Jamshedpur Blood Donation : स्वदेशी दिवस पर रक्तदान शिविर, बाबू गेनू को दी गई श्रद्धांजलि

जमशेदपुर में स्वदेशी जागरण मंच द्वारा बाबू गेनू के सम्मान में रक्तदान शिविर का आयोजन। 72 रक्तदाताओं ने स्वदेशी विचारधारा को समर्थन देते हुए रक्तदान किया।

Dec 12, 2024 - 18:55
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Jamshedpur Blood Donation : स्वदेशी दिवस पर रक्तदान शिविर, बाबू गेनू को दी गई श्रद्धांजलि
Jamshedpur Blood Donation : स्वदेशी दिवस पर रक्तदान शिविर, बाबू गेनू को दी गई श्रद्धांजलि

12 दिसंबर 2024: जमशेदपुर में आज स्वदेशी जागरण मंच ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक वीर बाबू गेनू के बलिदान को श्रद्धांजलि देने के लिए रक्तदान शिविर का आयोजन किया। यह कार्यक्रम जमशेदपुर ब्लड बैंक में आयोजित हुआ, जिसमें 72 लोगों ने रक्तदान कर स्वदेशी आंदोलन को अपना समर्थन दिया।

कौन थे बाबू गेनू?

बाबू गेनू का नाम स्वदेशी आंदोलन में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है।

  • जन्म और पृष्ठभूमि:
    बाबू गेनू महाराष्ट्र के रहने वाले किसान परिवार से थे।
  • बलिदान:
    उन्होंने विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार और स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा देने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
  • प्रेरणा:
    उनका बलिदान आज भी स्वदेशी आंदोलन के समर्थकों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

रक्तदान शिविर: स्वदेशी विचारधारा का समर्थन

स्वदेशी जागरण मंच हर साल 12 दिसंबर को स्वदेशी दिवस के रूप में मनाता है। इस वर्ष मंच ने बाबू गेनू को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए रक्तदान शिविर का आयोजन किया।

  • भागीदारी:
    103 लोगों ने हीमोग्लोबिन जांच कराई, जिनमें से 72 ने रक्तदान किया।
  • महिलाओं की भागीदारी:
    दो महिला कार्यकर्ताओं ने भी रक्तदान कर इस अभियान में हिस्सा लिया।
  • माल्यार्पण:
    कार्यक्रम की शुरुआत बाबू गेनू की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुई।

मंच के प्रमुख उपस्थित गणमान्य व्यक्ति

कार्यक्रम में स्वदेशी जागरण मंच के प्रमुख नेताओं और स्थानीय गणमान्य व्यक्तियों ने हिस्सा लिया, जिनमें शामिल हैं:

  • बंदे शंकर सिंह: अखिल भारतीय सह संघर्षवाहिनी प्रमुख।
  • मनोज सिंह: खादी ग्रामोद्योग आयोग के पूर्वी भारत के चेयरमैन।
  • अन्य नेता: जे.के.एम. राजू, मकधुलिक मेहता, अमित मिश्रा, पंकज सिंह, और विकास साहिनी।

स्वदेशी आंदोलन और रक्तदान: एक नई पहल

रक्तदान का यह आयोजन केवल मानवता के लिए योगदान नहीं था, बल्कि स्वदेशी आंदोलन के प्रति जागरूकता फैलाने का प्रयास भी था।

  • विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार:
    कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने और स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने का संदेश दिया।
  • सामाजिक योगदान:
    रक्तदान के जरिए समाज के प्रति जिम्मेदारी निभाने की भावना को भी प्रोत्साहित किया गया।

स्वदेशी जागरण मंच का संदेश

स्वदेशी जागरण मंच ने इस आयोजन के जरिए एक महत्वपूर्ण संदेश दिया कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायकों की कुर्बानी को कभी नहीं भुलाया जा सकता।

  • विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार:
    मंच ने लोगों से अपील की कि वे विदेशी उत्पादों का इस्तेमाल बंद करें और स्वदेशी उत्पादों को अपनाएं।
  • आंदोलन की प्रासंगिकता:
    आज के दौर में भी स्वदेशी आंदोलन उतना ही प्रासंगिक है जितना स्वतंत्रता संग्राम के समय था।

जनता की भागीदारी: एक प्रेरणादायक पहल

इस कार्यक्रम ने न केवल स्थानीय समुदाय को एकजुट किया बल्कि युवाओं को भी प्रेरित किया।

  • सामूहिक प्रयास:
    रक्तदान शिविर में 72 रक्तदाताओं की भागीदारी ने इस आयोजन को सफल बनाया।
  • महिलाओं की भूमिका:
    महिलाओं की भागीदारी ने यह साबित किया कि समाज के हर वर्ग का योगदान स्वदेशी आंदोलन को नई ऊंचाई तक ले जा सकता है।

क्या है स्वदेशी आंदोलन का महत्व?

स्वदेशी आंदोलन भारतीय अर्थव्यवस्था और संस्कृति को मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

  • स्वदेशी अपनाओ, देश बचाओ:
    यह नारा आज भी उतना ही प्रासंगिक है।
  • आर्थिक स्वतंत्रता:
    स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग भारतीय उद्योगों को सशक्त बनाता है।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।