Jharkhand Election: बगावत पर झामुमो का बड़ा एक्शन, तीन नेता निष्कासित
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में झामुमो ने अनुशासनहीनता पर सख्त कदम उठाते हुए तीन नेताओं को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित किया। जानिए पूरी कहानी।
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झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के दौरान पार्टी से बगावत करने और पार्टी प्रत्याशियों के खिलाफ चुनावी गतिविधियों में शामिल होने वाले नेताओं पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने सख्त कार्रवाई की है। पश्चिम सिंहभूम जिला समिति ने तीन बड़े नेताओं को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है।
किस पर गिरी गाज?
झामुमो ने अपने अनुशासन को लेकर सख्त रुख अपनाते हुए इन नेताओं पर कार्रवाई की:
- सुनील कुमार सिरका: पश्चिम सिंहभूम जिला संयुक्त सचिव।
- अनिल जोसेफ भुईंया: आनंदपुर प्रखंड अध्यक्ष।
- विजय सिंह गागराई: चक्रधरपुर विधानसभा क्षेत्र से बागी उम्मीदवार।
पार्टी का सख्त संदेश
पश्चिम सिंहभूम जिला सचिव सोनाराम देवगम ने बयान देते हुए कहा कि झामुमो संगठन में अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। पार्टी नेतृत्व के फैसले के खिलाफ जाकर पार्टी की छवि धूमिल करने वालों पर कठोर कदम उठाए जाएंगे।
इतिहास से सबक
झामुमो का अनुशासन को लेकर सख्त रुख कोई नई बात नहीं है। 1980 के दशक में पार्टी के संस्थापक शिबू सोरेन ने पार्टी की एकता और अनुशासन को प्राथमिकता देते हुए कई बार बड़े कदम उठाए थे। इसी नीति को आगे बढ़ाते हुए आज झामुमो नेतृत्व ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बगावत और अनुशासनहीनता किसी भी स्तर पर स्वीकार्य नहीं होगी।
क्या थी पूरी कहानी?
चुनाव के दौरान कुछ नेताओं ने झामुमो के अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ काम किया। विजय सिंह गागराई ने चक्रधरपुर विधानसभा क्षेत्र से बागी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। इस कदम को पार्टी ने गंभीर अनुशासनहीनता माना।
सुनील कुमार सिरका और अनिल जोसेफ भुईंया पर भी आरोप है कि उन्होंने पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवारों के खिलाफ प्रचार किया, जिससे पार्टी को नुकसान पहुंचा।
पार्टी अनुशासन क्यों जरूरी?
राजनीतिक दलों में अनुशासन बनाए रखना पार्टी की एकजुटता और सफलता के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। झामुमो, जो झारखंड की राजनीति में एक प्रमुख भूमिका निभाता है, ने यह सुनिश्चित किया है कि उसके कार्यकर्ता और नेता पार्टी की विचारधारा और निर्णयों के प्रति वफादार रहें।
चुनाव पर असर
झामुमो की इस कार्रवाई से पार्टी में अनुशासन को लेकर स्पष्ट संदेश गया है। आगामी चुनावों में यह फैसला पार्टी की एकजुटता को बनाए रखने में मदद करेगा।
समर्थकों की प्रतिक्रिया
झामुमो समर्थकों ने पार्टी के इस कदम का समर्थन किया है। उनका मानना है कि यह फैसला पार्टी को अंदरूनी कलह से बचाने और अनुशासन बनाए रखने के लिए आवश्यक था।
वहीं, कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं पार्टी की अंदरूनी कमजोरी को उजागर करती हैं।
झामुमो की अनुशासनात्मक कार्रवाई ने यह साबित कर दिया है कि पार्टी अपने नियमों को लेकर कोई समझौता नहीं करेगी। झारखंड चुनाव 2024 में इसका प्रभाव क्या होगा, यह समय बताएगा। लेकिन फिलहाल, झामुमो ने यह संदेश दिया है कि बगावत और अनुशासनहीनता का कोई स्थान नहीं है।
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