मोरहाबादी मैदान में भाजयुमो की आक्रोश रैली में बवाल: 42 नामजद और 12 हजार अज्ञात लोगों पर FIR दर्ज, कई बड़े भाजपा नेता शामिल
झारखंड के रांची में मोरहाबादी मैदान में भाजयुमो की आक्रोश रैली में हुए बवाल के बाद भाजपा के बड़े नेताओं सहित 42 नामजद और 12 हजार अज्ञात लोगों पर FIR दर्ज हुई। जानें पूरी खबर।
रांची, 24 अगस्त: झारखंड की राजधानी रांची के मोरहाबादी मैदान में आयोजित भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) की आक्रोश रैली शुक्रवार को हिंसा में तब्दील हो गई। इस बवाल के बाद भाजपा के कई बड़े नेताओं सहित 42 नामजद और 12 हजार अज्ञात लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है।
घटना के दिन, 23 अगस्त को मोरहाबादी मैदान में आयोजित रैली का उद्देश्य राज्य सरकार की नीतियों के खिलाफ विरोध प्रकट करना था। रैली के दौरान माहौल बिगड़ गया और पुलिस व भाजयुमो कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़प हो गई। इस हिंसा में दर्जन भर पुलिसकर्मी और कई कार्यकर्ता घायल हो गए।
बवाल के बाद दर्ज हुआ केस
रैली के बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए भाजपा के बड़े नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। जिन नेताओं पर केस दर्ज हुआ, उनमें केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ, पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, सांसद बीडी राम, विधायक भानु प्रताप शाही, नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी, सांसद आदित्य साहू, राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश, सांसद अभयकांत प्रसाद, सांसद प्रदीप वर्मा, सांसद विद्युत वरण महतो, और सांसद मनीष जायसवाल का नाम प्रमुख रूप से शामिल है।
इसके अलावा, करीब 12 हजार अज्ञात लोगों पर भी मुकदमा दर्ज किया गया है। यह एफआईआर पुलिसकर्मियों पर हुए हमले, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और कानून व्यवस्था भंग करने के आरोपों के तहत दर्ज की गई है।
रैली का उद्देश्य और विवाद
भाजयुमो द्वारा आयोजित इस आक्रोश रैली का मुख्य उद्देश्य झारखंड सरकार की नीतियों के खिलाफ विरोध प्रकट करना था। युवाओं के मुद्दे और सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए भाजयुमो ने बड़ी संख्या में समर्थकों को एकत्रित किया था। हालांकि, रैली के दौरान पुलिस और कार्यकर्ताओं के बीच तीखी झड़प हो गई।
रैली के दौरान पुलिस ने स्थिति को काबू में करने के लिए बल प्रयोग किया, जिससे हिंसा भड़क उठी। दोनों पक्षों के बीच हुए संघर्ष में दर्जन भर पुलिसकर्मी घायल हो गए। साथ ही, कई कार्यकर्ताओं को भी चोटें आईं।
भाजपा नेताओं का बयान
एफआईआर दर्ज होने के बाद भाजपा नेताओं ने इसे राजनीतिक साजिश करार दिया है। उनका कहना है कि सरकार विरोध की आवाज को दबाने का प्रयास कर रही है। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा, "यह सरकार का असंवैधानिक कदम है। हमने शांतिपूर्ण तरीके से विरोध किया था, लेकिन सरकार ने हमारी आवाज को दबाने के लिए हिंसात्मक प्रतिक्रिया दी।"
इसी तरह, केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने कहा, "सरकार की नीतियों के खिलाफ युवाओं की आवाज उठाना हमारा अधिकार है। पुलिस ने जो कार्रवाई की, वह पूरी तरह से अनैतिक और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।"
पुलिस की कार्रवाई
पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एफआईआर दर्ज की है और जांच शुरू कर दी है। रांची के पुलिस अधीक्षक ने कहा कि रैली के दौरान कानून-व्यवस्था की स्थिति को गंभीरता से प्रभावित किया गया था, जिसके चलते एफआईआर दर्ज करनी पड़ी। पुलिस ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
रैली में शामिल लोगों की पहचान
पुलिस अब वीडियो फुटेज और तस्वीरों के जरिए उन लोगों की पहचान कर रही है, जिन्होंने रैली के दौरान हिंसा भड़काई। इसके लिए विशेष जांच दल का गठन किया गया है, जो जल्द ही अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। साथ ही, रैली में शामिल अन्य कार्यकर्ताओं की भी पहचान की जा रही है, जिन्हें जल्द ही पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद झारखंड की राजनीति में उबाल आ गया है। विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह राजनीतिक प्रतिशोध ले रही है। भाजपा के नेताओं ने कहा है कि वे इस मामले को लेकर राज्यभर में विरोध प्रदर्शन करेंगे और अपनी आवाज उठाते रहेंगे।
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