुविधा मिल जाती तो वह शायद बच जाता।
धरने पर बैठे छात्र
कैंपस में दर्जनों छात्र-छात्राएं धरने पर बैठ गए। उनका कहना है कि जब तक दोषी अधिकारियों को हटाया नहीं जाता, वे कॉलेज परिसर में आंदोलन जारी रखेंगे। छात्रों ने दो प्रमुख पदाधिकारियों — विनय कुमार और सुमित झा — पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
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विनय कुमार प्रबंधन में उच्च पद पर आसीन हैं।
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सुमित झा कॉलेज के ट्रांसपोर्ट मैनेजमेंट की देखरेख करते हैं।
छात्रों का कहना है कि इन्हीं दोनों की लापरवाही के कारण दिव्यांशु को समय पर इलाज नहीं मिल सका।
प्रबंधन का पक्ष अस्पष्ट
जब कॉलेज प्रबंधन से इस संबंध में उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया, तो उन्होंने जिम्मेदारी लेने से पल्ला झाड़ लिया। इस रवैये से छात्रों का आक्रोश और बढ़ गया।
पुलिस बल की तैनाती
स्थिति को देखते हुए कॉलेज प्रशासन ने पुलिस को बुला लिया। सिदगोड़ा थाना पुलिस ने परिसर में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है ताकि किसी भी अप्रिय घटना को टाला जा सके। छात्रों ने साफ कर दिया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे पीछे हटने वाले नहीं हैं।
दिव्यांशु की मौत से मचा हड़कंप
तृतीय वर्ष के छात्र दिव्यांशु पांडे की मौत से कॉलेज और शहर में शोक का माहौल है। दोस्तों ने बताया कि वह लंबे समय से मानसिक दबाव में था। हालांकि, उनकी नाराजगी इस बात पर है कि कॉलेज में आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए समुचित मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर और त्वरित सुविधा उपलब्ध नहीं है।
छात्रों की मांगें
धरने पर बैठे छात्रों ने स्पष्ट कहा कि उनकी मांगें पूरी किए बिना वे कैंपस खाली नहीं करेंगे। उनकी प्रमुख मांगें हैं:
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प्रबंधन पदाधिकारी विनय कुमार और ट्रांसपोर्ट मैनेजर सुमित झा को तत्काल हटाया जाए।
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कॉलेज में 24x7 एंबुलेंस सेवा और मेडिकल इमरजेंसी सिस्टम को अनिवार्य किया जाए।
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दिव्यांशु की मौत की निष्पक्ष जांच हो।
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छात्रों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर विशेष सुविधा दी जाए।
समाज में उठ रहे सवाल
दिव्यांशु की आत्महत्या ने एक बार फिर मेडिकल छात्रों की मानसिक स्वास्थ्य स्थिति और कॉलेज प्रशासन की जिम्मेदारी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां एक ओर मेडिकल की पढ़ाई का दबाव छात्रों पर भारी पड़ता है, वहीं दूसरी ओर संस्थानों की लापरवाही हालात को और गंभीर बना देती है।
जमशेदपुर का यह मामला केवल एक छात्र की मौत का नहीं, बल्कि संस्थागत जिम्मेदारी और छात्रों की सुरक्षा का मुद्दा है। छात्रों का आंदोलन इस बात की ओर इशारा करता है कि मेडिकल संस्थानों को केवल पढ़ाई तक सीमित न रहकर, छात्रों की जीवन रक्षा और मानसिक स्वास्थ्य की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे। फिलहाल, पुलिस की तैनाती और छात्रों की हड़ताल से कैंपस में तनाव का माहौल बना हुआ है।
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